राग अड़ाना – रात्रि प्रहर Raag Adana song : आप की नज़रों ने समझा

राग अड़ाना

राग अड़ाना श्लोक – कोमल ग – ध दोउ निषाद , मानत स – प सम्वाद । तृतीय रात्रि गावत गुनिजन , चढ़त न ग लगात ।। राग अड़ाना का संक्षिप्त विवरण . अड़ाना की उत्पत्ति आसा….

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राग ललित परिचय – Raag Lalit Parichay

राग ललित परिचय

पूर्वी थाट जन्य राग ललित में धैवत और रिषभ कोमल तथा दोनों मध्यमों का प्रयोग होता है ।
आरोह – अवरोह दोनों में पंचम पूर्ण रूप से वर्ज्य होने से राग की जाति षाडव – षाडव मानी जाती है । वादी स्वर शुद्ध मध्यम तथा सम्वादी षडज है । गायन – समय दिन का प्रथम प्रहर है….

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राग पूरियाधनाश्री – Raag Puriya Dhanashri

राग पूरियाधनाश्री

पूरियाधनाश्री राग को पूर्वी थाट जन्य राग माना गया है । इसमें ऋषभ , धैवत कोमल तथा तीव्र मध्यम प्रयोग किया जाता है । वादी पंचम तथा सम्वादी षडज है । राग की जाति सम्पूर्ण सम्पूर्ण है….

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राग हिंडोल परिचय – Raag Hindol Parichay

राग हिंडोल का परिचय

इस राग की उत्पत्ति कल्याण थाट से मानी गई है । इसमें मध्यम स्वर तीव्र तथा अन्य शेष स्वर शुद्ध लगते हैं । ऋषभ और पंचम स्वर वर्ज्य होने से इस राग की जाति ओडव – ओडव है ।….

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आश्रय राग की परिभाषा – ( जन्य राग / Janya Raag, Ashray Raag )

आश्रय राग

आश्रय राग किसे कहते हैं ?
उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में प्रत्येक थाट का नाम उस थाट से उत्पन्न होने वाले किसी राग – विशेष ‘ जन्य राग ‘ के नाम पर ही देखा जाता है । जिस जन्य राग ( उत्पन्न होने वाले राग ) का नाम थाट को दिया जाता….

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राग दरबारी कान्हड़ा परिचय – Raag Darbari Kanada

राग दरबारी कान्हड़ा

इस राग की रचना आसावरी थाट से मानी गई है । ग , ध और नि स्वर सदैव कोमल लगते हैं । राग की जाति वक्र सम्पूर्ण है । गायन – समय मध्य रात्रि है । वादी स्वर ऋषभ और सम्वादी पंचम है । हिंदी फ़िल्मी गीत- आप की नज़रों ने समझा, सरफरोशी की तमन्ना, पग घूंगरू बांध मीरा नाची थी….

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राग सौन्दर्य और बंदिश सौन्दर्य – सौन्दर्य के आधार तत्व- Raag, Bandish Saundarya

राग सौन्दर्य और बंदिश सौन्दर्य

राग सौन्दर्य और बंदिश सौन्दर्य के आधार तत्व थाट और राग में अंतर, गुण, उत्त्पत्ति तथा परिभाषा क्या है ? That and Raag प्रदर्शन की दृष्टि से …

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राग रामकली का परिचय – Raag Ramkali

राग रामकली

क्रमिक पुस्तक मालिका ( प्रथम हिन्दी संस्करण ) के चौथे पृष्ठ 312 पर पंडित विष्णु नारायण भातखंडे जी लिखते हैं ‘ रामकली का वादी स्वर कोई धैवत मानता है तो कोई पंचम । सम्वादी रिषभ सर्व – सम्मति से है ।….

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राग पूरिया का परिचय, विशेषता, Raag Puriya

राग पूरिया

इस राग की उत्पत्ति मारवा थाट से मानी गई है । इसमें कोमल ऋषभ तथा तीव्र मध्यम स्वर प्रयोग किये जाते हैं । प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों में इस राग का कोई उल्लेख नहीं मिलता है । अतः बहार राग के समान इसे भी यावनिक राग कहा जा….

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राग छायानट का परिचय -Raag Chhayanat

राग छायानट

इस राग की उत्पत्ति कल्याण थाट से मानी गई है । इसमें दोनों मध्यम प्रयोग किये जाते हैं । आरोह – अवरोह दोनों में सातों स्वर लगाते हैं , Raag Chhayanat Hindi Songs – मुझसे नाराज़ हो तो(sonu nigam), चंदा रे, जा रे जा रे – Film – ज़िद्दी….

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राग शुद्ध कल्याण और देशकार की तुलना Raag Shuddh Kalyan, Deshkar

राग शुद्ध कल्याण

शुद्ध कल्याण राग पर आधारित बने गानों तथा गजलों के बारे में जानकर आप इस राग को पसंद किये बिना नहीं रह सकेंगे । जहां डाल डाल पे सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा, तुम इतना जो मुस्करा रहे हो, क्या गम है जिसको छुपा रहे हो….

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राग वर्गीकरण का इतिहास काल – Raga/Raag Classification

राग वर्गीकरण

वर्गीकरण का इतिहास काल ( प्राचीन काल ) – जाति वर्गीकरण, ग्राम – राग वर्गीकरण, दस विधि राग- वर्गीकरण, भाषा , विभाषा और अन्तर्भाषा, रागांग , क्रियांग और उपांग, (मध्य काल) शुद्ध , छायालग और संकीर्ण , राग – रागिनी पद्धति (आधुनिक काल) थाट – राग वर्गीकरण,….

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