वीणा वाद्य यंत्र का परिचय – Veena Vadya Yantra ka Parichay

वीणा वाद्य यंत्र

वीणा भारत का ऐतिहासिक प्राचीनतम वाद्ययंत्र है जो तत वाद्यों की श्रेणी में आता है । वीणा बजाने के लिए तीन स्थितियाँ हैं । मींड, सूत , गमक , घसीट , श्रुतियों और तानों का जितना अच्छा प्रदर्शन वीणा के द्वारा हो सकता है उतना अन्य किसी वाद्य के द्वारा….

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ताल वादक के गुण दोष – Rhythm Players Merits and Demerits

ताल वादक के गुण

विद्वानों का मत है कि उपर्युक्त ताल वाद्य वादक के गुणों से रहित जिस वादक को ताल के विषय में ज्ञान न हो तथा जो अवसर , काल और शास्त्र को न समझता हो , उसे केवल ‘ चमड़ा कूटनेवाला वादक….

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बाँसुरी बजाना कैसे सीखें / Learn Flute / Bansuri kaise Bajaye ?

बाँसुरी बजाना कैसे सीखें

यह वंश परिवार का अति प्राचीन सुषिर ( फूक से बजने वाला ) वाद्य है । भगवान् कृष्ण ने अपने अधरों से लगाकर इसे अमरत्व प्रदान कर दिया है । बाँसुरी को वंशी , वेणु या मुरली भी कहते हैं, इंग्लिश में Flute कहते हैं, और बाँसुरी….

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वायलिन वाद्य यन्त्र का परिचय, अंग, मिलाने की पद्धति- Violin vadya yantra

वायलिन वाद्य यन्त्र

वाद्य यन्त्र वायलिन ( बेला ) – वायलिन ( Violin ) या बेला एक विदेशी वाद्य है । गज से बजनेवाले समस्त वाद्यों में इसे सर्वत्र प्रतिष्ठा …

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संगीत के 40 सिद्धान्त ( Hindustani Sangeet Paddhati )

पद्धति के चालीस (40) सिद्धान्त

हिन्दुस्तानी संगीत पद्धति के 40 सिद्धान्त- कर्नाटिक संगीत पद्धति की तुलना में हिन्दुस्तानी संगीत पद्धति विशेषताएँ रखती है । यही कारण है के आज मैसूर , मद्रास और कर्नाटक को छोड़कर शेष समस्त भारत में यही पद्धति प्रचलित है । यह पद्धति कुछ विशेष सिद्धान्तों पर….

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गमक के प्रकार कितने होते हैं? Types of Gamak

गमक के प्रकार

स्वरों का ऐसा कंपन , जो सुनने वालों के चित्त को सुखदायी हो , ‘ गमक ‘ कहलाता है । किसी न किसी रूप में गमक का प्रयोग हमारे वाद्य – संगीत और कंठ – संगीत में होता अवश्य है । खटका , मुर्की , ज़मज़मा , मीड़ , सूत , कंपन , गिटकरी इत्यादि की ही श्रेणी में आ….

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तान के प्रकार कितने है? Types of Taan ? Taan ke Prakar

तान के प्रकार

संगीत में तान – स्वरों का वह समूह , जिसके द्वारा राग – विस्तार किया जाता है , ‘ तान ‘ कहलाता है ; जैसे – ‘ सा रे ग म , ग रे सा ‘ इत्यादि ।
तान के प्रकार हैं – आलाप, शुद्ध तान, कूट तान, मिश्र तान, खटके की तान, झटके की तान, वक्रतान….

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नाद की परिभाषा – आहत व अनाहत Naad, तारता(Pitch) किसे कहते हैं ?

नाद की परिभाषा

आप संगीत के छेत्र से जुड़े हुए है और आप विद्यार्थी हैं तो यह और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है । नकार ‘ प्राण – वाचक ( वायु – वाचक ) तथा ‘ दकार ‘ अग्नि – वाचक है , अत : जो वायु और अग्नि के योग से उत्पन्न होता है , उसी को ‘ नाद ‘ कहते है….

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गायक के गुण अवगुण – Singer’s Merits, Demerits

गायक के गुण अवगुण

किसी गायक को अच्छा या बुरा कहना, गायक के गुण अवगुण पर निर्भर करता है । अपने गुणों में वृद्धि कर तथा अपने अवगुणों को समाप्त कर वह एक अच्छा गायक बन सकता है ।
आइये जानते हैं – गायक के 22 गुण , 25 अवगुण और कुछ अपवाद –

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वादक के गुण दोष – Musician Merits and Demerits

वादक के गुण दोष

यन्त्र वादक के गुण दोष – instrumentalist Merits and Demerits-
प्राप्त सांगीतिक ग्रंथो से प्राप्त जानकारी तथा प्राचीन ग्रन्थकारों ने वाद्य – यंत्र बजाने वालों (वादकों) के गुण दोषों का जो वर्णन किया है उसका भावार्थ इस प्रकार है :-

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वाग्गेयकार के गुण दोष – Vaggeykar’s merit Demerits

वाग्गेयकार के गुण दोष

वाग्गेयकार को साहित्य और संगीत, दोनों का उत्तम ज्ञान होना अति आवश्यक है , तभी वह पद्य – रचना और स्वर – रचना कर सकता है । ‘ संगोत रत्नाकर ‘ में वाग्गेयकार के गुणों का विस्तृत वर्णन इस प्रकार दिया है :-….

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आश्रय राग की परिभाषा – ( जन्य राग / Janya Raag, Ashray Raag )

आश्रय राग

आश्रय राग किसे कहते हैं ?
उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में प्रत्येक थाट का नाम उस थाट से उत्पन्न होने वाले किसी राग – विशेष ‘ जन्य राग ‘ के नाम पर ही देखा जाता है । जिस जन्य राग ( उत्पन्न होने वाले राग ) का नाम थाट को दिया जाता….

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