पाश्चात्य विद्वानों का योगदान भारतीय संगीत में – Western Musicians Contribution

पाश्चात्य विद्वानों का योगदान

भारतीय संगीत में पाश्चात्य शास्त्रज्ञों का योगदान भारतीय संगीत में पाश्चात्य विद्वानों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है । इसे भारतीय संगीत की स्वरलिपि में विशेष रूप से देखा जा सकता है….

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स्वतन्त्रता पश्चात् भारतीय संगीत का पश्चिमी देशों में प्रसार – Indian music

स्वतन्त्रता पश्चात् भारतीय संगीत

भारत में वर्ष 1947 में स्वतन्त्रता के बाद जब से अपनी राष्ट्रीय सरकार स्थापित हुई तब से देश में संगीत का प्रचार तीव्र गति से बढ़ रहा है । स्कूल और संगीत कॉलेजों के पाठ्यक्रम में संगीत विषय….

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सेमीटोन और टोन क्या हैं ? What is Semitone and Tone ?

सेमीटोन और टोन

सेमीटोन और टोन Semitone and Tone को भारतीय संगीत पद्धति में हम क्रमशः स्वर तथा शब्द कहते हैं । यह दो स्वरों के बीच की दूरी को बताने के लिए प्रयुक्त होता है ।
सेमीटोन और टोन का सूत्र / Formula….

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Western Staff Notation in Hindi – पाश्चात्य स्वरों का नामकरण

Western Staff Notation in Hindi

स्वर और उनके नाम पाश्चात्य संगीत में गाये जाने वाले स्वर – नाम Do (डो), Re (रे), Mi (मी), Fa (फा), SoI (सोल), La (ला), Ti/Si (सी) है और उनका लिखित नाम C , D , E , F , G , A , B हैं । इनके अलावा स्वरों के अन्य नाम भी हैं जो….

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Time Signature ( ताल ) के प्रकार, लयकारी, विशेषतायें in Western music

Time Signature

Time Signature का मतलब हिंदी में होता है ” ताल ” । western Notation System में ताल भिन्न के रूप में पाया जाता है , जैसे – 3/2 , 3/4 , 4/2 आदि जिसे टाइम सिगनेचर (Time Signature ) कहते हैं । इसे ( Clef Signature ) के बगल में लिखते….

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Western Notation System in Hindi पाश्चात्य स्वरलिपि पद्धति के प्रकार

western notation system

स्वरलिपि पद्धति से क्या लाभ है ? आदि काल से आज तक के संसार की सम्पूर्ण स्वरलिपि पद्धतियों को मुख्य 4 वर्गों में विभाजित किया जा सकता है ।
1. सोल्फा स्वरलिपि पद्धति ( Solfa Notation System ) 2. न्यूम्स स्वरलिपि पद्धति ( Neumes Notation System ) 3. ….

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