राग दरबारी कान्हड़ा परिचय – Raag Darbari Kanada

राग दरबारी कान्हड़ा

इस राग की रचना आसावरी थाट से मानी गई है । ग , ध और नि स्वर सदैव कोमल लगते हैं । राग की जाति वक्र सम्पूर्ण है । गायन – समय मध्य रात्रि है । वादी स्वर ऋषभ और सम्वादी पंचम है । हिंदी फ़िल्मी गीत- आप की नज़रों ने समझा, सरफरोशी की तमन्ना, पग घूंगरू बांध मीरा नाची थी….

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थाट के राग – 10 थाटों से उत्पन्न रागों के नाम – Thaat

थाट के राग

थाटों से ही राग की उत्पत्ति हुई है । 12 स्वर समूह में से किन्ही ख़ास 7 स्वर के चुनाव के फलस्वरूप राग का जन्म होता है । ठाट के पहचान के लिए – 7 ख़ास स्वरों के समूह से जो राग बना उस थाट / ठाट का नाम भी उस राग के अनुसार….

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सारणा चतुष्टयी – श्रुति पर प्रयोग, भरत मुनि के द्वारा (Sarna Chatushtayi- Bharat)

सारणा चतुष्टयी

अपनी पुस्तक ‘ नाट्य शास्त्र ‘ में भरत मुनि ने श्रुति पर किये गये एक प्रयोग का वर्णन किया है । इस प्रयोग का नाम है ‘ सारणा चतुष्टयी ‘ यह प्रयोग मोटे तौर से चार भागों में विभक्त है । प्रत्येक भाग को सारणा और सम्पूर्ण प्रयोग को सारणा चतुष्टयी की संज्ञा दी ।….

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राग सौन्दर्य और बंदिश सौन्दर्य – सौन्दर्य के आधार तत्व- Raag, Bandish Saundarya

राग सौन्दर्य और बंदिश सौन्दर्य

राग सौन्दर्य और बंदिश सौन्दर्य के आधार तत्व थाट और राग में अंतर, गुण, उत्त्पत्ति तथा परिभाषा क्या है ? That and Raag प्रदर्शन की दृष्टि से …

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पारंपरिक लोक संगीत का अध्ययन- Traditional Lok Sangeet

पारंपरिक लोक संगीत

पारंपरिक लोक संगीत से तात्पर्य है कि जो संगीत जनमानस के मन का रंजन करे, लोकसंगीत मन के अनछुए भावों की अभिव्यक्ति करने में सक्षम होता है । वह अभिव्यक्ति , खुशी , व्यथा , विस्मय , आल्हाद , भक्ति और वात्सल्य किसी….

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राग रामकली का परिचय – Raag Ramkali

राग रामकली

क्रमिक पुस्तक मालिका ( प्रथम हिन्दी संस्करण ) के चौथे पृष्ठ 312 पर पंडित विष्णु नारायण भातखंडे जी लिखते हैं ‘ रामकली का वादी स्वर कोई धैवत मानता है तो कोई पंचम । सम्वादी रिषभ सर्व – सम्मति से है ।….

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राग पूरिया का परिचय, विशेषता, Raag Puriya

राग पूरिया

इस राग की उत्पत्ति मारवा थाट से मानी गई है । इसमें कोमल ऋषभ तथा तीव्र मध्यम स्वर प्रयोग किये जाते हैं । प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों में इस राग का कोई उल्लेख नहीं मिलता है । अतः बहार राग के समान इसे भी यावनिक राग कहा जा….

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राग छायानट का परिचय -Raag Chhayanat

राग छायानट

इस राग की उत्पत्ति कल्याण थाट से मानी गई है । इसमें दोनों मध्यम प्रयोग किये जाते हैं । आरोह – अवरोह दोनों में सातों स्वर लगाते हैं , Raag Chhayanat Hindi Songs – मुझसे नाराज़ हो तो(sonu nigam), चंदा रे, जा रे जा रे – Film – ज़िद्दी….

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वाद्य वृंद / वृंद वादन का महत्व – Vadya Vrinda (आर्केस्ट्रा/ Orchestra)

वाद्य वृंद

Akashvani Vadya Vrinda वाद्य यंत्रों के प्रकार, वर्गीकरण (तंतु वाद्य, सुषिर वाद्य, घन वाद्य, अवनद्ध वाद्य) Musical Instruments Types & Classification वाद्य वृंद के वाद्य / Instruments …

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राग शुद्ध कल्याण और देशकार की तुलना Raag Shuddh Kalyan, Deshkar

राग शुद्ध कल्याण

शुद्ध कल्याण राग पर आधारित बने गानों तथा गजलों के बारे में जानकर आप इस राग को पसंद किये बिना नहीं रह सकेंगे । जहां डाल डाल पे सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा, तुम इतना जो मुस्करा रहे हो, क्या गम है जिसको छुपा रहे हो….

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माण्डूकी शिक्षा नारदीय शिक्षा- Manduki Shiksha , Nardiya Shiksha

माण्डूकी शिक्षा नारदीय शिक्षा

माण्डूकी शिक्षा -मोर षड्ज में बोलता है । गौ ऋषभ में रम्भाती है । बकरी गान्धार में बोलती है । क्रौंच पक्षी मध्यम में बोलता है…
नारदीय शिक्षा-अंगूठे के बाहर क्रुष्ट स्वर होता है । अँगूठे में मध्यम स्वर होता है । अंगूठे के बाद वाली उँगली पर गान्धार स्वर , बीच वाली…

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राग वर्गीकरण का इतिहास काल – Raga/Raag Classification

राग वर्गीकरण

वर्गीकरण का इतिहास काल ( प्राचीन काल ) – जाति वर्गीकरण, ग्राम – राग वर्गीकरण, दस विधि राग- वर्गीकरण, भाषा , विभाषा और अन्तर्भाषा, रागांग , क्रियांग और उपांग, (मध्य काल) शुद्ध , छायालग और संकीर्ण , राग – रागिनी पद्धति (आधुनिक काल) थाट – राग वर्गीकरण,….

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