प्राचीनकाल से ही वाद्यों का प्रयोग , संगीत की गायन व नृत्य विधा की परिपूर्ण करने में सक्षम है । गायन व नृत्य की सफलता में वाद्यों का अत्यावश्यक सहकर्मिता रहती है….
न्दुस्तानी संगीत में प्राचीनकाल से ही वाद्यों का विशेष स्थान रहा है । गायन एवं वादन के समय विभिन्न वाद्ययन्त्रों की सहायता से लयबद्ध संगीत एवं आकर्षण उत्पन्न किया जाता है इन वाद्ययन्त्रों की उत्पत्ति….
यह काल 1850 से 1947 ई . तक का है । इस काल के आरम्भ मे ही संगीत के पतन की ओर अग्रसर हो रहा था । अंग्रेज भारतीय संगीत को अच्छा दृष्टि से नहीं देखते थे । उस समय में संगीत….
आरम्भ के राजनैतिक आन्तरिक विघटन के कारण मुगल काल ऐसा रहा कि हम अपने अस्तित्व को सुदृढ़ नहीं रख सके । 1526 ई . में की विजय हिन्दुस्तान के कुछ हिस्सों में….
मध्यकालीन संगीत का इतिहास सामान्यतः 8 वीं से 18 वीं सदी के काल को मध्यकाल माना जाता है , किन्तु संगीत की दृष्टि से संगीत रत्नाकर के बाद अर्थात् 13 वीं से 18 वीं सदी के….
वैदिक साहित्य की प्राचीन परम्परा के सुरक्षार्थ जिस वेदान्त साहित्य का सृजन हुआ , उनमें शिक्षा ग्रन्थ विशेष है । शिक्षा ग्रन्थों में छः विषयों का निरूपण प्राप्त होता है….
वैदिक युग के पश्चात् हमें संगीत के साक्ष्य पौराणिक तथा महाकाव्य काल में भी प्राप्त होते हैं । अतः इस युग में संगीत की स्थिति को जानने के लिए हमें पुराणों , उपनिषदों , शिक्षा ग्रन्थों….
हिन्दुस्तानी संगीत का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता । इसका विकास क्रम वैदिक युग , जैन व बौद्ध काल से लेकर विभिन्न प्राचीन व मध्यकालीन राजवंशों….
वेद चार है- ऋग्वेद , यजुर्वेद , अथर्ववेद और सामवेद । आर्यों को संगीत से इतना प्रेम था , कि उन्होंने सामवेद को केवल गान करने के लिए ही बनाया था । संगीत का जन्म अ , उ , म इन तीन अक्षरों से निर्मित ओउम् / ॐ शब्द के गर्भ से हुआ, भगवद्गीता और संगीत….
मार्गी संगीत को गांधर्व संगीत भी कहते हैं । इस संगीत को मोक्ष प्राप्त करने का साधन माना जाता था । देशी संगीत को हम गान भी कहते हैं । इस संगीत का मुख्य उद्देश्य जनता का मनोरंजन करना है । मार्गी संगीत की विशेषतायें….