अध्याय 1 – “ गायन ” | गायन की 22 शैली
गायन के 22 प्रकार- दोस्तों/ पाठकों गायन एक ऐसी क्रिया है जिसमें , स्वर की सहायता से संगीतमय ध्वनि उत्पन्न की जाती है । गायन को कण्ठ संगीत भी कहते हैं अर्थात् जो कण्ठ से उत्पन्न होता है ।
प्राचीन से आधुनिक काल तक प्रचलित ध्रुपद , ख्याल , धमार जैसी शास्त्रीय एवं कजरी , टप्पा जैसी अर्द्धशास्त्रीय गायन शैलियों के अन्तर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है ।
भारतीय संगीत में प्रमुख रूप से लोकसंगीत , शास्त्रीय संगीत तथा उपशास्त्रीय संगीत का प्रचलन रहा है । संगीत के इतिहास से यह ज्ञात होता है कि संगीत की दो मुख्य श्रेणियाँ लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत ही हैं , किन्तु इनके मिश्रण से या थोड़ा – बहुत परिवर्तन करके उप – शैलियाँ जैसे उपशास्त्रीय संगीत का प्रचलन भी किसी – न – किसी रूप में होता रहा है तथा इनका सम्बन्ध लोक और शास्त्रीय संगीत परम्परा से जुड़ा चला रहा है ।
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शास्त्रीय संगीत का पुरातन पक्ष प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है । इसके अन्तर्गत विभिन्न गायन शैलियों परम्परा को देखा जा सकता है ; जैसे- प्राचीनकाल में प्रबन्ध गायन व आधुनिक काल में ध्रुपद , धमार , टप्पा , ख्याल , ठुमरी आदि प्रमुख है । उत्तर भारतीय गायन शैली में विभिन्न शैलियों का प्रबन्ध किया गया ।
गायन शैली क्या है ? Gayan Shaili के प्रकार ? Thumri, Khayal, Dhrupad, Tarana
पाठकों यूँ तो ठीक ऊपर दिए गए Link में आपको गायन शैली के प्रकार में इनमे से कुछ प्रकार मिल जाएंगे पर नीचे दिए गए गायन के 22 प्रकार में हम इसे ज़रा विस्तार से जानेंगे । आइये जानते हैं –
गायन के 22 प्रकार
- गायन
- प्रबंध गायन शैली
- ध्रुपद गायन शैली
- धमार गायन शैली
- सादरा गायन शैली
- ख्याल गायन शैली
- तराना
- त्रिवट
- चतुरंग
- सरगम
- लक्षण गीत
- रागसागर या रागमाला
- ठुमरी
- दादरा
- टप्पा
- होरी या होली
- चैती
- कजरी या कजली
- सुगम संगीत
- गीत
- भजन
- ग़ज़ल
आपने इस श्रृंखला का पहला अध्याय ” गायन ” के बारे में जाना, अगले अध्याय में हम प्रबंध गायन के बारे में जानेंगे ।
इसलिए आगे आने वाली जानकारियों और गायन शैली के 22 प्रकार के बारे में जानने के लिए Subscribe करें , Share करें अपने मित्रों के बीच और जुड़े रहे सप्त स्वर ज्ञान के साथ, धन्यवाद ।
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