राग उपयोगिता का सिद्धान्त – Raag Benefits

राग उपयोगिता का सिद्धान्त

संगीत का मुख्य उद्देश्य मनुष्य के मन का रंजन करना है । किसी भी प्रकार के गायन व वादन की सार्थकता वहीं सिद्ध हो जाती है , जब संगीत को सुनकर या गा – बजाकर….

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राग का अर्थ परिभाषा – Raag ka Arth / Paribhasha

राग का अर्थ परिभाषा

राग की परिकल्पना प्राचीनकाल में जाति गायन का प्रचलन था , परन्तु आधुनिक काल में राग गायन प्रचलित है या हम कह सकते हैं कि जाति गायन का स्थान आज राग गायन ने….

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ताल के 10 प्राण क्या हैं ? दस Praan of TaaL

ताल के 10 प्राण

ताल के 10 प्राण – नारद कृत ‘ संगीत मकरन्द ‘ में ताल के 10 प्राण का वर्णन इस प्रकार दिया गया है – कालो मार्ग क्रियाअंग ग्रहो जाति कला लया । यति प्रस्तार कश्चयोति ताल प्राणान् दशस्मृता ।।….

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संगीत में ताल किसे कहते हैं ? समपदी तथा विषमपदी ताल – TaaL

संगीत में ताल किसे

संगीत में ताल का मुख्य स्थान है । वास्तव में ताल ही संगीत का आधार है । जिस प्रकार मानव शरीर में प्राण तत्त्व का अभाव हो जाए , तो वह मिट्टी के समान हो जाता है , ठीक उसी प्रकार….

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संगीत उत्पत्ति का आधार – प्राकृतिक/मनोवैज्ञानिक /वैज्ञानिक/धार्मिक आधार (ॐ)

संगीत उत्पत्ति का आधार

संगीत के जन्म के सम्बन्ध में जितने भी अभिमत प्राप्त हुए हैं, वे प्रायः प्राकृतिक, धार्मिक, मनोवैज्ञानिक अभिमत से प्राप्त तथ्य है, जिनके पूर्णरूप प्रभाव एवं साक्ष्य …

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स्वतन्त्रता पश्चात् भारतीय संगीत का पश्चिमी देशों में प्रसार – Indian music

स्वतन्त्रता पश्चात् भारतीय संगीत

भारत में वर्ष 1947 में स्वतन्त्रता के बाद जब से अपनी राष्ट्रीय सरकार स्थापित हुई तब से देश में संगीत का प्रचार तीव्र गति से बढ़ रहा है । स्कूल और संगीत कॉलेजों के पाठ्यक्रम में संगीत विषय….

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संगीत का सम्बन्ध विषयों से( अन्य विषय ) Different Subjects and Music

संगीत का सम्बन्ध विषयों

– प्राचीनकाल में शिक्षा सभी विषयों को पृथक् – पृथक् करके दी जाती थी । लेकिन जैसे – जैसे शिक्षा दर्शन के क्षेत्र का विकास हुआ , तो यह धारणा विकसित हुई है कि सभी विषयों में कहीं न कहीं समान तत्त्व….

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कला के 64 प्रकार- कामसूत्र के रचयिता : वात्स्यायन – Kala ke 64 Prakar

कला के 64 प्रकार

वात्स्यायन या मल्लंग वात्स्यायन प्राचीन भारतीय दार्शनिक थे , जिनका समय गुप्तवंश के समय ( छठी शताब्दी से सातवीं शताब्दी ) माना जाता है । उन्होंने ‘ कामसूत्र ‘ और ‘ न्यायसूत्र भाष्य आदि ग्रन्थों….

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सौन्दर्यशास्त्र क्या है ? What is Aesthetics in Music ?

सौन्दर्यशास्त्र

सौन्दर्य का अर्थ है – इन्द्रिय सुख की चेतना । सौन्दर्यशास्त्र मानव की कला , चेतना और तत्सम्बन्धी आनन्दानुभूति का विवेचन व विश्लेषण प्रस्तुत करता है । मनुष्य जीवन….

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स्वर , लय, ताल और रस का सम्बन्ध – Taal and Ras Siddhant

लय ताल और रस

स्वर , लय और ताल से रस का सम्बन्ध – शब्द , लय , स्वर और ताल मिलकर संगीत में रस की उत्पत्ति करते हैं । साहित्य में छन्द की विविधता एवं संगीत में ताल और लय के सामंजस्य….

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भाव और रस- Bhaw and Ras

भाव और रस

नाट्य सिद्धांत के एक प्राचीन ग्रंथ ( कार्य ) नाट्यशास्त्र में भरतमुनि द्वारा रस के साथ – साथ भाव को भी खूबसूरती से चित्रित किया गया है । रस का आस्वाद भाव के माध्यम से प्रेषक के हृदय….

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संगीत और रस – Music and Ras

संगीत और रस

संगीत एवं रस स्वरों को उच्च और दीप्त करने से व लय के द्रुत स्वरों के अपकर्ष आदि से हास्य , शृंगार , करुण , वीर , रौद्र , अद्भुत , भयानक तथा वीभत्स आदि रसों की सृष्टि में सहायता….

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