राग शुद्ध कल्याण related Hindi Film Songs and Ghazals की अगर हम बात करें तो इस राग पर आधारित बने गानों तथा गजलों के बारे में जानकर आप इस राग को पसंद किये बिना नहीं रह सकेंगे । अभिनेत्री नरगिश पर फिल्माया गया ब्लैक एंड वाइट फिल्म सीमा का गाना ‘तेरा जाना दिल के अरमानों का लुट जाना’ , लता मंगेशकर की आवाज़ में गाया गया दर्द भरा गीत, इसको सुनकर आप भावविभोर होने से खुद को रोक नहीं पाओगे । ऐसे कई बेहतरीन गानें हैं । गानों की सूची इस लेख में सबसे आखिरी में दी गयी है ।
राग शुद्ध कल्याण श्लोक – कोमल रिखबरु धैवतहि , सुर मनि बिना उदास । वादी ध सम्वादी रे , ओडव राग विभास ।।
विषय - सूची
राग शुद्ध कल्याण परिचय
संक्षिप्त विवरण- इसे कल्याण थाट से उत्पन्न माना गया है । इसके आरोह में म , नि तथा अवरोह में म वर्ज्य माना जाता है , अतः इसकी जाति ओडव – षाडव है । निषाद स्वर अल्प है ।
वादी स्वर – गन्धार और सम्वादी स्वर – धैवत है ।
इसका गायन – समय रात्रि का प्रथम प्रहर है ।
इसके सभी स्वर शुद्ध हैं ।
आरोह– सा रे ग प ध सां ।
अवरोह– सां नि ध प , प ग , प रे सा ।
पकड़– सारेगरेसारेग ऽ परे ऽ सा , नि ध नि ध प ।
विशेषता
विशेषता ( 1 ) शुद्ध कल्याण की उत्पत्ति भूपाली और कल्याण के मेल से हुई है । आरोह भूपाली और अवरोह कल्याण का है । अवरोह में में अति अल्प है । इसलिये अवरोह की जाति में में की गणना , नहीं की गई है । इसमें भूपाली और कल्याण का मिश्रण होने के कारण कुछ विद्वान इसे भूपकल्याण भी कहते हैं ।
( 2 ) प रे की कण युक्त संगति इसकी प्रमुख विशेषता है । पीछे हम बता चुके हैं कि छायानट में प रे की संगति का विशेष महत्व है । जहाँ तक केवल प रे की संगति का प्रश्न है , राग छायानट और शुद्ध कल्याण में अन्तर यह है कि छायानट में प से रे को आते समय मींड जैसे- प रे और शुद्ध कल्याण में कण का प्रयोग करते हैं जैसे ग ऽ परे ऽ सा ।
( 3 ) यह गंभीर प्रकृति का राग है । इसकी चलन मन्द्र , मध्य तथा तार तीनों सप्तकों में अच्छी प्रकार से होती है ।
( 4 ) इसमें निषाद स्वर अल्प है । कुछ गायक इसे पूर्णतया वर्ण्य कर देते हैं , कुछ केवल मींड में और कुछ इसका स्पष्ट प्रयोग करते हैं । नि का प्रयोग अधिक हो जाने से कल्याण राग की छाया आने की आशंका रहती है । इसलिये जो गायक शुद्ध कल्याण में निषाद का स्पष्ट प्रयोग करते हैं , वे इसे मंद्र की तुलना में मध्य सप्तक में कम प्रयोग करते हैं । नि पूर्णतया वयं करने से जैत कल्याण की छाया आ सकती है ।
( 5 ) पीछे यह बताया जा चुका है कि इसमें मध्यम स्वर बिल्कुल वर्ण्य है , किन्तु अवरोह में प से ग तक मींड लेते समय तीव्र मध्यम का आभास दिखाया जाता है । यह स्वर – समुदाय कल्याण थाट का रागवाचक अंग है । इस प्रकार तीव्र मध्यम का अल्प प्रयोग और वह भी मींड के साथ होता है , अतः आरोह – अवरोह तथा राग की जाति में इसकी गणना नहीं की जा सकती है ।
न्यास के स्वर– सा , रे , ग और प ।
समप्रकृति राग– भूपाली
शुद्ध कल्याण- ग ऽ प रे ऽ सा , नि ध नि ध प । भूपाली- सा रे ग प ग , रे ग ऽ रे सा रे ध सा ।
मतभेद- अवरोह के विषय में विद्वानों में मतभेद है । कुछ विद्वान इसमें म वर्ण्य कर ओडव जाति का , कुछ आरोह में म नि और अवरोह में केवल म वयं कर ओडव – षाडव जाति का तथा कुछ अवरोह में सातो स्वर प्रयोग करके ओडव – संपूर्ण जाति का राग मानते हैं । आरोह की जाति के विषय में कोई मतभेद नहीं है ।
विशेष स्वर – संगतियाँ
विशेष स्वर – संगतियाँ
1. सा नि ध नि ऽ ध प , प निध सा ।
2. ग रे सा रे ग , पर 5 सा ।
3. प ग , पर 5 सा ।
Note:- राग शुद्ध कल्याण में प्रयोग किये गए सभी स्वर शुद्ध हैं ।
राग शुद्ध कल्याण – आलाप
आलाप
1. सा , गरे ( सा ) निध नि ध प , प निध सा , रे सा रे ग रे ग रे , ग रे सा रे ग रे , सा नि ध प ऽ सा । निध सा ऽ रे ग रे , रे ग , रे सा रे , रे , नि ध ग , सारेगरे
2. प सा रे ग ग , प ग , रे ग प ग प पर , सा नि ध सा ।
