ध्रुपद गायन शैली शास्त्रीय संगीत की प्राचीन गायन शैली है । प्राचीन प्रबन्ध गायकी से ही ध्रुपद गायकी की उत्पत्ति मानी जाती है । स्वर , ताल , शब्द एव लय युक्त शैली ध्रुपद कहलाती है….
भारतीय संगीत में प्रबन्ध एक प्राचीन गायन शैली है । भरतकाल में ध्रुवगीत का अस्तित्व था और इससे पूर्व शुद्ध गाथा , पाणिका , नायक गीत शैलियों थीं । मतंग के समय में प्रबन्ध गीत – शैली….
गायन के 22 प्रकार- दोस्तों/ पाठकों गायन एक ऐसी क्रिया है जिसमें , स्वर की सहायता से संगीतमय ध्वनि उत्पन्न की जाती है । गायन को कण्ठ संगीत भी कहते हैं अर्थात् जो कण्ठ….
प्राचीनकाल से ही वाद्यों का प्रयोग , संगीत की गायन व नृत्य विधा की परिपूर्ण करने में सक्षम है । गायन व नृत्य की सफलता में वाद्यों का अत्यावश्यक सहकर्मिता रहती है….
न्दुस्तानी संगीत में प्राचीनकाल से ही वाद्यों का विशेष स्थान रहा है । गायन एवं वादन के समय विभिन्न वाद्ययन्त्रों की सहायता से लयबद्ध संगीत एवं आकर्षण उत्पन्न किया जाता है इन वाद्ययन्त्रों की उत्पत्ति….
भारतीय संगीत में पाश्चात्य शास्त्रज्ञों का योगदान भारतीय संगीत में पाश्चात्य विद्वानों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है । इसे भारतीय संगीत की स्वरलिपि में विशेष रूप से देखा जा सकता है….
19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में संगीत के कई ग्रन्थ लिखे गए । बंगाल के सर एस एम टैगोर ने ‘ The Universal History of Music ‘ नामक ग्रन्थ लिखा । इसी काल में रवीन्द्रनाथ टैगोर….
यह काल 1850 से 1947 ई . तक का है । इस काल के आरम्भ मे ही संगीत के पतन की ओर अग्रसर हो रहा था । अंग्रेज भारतीय संगीत को अच्छा दृष्टि से नहीं देखते थे । उस समय में संगीत….
मध्यकालीन संगीत का इतिहास सामान्यतः 8 वीं से 18 वीं सदी के काल को मध्यकाल माना जाता है , किन्तु संगीत की दृष्टि से संगीत रत्नाकर के बाद अर्थात् 13 वीं से 18 वीं सदी के….
वैदिक साहित्य की प्राचीन परम्परा के सुरक्षार्थ जिस वेदान्त साहित्य का सृजन हुआ , उनमें शिक्षा ग्रन्थ विशेष है । शिक्षा ग्रन्थों में छः विषयों का निरूपण प्राप्त होता है….