तराना क्या है ? Tillana/ तरूनम का अर्थ ? Tarana अध्याय (7/22)

तराना क्या है ?

क्या है तराना ? तराना शब्द पर ऐतिहासिक दृष्टि से विचार करने पर हिन्दुस्तानी संगीत की विशेषताओं का पता चलता है । तराना का सम्बन्ध स्वर और वर्ण दोनों से होता है….

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ख्याल गायन शैली की विधि, भेद – अध्याय (6/22) Khayal Gayan Shaili

ख्याल गायन शैली

ख्याल का आविष्कार यह गीत शैली कब से प्रारम्भ हुई , इसके विषय में दो मत पाए जाते हैं । एक तो यह कि इसका आविष्कार ई . 14 में अमीर खुसरो ने किया और दूसरा यह कि….

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सादरा गायन शैली – Sadra Gayan Shaili अध्याय (5/22)

सादरा गायन शैली

सादरा अर्द्धशास्त्रीय संगीत और लोकगीत के बीच की कड़ी है गायन की यह शैली दादरा से बहुत मिलती – जुलती है । सादरा को अधिकतर कथक गायक गाते हैं । कहरवा , रूपक….

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धमार गायन शैली – अध्याय (4/22) Dhamaar Gayan Shaili

धमार गायन शैली

– जिसमें होरी की धूमधाम के साथ गीत का गायन होता है , वह धमार गीत कहलाता है । यह ध्रुपद शैली से गाया जाने वाला एक गीत है । चौदह मात्राओं की धमार ताल के….

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ध्रुपद गायन शैली- अध्याय- (3/22) Dhrupad Gayan Shaili

ध्रुपद गायन शैली

ध्रुपद गायन शैली शास्त्रीय संगीत की प्राचीन गायन शैली है । प्राचीन प्रबन्ध गायकी से ही ध्रुपद गायकी की उत्पत्ति मानी जाती है । स्वर , ताल , शब्द एव लय युक्त शैली ध्रुपद कहलाती है….

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प्रबन्ध गायन शैली क्या है ? अध्याय- (2/22) Prabandh Gayan Shaili

प्रबन्ध गायन शैली

भारतीय संगीत में प्रबन्ध एक प्राचीन गायन शैली है । भरतकाल में ध्रुवगीत का अस्तित्व था और इससे पूर्व शुद्ध गाथा , पाणिका , नायक गीत शैलियों थीं । मतंग के समय में प्रबन्ध गीत – शैली….

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गायन के 22 प्रकार की शैली – Gayan ke 22 Prakar | अध्याय (1/22)

गायन के 22 प्रकार

गायन के 22 प्रकार- दोस्तों/ पाठकों गायन एक ऐसी क्रिया है जिसमें , स्वर की सहायता से संगीतमय ध्वनि उत्पन्न की जाती है । गायन को कण्ठ संगीत भी कहते हैं अर्थात् जो कण्ठ….

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वाद्ययन्त्रों का विकास (वैदिक, मध्य, आधुनिक काल में ) Vadya Yantra

वाद्ययन्त्रों का विकास

प्राचीनकाल से ही वाद्यों का प्रयोग , संगीत की गायन व नृत्य विधा की परिपूर्ण करने में सक्षम है । गायन व नृत्य की सफलता में वाद्यों का अत्यावश्यक सहकर्मिता रहती है….

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वाद्ययन्त्रों की उत्पत्ति- Vadya Yantra ki Utpatti

वाद्ययन्त्रों की उत्पत्ति

न्दुस्तानी संगीत में प्राचीनकाल से ही वाद्यों का विशेष स्थान रहा है । गायन एवं वादन के समय विभिन्न वाद्ययन्त्रों की सहायता से लयबद्ध संगीत एवं आकर्षण उत्पन्न किया जाता है इन वाद्ययन्त्रों की उत्पत्ति….

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पाश्चात्य विद्वानों का योगदान भारतीय संगीत में – Western Musicians Contribution

पाश्चात्य विद्वानों का योगदान

भारतीय संगीत में पाश्चात्य शास्त्रज्ञों का योगदान भारतीय संगीत में पाश्चात्य विद्वानों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है । इसे भारतीय संगीत की स्वरलिपि में विशेष रूप से देखा जा सकता है….

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आधुनिक काल में संगीत – Music in Modern Period (9\9)

आधुनिक काल में संगीत

19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में संगीत के कई ग्रन्थ लिखे गए । बंगाल के सर एस एम टैगोर ने ‘ The Universal History of Music ‘ नामक ग्रन्थ लिखा । इसी काल में रवीन्द्रनाथ टैगोर….

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दक्षिण भारतीय संगीत कला का इतिहास -Bhartiya Sangeet kala (8/9)

दक्षिण भारतीय संगीत कला

यह काल 1850 से 1947 ई . तक का है । इस काल के आरम्भ मे ही संगीत के पतन की ओर अग्रसर हो रहा था । अंग्रेज भारतीय संगीत को अच्छा दृष्टि से नहीं देखते थे । उस समय में संगीत….

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