3. सा , रे सा , ग रे सा ध प , प प ध प सा , ग रे सा , रे , ग रे , प ग , ध प ग , सा रे ग प ग , रे ग , सा रे प ग , ध प ग , ( प ) ग रे सा प प प ग , ग पधसां नि ध प ग , प ग ध प ग , ग ऽ परे , सा ।
4. ग , ग प , ग प ध प , प ग , सा रे ऽ रे ग ऽ गपऽ निध प , प ग नि ध प , ( प ) प ग सारेगपध प ग , रे ग प ग , सारेग , पर सा , नि ध प सा ।
5. सां ध सां , सां रेंगरेंसां रे सां , ( सां ) नि ध नि ध प , ग प ध सां , रेंऽ सां , रेंगरेंसां , सारेंगरे सां , पं गं , पं रें सां , सारेंग रें सां , रें गं रे सां , रें सां नि ध प , प ग , ध प ग , सा रे ग प ग , पर ऽ सा , सारेगरे सा ध प सा ।
राग शुद्ध कल्याण – तान
तानें
( 1 ) सारे गरे सारे गरे सानि धप पप सासा रेरे गरे गप रेरे सा ।
( 2 ) शुद्ध कल्याण के अवरोह में अल्प नि प्रयुक्त होता है , किन्तु भूपाली में वर्ण्य है ।
( 3 ) भूपाली की तुलना में ऋषभ और पंचम स्वर शुद्ध कल्याण में प्रमुख हैं ।
( 4 ) भूपाली का अवरोह ओडव जाति का और शुद्ध कल्याण का अवरोह षाडव जाति का है ।
( 5 ) भूपाली की अपेक्षा शुद्ध कल्याण में मन्द्र सप्तक का काम अधिक होता है ।
( 6 ) भूपाली स्वतः एक स्वतंत्र राग है और भूपाली व कल्याण का मिश्रित रूप शुद्ध कल्याण है ।
राग शुद्ध कल्याण और देशकार की तुलना समता
राग शुद्ध कल्याण और देशकार की तुलना समता
( 1 ) दोनों का आरोह समान है ।
( 2 ) दोनों का प्रत्येक स्वर शुद्ध है ।
( 3 ) कुछ विद्वानों के मतानुसार दोनों रागों में प रे की संगति होती है किन्तु यह प्रयोग शुद्ध कल्याण में सर्वसम्मति द्वारा होता है ।
( 4 ) दोनों में गंधार अन्य अनुवादी स्वरों की तुलना में प्रमुख है ।
राग शुद्ध कल्याण और देशकार में विभिन्नता
विभिन्नता
( 1 ) शुद्ध कल्याण की उत्पत्ति कल्याण थाट से और देशकार की बिलावल थाट से मानी गई है ।
( 2 ) शुद्ध कल्याण रात्रि कालीन और देशकार प्रातःकालीन राग है ।
( 3 ) शुद्ध कल्याण में ग वादी व ध सम्वादी और देशकार में ध वादी व ग सम्वादी माना जाता है ।
( 4 ) शुद्ध कल्याण पूर्वांग प्रधान राग और देशकार उत्तरांग प्रधान राग है ।
( 5 ) शुद्ध कल्याण में प रे की संगति सर्वसम्मति से होती है , किन्तु देशकार में प रे की संगति सर्वसम्मति से नहीं होती है ।
( 6 ) शुद्ध कल्याण में मन्द्र सप्तक का काम खूब होता है , किन्तु इसके विपरीत देशकार में मध्य सप्तक का उत्तरांग और तार सप्तक का काम खूब होता है और मंद्र सप्तक का प्रयोग बिल्कुल नहीं के बराबर होता है ।
( 7 ) देशकार ओडव जाति का और शुद्ध कल्याण ओडव – षाडव जाति का राग है ।
( 8 ) देशकार की अपेक्षा शुद्ध कल्याण में ऋषभ प्रमुख है । देशकार के आरोह में अधिकतर ऋषभ वर्ण्य कर देते हैं , किन्तु शुद्ध कल्याण के आरोह में ऋषभ कभी भी वर्ण्य नहीं करते ।
हिंदी फ़िल्मी गानें और ग़ज़ल – राग शुद्ध कल्याण पर आधारित
Song | Film |
तेरा जाना दिल के अरमानों का लुट जाना | – सीमा |
ओ मेरे दिल के चैन, चैन आए मेरे दिल को दुआ कीजिए | – मेरे जीवन साथी |
जहां डाल डाल पे सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा | – सिकंदर-ए-आजम |
रसिक बलमा | – चोरी चोरी |
छुपा लो यूं दिल में प्यार मेरा | – ममता |
चांद फिर निकला मगर तुम ना आए | – पेइंग गेस्ट |
लो आ गई उनकी याद वो नहीं आए | – दो बदन |
Ghazal | Singer |
बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी | – मेहदी हसन |
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी | – ग़ुलाम अली |
तुम इतना जो मुस्करा रहे हो, क्या गम है जिसको छुपा रहे हो | – कैफी आजमी की लिखी गज़ल( Jagjit singh) |
राग की जाति का नामकरण तथा वर्गीकरण Raag ki jati, Vargikaran
राग वर्गीकरण का इतिहास काल – Raga/Raag Classification
” सप्त स्वर ज्ञान ” से जुड़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद ।