राग पूरिया का परिचय, विशेषता, Raag Puriya

राग पूरिया

इस राग की उत्पत्ति मारवा थाट से मानी गई है । इसमें कोमल ऋषभ तथा तीव्र मध्यम स्वर प्रयोग किये जाते हैं । प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों में इस राग का कोई उल्लेख नहीं मिलता है । अतः बहार राग के समान इसे भी यावनिक राग कहा जा….

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राग छायानट का परिचय -Raag Chhayanat

राग छायानट

इस राग की उत्पत्ति कल्याण थाट से मानी गई है । इसमें दोनों मध्यम प्रयोग किये जाते हैं । आरोह – अवरोह दोनों में सातों स्वर लगाते हैं , Raag Chhayanat Hindi Songs – मुझसे नाराज़ हो तो(sonu nigam), चंदा रे, जा रे जा रे – Film – ज़िद्दी….

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राग शुद्ध कल्याण और देशकार की तुलना Raag Shuddh Kalyan, Deshkar

राग शुद्ध कल्याण

शुद्ध कल्याण राग पर आधारित बने गानों तथा गजलों के बारे में जानकर आप इस राग को पसंद किये बिना नहीं रह सकेंगे । जहां डाल डाल पे सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा, तुम इतना जो मुस्करा रहे हो, क्या गम है जिसको छुपा रहे हो….

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राग वर्गीकरण का इतिहास काल – Raga/Raag Classification

राग वर्गीकरण

वर्गीकरण का इतिहास काल ( प्राचीन काल ) – जाति वर्गीकरण, ग्राम – राग वर्गीकरण, दस विधि राग- वर्गीकरण, भाषा , विभाषा और अन्तर्भाषा, रागांग , क्रियांग और उपांग, (मध्य काल) शुद्ध , छायालग और संकीर्ण , राग – रागिनी पद्धति (आधुनिक काल) थाट – राग वर्गीकरण,….

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रागों का समय सिद्धांत Raag Time अध्वदर्शक स्वर, परमेलप्रवेशक राग

रागों का समय सिद्धांत

रागों का समय निर्धारण कैसे किया जाता है ? समय के अनुसार राग की दशा जानने में या रागों के समय निर्धारण में ” अध्वदर्शक स्वर ” और ” परमेलप्रवेशक राग ” को समझ कर आप आसानी से जान सकते हैं कि किसी राग का गायन समय कब होता है? या कौन सा राग कब गाया जाता है ?….

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राग बसन्त का परिचय, विशेषता, Raag Basant

राग बसन्त का परिचय

रागबसंत की उत्पत्ति पूर्वी थाट से मानी गयी है । इसमें दोनों मध्यम तथा रिषभ – धैवत कोमल प्रयोग किये जाते हैं । आरोह में रिषभ और पंचम वर्ज्य है , अतः इस राग की जाति ओडव – सम्पूर्ण है । वादी स्वर सां और सम्वादी प है । गायन – समय रात्रि का अंतिम प्रहर है ।….

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राग विभास का परिचय Raag Vibhas ka Parichay

राग विभास

इस राग की उत्पत्ति भैरव थाट से मानी जाती है । इसमें मध्यम और निषाद स्वर वर्ज्य हैं , अतः इस राग की जाति औडव – औडव है । रिषभ (रे) और धैवत (ध ) कोमल तथा अन्य स्वर शुद्ध हैं । वादी धैवत और सम्वादी ऋषभ है । गायन – समय दिन का प्रथम प्रहर….

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राग मालगुंजी का परिचय Raag Malgunji ka Parichay

राग मालगुंजी

राग मालगुंजी का परिचय – संक्षिप्त विवरण विशेषता अपवाद राग मालगुंजी का परिचय आलाप राग मालगुंजी का परिचय तानें राग विभास का परिचय Raag Vibhas ka Parichay …

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राग चन्द्रकौंस का परिचय Raag Chandrakauns

राग चन्द्रकौंस

इसे भैरवी थाट जन्य माना गया है । इसमें गंधार और धैवत स्वर कोमल लगते हैं । रे और प स्वर पूर्णतया वर्ज्य है , अतः इसकी जाति औडव – औडव है । वादी म और सम्वादी सा है । गायन – समय मध्य रात्रि है। राग चन्द्रकौंस की विशेषता….

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राग गोरख कल्याण का परिचय Raag Gorakh Kalyan

राग गोरख कल्याण

राग गोरख कल्याण बेहद ही मधुर राग है – यह राग खमाज थाट से उत्पन्न माना गया है । इसमें निषाद (नि) कोमल तथा शेष स्वर का शुद्ध रूप उपयोग करते हैं । आरोह में गंधार और पंचम वर्ज्य तथा अवरोह में केवल गन्धार वर्ज्य होने से इसकी जाति औडव – षाडव है । वादी स्वर षडज और….

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राग मांड का परिचय ” पधारो म्हारे देश (राजस्थान)” Raag Maand

राग मांड

इस राग का राजस्थान से क्या रिश्ता है । राजस्थानी मांड यहाँ की मिट्टी में समाया हुआ राग है । आपने यहाँ का बेहद लोकप्रिय यह गाना जरूर ही सुना होगा ” पधारो म्हारे देस ” । यह राग मांड पर ही आधारित है। मांड को बिलावल थाट जन्य माना गया है ।….

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राग पहाड़ी का परिचय और हिंदी फ़िल्मी गीत in Bollywood – Raag Pahadi

राग पहाड़ी

इस राग की उत्पत्ति बिलावल थाट से और इसे औडव जाति का राग माना गया है । बॉलीवुड सिनेमा के 50% से ज्यादा बेहतरीन गानें इसी राग में बनाये गए हैं – जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा, लग जा गले, कभी कभी मेरे दिल में…..

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