सारणा चतुष्टयी – श्रुति पर प्रयोग, भरत मुनि के द्वारा (Sarna Chatushtayi- Bharat)

सारणा चतुष्टयी

अपनी पुस्तक ‘ नाट्य शास्त्र ‘ में भरत मुनि ने श्रुति पर किये गये एक प्रयोग का वर्णन किया है । इस प्रयोग का नाम है ‘ सारणा चतुष्टयी ‘ यह प्रयोग मोटे तौर से चार भागों में विभक्त है । प्रत्येक भाग को सारणा और सम्पूर्ण प्रयोग को सारणा चतुष्टयी की संज्ञा दी ।….

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Sangeet Raj by maharana Kumbha in hindi महाराणा कुंभा द्वारा रचित संगीत राज

sangeet raj by Maharana kumbha

15 वीं शताब्दी में यह ग्रन्थ लिखा गया, परंतु बातें प्राचीन है। यह प्राचीन संगीत के बारे में वर्णन करने वाला सबसे विस्तृत ग्रंथ है। इतना अधिक वर्णन किसी ग्रंथ में नहीं मिलता है। “संगीत रत्नाकर” से बड़ा ग्रंथ “संगीत राज” कुंभा द्वारा रचित है …

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संगीत पारिजात अहोबल रचित ग्रंथ Sangeet Parijat by Ahobal

संगीत पारिजात अहोबल

अहोबल रचित ग्रंथ ” संगीत पारिजात “ मंगलाचरण अहोबल रचित “संगीत पारिजात” स्वर प्रकरण स्वर विस्तार प्रकरण गमक प्रकरण स्वर प्रकरण समय प्रकरण मूर्छना प्रकरण शारंगदेव “संगीत …

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शारंगदेव “संगीत रत्नाकर” Sharangdev’s sangeet ratnakar

शारंगदेव संगीत रत्नाकर

वैदिक काल में संगीत- Music in Vaidik Kaal ( ch- 1/9 ) शारंगदेव कृत “संगीत रत्नाकर” के अध्याय / Chapter 1. स्वराध्याय ग्राम की परिभाषा क्या है …

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बृहद्देशी मतंग मुनि कृत ग्रन्थ ” Brihaddeshi” by matanga muni

बृहद्देशी मतंग मुनि

भरत मुनि कृत ‘नाट्यशास्त्र’ के भांति ही यह ग्रंथ भी संगीत के विकास में बहुत उपयोगी रहा है। इस ग्रंथ के समय के विषय में विद्वानों के विभिन्न मत हैं। ग्राम का वर्णन करते हुए मतंग ने ग्राम की उत्पत्ति को बताया है। ग्राम, स्वर श्रुति, मूर्छना, तान, जाति रागों की व्यवस्था के लिए ….

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नाट्यशास्त्र भरत मुनि का शास्त्र – संगीत के अध्याय ) Natya Sastra – Bharat Muni

नाट्यशास्त्र-भरत-मुनि

यद्यपि नाट्यशास्त्र का विषय नाट्य है संगीत नहीं है फिरभी नाट्यशास्त्र को संगीत का आधार ग्रंथ माना जाता है । नाट्यशास्त्र में कुल अध्यायों की संख्या 36 है जिनमें 1-27 नृत्य से , 6 अध्याय ( अध्याय 28 से लेकर अध्याय 33 तक ) का संबंध संगीत से है ….

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