दादरा गायन शैली – Dadra Gayan Shaili अध्याय (14/22)

अध्याय- 14 ( दादरा गायन ) | गायन के 22 प्रकार

  1. गायन
  2. प्रबंध गायन शैली
  3. ध्रुपद गायन शैली
  4. धमार गायन शैली
  5. सादरा गायन शैली
  6. ख्याल गायन शैली
  7. तराना
  8. त्रिवट
  9. चतुरंग
  10. सरगम
  11. लक्षण गीत
  12. रागसागर या रागमाला
  13. ठुमरी
  14. दादरा
  15. टप्पा
  16. होरी या होली
  17. चैती
  18. कजरी या कजली
  19. सुगम संगीत
  20. गीत
  21. भजन
  22. ग़ज़ल

दादरा गायन शैली- दादरा वस्तुतः ठुमरी शैली का गायन है । दादरा गीत शृंगार रस प्रधान गीत है इसकी प्रकृति ठुमरी के समान प्रतीत होती है । इसी कारण दादरा गायन शैली को अधिकतर ठुमरी अंग के रागों में गाया जाता है । दादरा ठुमरी की अपेक्षा हल होती है । प्रायः यह देखा गया है कि ठुमरी गाने वाले गायक – गायिकाएँ दादरा गाते हैं । इसमें जन – मन – रंजन करने की पर्याप्त शक्ति होती है ।

दादरा पूर्व उत्तर प्रदेश की विशेष गायन शैली है । यहाँ के गायक दादरा गायन निपुण होते हैं । दादरा भाषा पूर्वी हिन्दी की किसी – न – किसी बोली के अनुरूप होती है । पहले इस गायन को कोठे पर ही गाया जाता था अब इस गायन शैली को प्रतिष्ठित गायक भी गाते हैं ।

दादरा शैली में अन्य गायन शैली की तरह ही स्थायी व अन्तराल दो भाग होते हैं ।

दादरा के राग

दादरा प्रायः काफी , पहाड़ी, खमाज , माण्ड आदि रागों में गाए जाते हैं । दादरा गायन में राग की शुद्धता पर विशेष ध्यान न देकर रंजकता पर ही ध्यान केन्द्रित किया जाता है । दादरा में भावात्मक गीत तत्त्व , ताल , राग आदि होता है । दादरा और ठुमरी में भी इन रागों का प्रयोग होता है ।

आशा करता हूँ आप समझ गए होंगे कि दादरा गायन क्या है ? आगे आने वाली जानकारियों के लिए Subscribe करें , Share करें अपने मित्रों के बीच और जुड़े रहे सप्त स्वर ज्ञान के साथ, धन्यवाद ।

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