पिछले अध्याय में आपने जाना तराना क्या है ? इस अध्याय में आज हम जानेंगे त्रिवट क्या है ?
विषय - सूची
अध्याय 8 – ” त्रिवट ” | गायन के 22 प्रकार
- गायन
- प्रबंध गायन शैली
- ध्रुपद गायन शैली
- धमार गायन शैली
- सादरा गायन शैली
- ख्याल गायन शैली
- तराना
- त्रिवट
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- गीत
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- ग़ज़ल
त्रिवट क्या है ?
जब किसी तराने में मृदंग के बोलों का प्रयोग किया जाता है , तो उस विशिष्ट गायन शैली को त्रिवट के नाम से बुलाया जाता है । यह हिन्दुस्तानी संगीत पद्धति के शास्त्रीय गान के मंच पर प्रदर्शित की जाने वाली एक गायन – शैली है ।
त्रिवट की उत्पत्ति
प्राचीनकाल में अलीक्रम प्रबन्ध के एक केवाड नामक प्रबन्ध से इस गायन शैली त्रिवट की उत्पत्ति मानी जाती है । दक्षिण में त्रिवट को एक अन्य नाम चोल्लुकेटु के नाम से पुकारा जाता है । इसकी उत्पत्ति के सन्दर्भ में ऐसा माना जाता है कि मृदंग , तबला आदि शैलियों के मिश्रण के परिणामस्वरूप हुआ है तथा त्रिवट रचनाएँ गुणीजनों द्वारा रची गई हैं ।
त्रिवट शैली की विशेषता क्या है ?
त्रिवट शैली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- त्रिवट शैली में तराना के समान ही सामान्यतः इसे भी द्रुत लय में गाए जाने का प्रचलन है । गायक द्वारा मृदंग अथवा पखावज के बोल जिस प्रकार विभिन्न लयों में गाए जाते हैं , वैसे ही बोल उसी लय में मृदंग अथवा पखावज वादक द्वारा बजाए जाते हैं इस प्रकार मृदंग के साथ गाए जाने पर अद्भुत रस का सृजन होता है । यह प्रक्रिया विशेष रूप से स्वर व लय प्रधान मानी जाती है ।
- प्रबन्ध की दृष्टि से त्रिवट शैली केवल पाटादारों का स्वर व ताल प्रयोग की जाती है अतः इसमें पाट नामक अंग और परोक्ष रूप में स्वर व ताल नामक अंगों की गणना भी की जा सकती है ।
- त्रिवट में कविता नहीं होती , अपितु तराने के बोलों को ही मृदंग या पखावज की सहायता से छन्दोबद्ध करके स्वर और ताल के साथ गाया जाता है ।
रस सिद्धान्त क्या है ? Ras Siddhant and Music.
आशा करता हूँ आप समझ गए होंगे कि त्रिवट क्या है ? आगे आने वाली जानकारियों के लिए Subscribe करें , Share करें अपने मित्रों के बीच और जुड़े रहे सप्त स्वर ज्ञान के साथ, धन्यवाद ।