रागों का समय सिद्धांत Raag Time अध्वदर्शक स्वर, परमेलप्रवेशक राग

रागों का समय सिद्धांत

रागों का समय निर्धारण कैसे किया जाता है ? समय के अनुसार राग की दशा जानने में या रागों के समय निर्धारण में ” अध्वदर्शक स्वर ” और ” परमेलप्रवेशक राग ” को समझ कर आप आसानी से जान सकते हैं कि किसी राग का गायन समय कब होता है? या कौन सा राग कब गाया जाता है ?….

Share the Knowledge

राग बसन्त का परिचय, विशेषता, Raag Basant

राग बसन्त का परिचय

रागबसंत की उत्पत्ति पूर्वी थाट से मानी गयी है । इसमें दोनों मध्यम तथा रिषभ – धैवत कोमल प्रयोग किये जाते हैं । आरोह में रिषभ और पंचम वर्ज्य है , अतः इस राग की जाति ओडव – सम्पूर्ण है । वादी स्वर सां और सम्वादी प है । गायन – समय रात्रि का अंतिम प्रहर है ।….

Share the Knowledge

राग विभास का परिचय Raag Vibhas ka Parichay

राग विभास

इस राग की उत्पत्ति भैरव थाट से मानी जाती है । इसमें मध्यम और निषाद स्वर वर्ज्य हैं , अतः इस राग की जाति औडव – औडव है । रिषभ (रे) और धैवत (ध ) कोमल तथा अन्य स्वर शुद्ध हैं । वादी धैवत और सम्वादी ऋषभ है । गायन – समय दिन का प्रथम प्रहर….

Share the Knowledge

राग चन्द्रकौंस का परिचय Raag Chandrakauns

राग चन्द्रकौंस

इसे भैरवी थाट जन्य माना गया है । इसमें गंधार और धैवत स्वर कोमल लगते हैं । रे और प स्वर पूर्णतया वर्ज्य है , अतः इसकी जाति औडव – औडव है । वादी म और सम्वादी सा है । गायन – समय मध्य रात्रि है। राग चन्द्रकौंस की विशेषता….

Share the Knowledge

राग मांड का परिचय ” पधारो म्हारे देश (राजस्थान)” Raag Maand

राग मांड

इस राग का राजस्थान से क्या रिश्ता है । राजस्थानी मांड यहाँ की मिट्टी में समाया हुआ राग है । आपने यहाँ का बेहद लोकप्रिय यह गाना जरूर ही सुना होगा ” पधारो म्हारे देस ” । यह राग मांड पर ही आधारित है। मांड को बिलावल थाट जन्य माना गया है ।….

Share the Knowledge

राग पहाड़ी का परिचय और हिंदी फ़िल्मी गीत in Bollywood – Raag Pahadi

राग पहाड़ी

इस राग की उत्पत्ति बिलावल थाट से और इसे औडव जाति का राग माना गया है । बॉलीवुड सिनेमा के 50% से ज्यादा बेहतरीन गानें इसी राग में बनाये गए हैं – जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा, लग जा गले, कभी कभी मेरे दिल में…..

Share the Knowledge

राग आसा का परिचय (ਰਾਗ ਆਸਾ) हिंदी में – Raag Asa in Hindi

राग आसा

राग आसा का परिचय और गुरमत संगीत राग आसा बिलावल थाट जन्य राग माना जाता है । यह चंचल प्रकृति का राग है । आरोह में ग …

Read more

Share the Knowledge

राग रागेश्वरी का परिचय Raag Rageshwari ka Parichay

राग रागेश्वरी का परिचय

राग रागेश्वरी का जन्म खमाज थाट से माना गया है । प स्वर बिल्कुल वर्ज्य है और आरोह में रे वर्जित है । राग की जाति औडव – षाडव है । इसमें ग वादी तथा नि सम्वादी है । समप्रकृति राग- मालगुंजी और बागेश्वरी । विशेषत….

Share the Knowledge

राग झिंझौटी का परिचय in Hindi Raag Jhinjhoti ka Parichay

राग झिंझौटी का परिचय

खमाज थाट जन्य झिंझौटी राग में निषाद कोमल प्रयोग किया जाता है और शेष स्वर शुद्ध हैं । कभी – कभी कोमल गंधार भी प्रयोग करते हैं, राग झिंझोटी एक चंचल प्रकृति का राग है इस कारण यह राग वाद्य यन्त्रों के साथ ठीक मेल खाता है ।….

Share the Knowledge

राग रागिनी वर्गीकरण के मत shiv, krisna, bharat, hanuman-Raag Ragini

राग रागिनी

राग रागिनी वर्गीकरण – मध्यकाल की यह ख़ास बात थी कि कुछ रागों को स्त्री तो कुछ को पुरूष मानकर रागों की वंश – परम्परा मानी गई । इसी विचारधारा के आधार पर राग – रागिनी पद्धति का जन्म हुआ । राग रागिनी वर्गीकरण के 4 मत….

Share the Knowledge

राग कलावती का परिचय Raag Kalavati ka Parichay in Hindi

राग कलावती का परिचय

राग कलावती के प्रमुख बिंदु इस राग कलावती को खमाज थाट के अन्तर्गत रक्खा गया है । इसमें निषाद कोमल तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते …

Read more

Share the Knowledge

राग जनसम्मोहिनी का परिचय raag Janasammohini ka Parichay

राग जनसम्मोहिनी

राग जनसम्मोहिनी संक्षिप्त परिचय Raag Janasammohini राग जनसम्मोहिनी के महत्वपूर्ण बिंदु राग जनसम्मोहिनी को खमाज थाट में रक्खा गया है । कोमल निषाद के अलावे शेष स्वर …

Read more

Share the Knowledge