कर्नाटक संगीत भारत के शास्त्रीय संगीत की दक्षिण भारतीय शैली का नाम कर्नाटक संगीत अधिकतर भक्ति संगीत के रूप में होता है और अधिकतर रचनाएँ हिन्दू देवताओं को सम्बोधित….
रवीन्द्रनाथ टैगोर , भातखण्डे जी व उनके द्वारा रचित स्वरलिपि से अत्यधिक प्रभावित थे , परन्तु उन्हें लगा कि रवीन्द्र संगीत की गहराई को प्रकट करने में भातखण्डे स्वरलिपि समर्थ…
स्वर और उनके नाम पाश्चात्य संगीत में गाये जाने वाले स्वर – नाम Do (डो), Re (रे), Mi (मी), Fa (फा), SoI (सोल), La (ला), Ti/Si (सी) है और उनका लिखित नाम C , D , E , F , G , A , B हैं । इनके अलावा स्वरों के अन्य नाम भी हैं जो….
सम्पूर्ण और वैज्ञानिक स्वरलिपि पद्धत्ति का निर्माण, गान्धर्व महाविद्यालय की स्थापना, 50 पुस्तकों की रचना की । पण्डितजी ने गीतों में से शृंगार सम्बन्धी शब्दों को हटाकर शुद्ध राग – रागिनियों द्वारा भक्ति रस को लोकप्रिय बनाया ….
विष्णु दिगंबर पलुस्कर के द्वारा स्वरों की परिभाषाएँ . विष्णु दिगंबर पलुस्कर स्वरलिपि के चिन्ह .
उनके समय में जो बंदिशें थी या जिन बंदिशों का इन्होने निर्माण किया, उनका संग्रह किया, उनसब में हम इन्ही स्वरलिपि पद्धति को पाते हैं ….
संगीत में पठनीय चिन्हों के आविष्कारक, म्यूजिक थ्योरी, प्रैक्टिकल, आत्मसात करके, उसे लिखकर लिपिबद्ध किया . सप्तक के 7 स्वरों का वर्गीकरण तथा स्वरलिपि पद्धति का निर्माण विष्णु नारायण भातखंडे द्वारा किया गया ….
Notation System / स्वरलिपि पद्धति ) की शुरुआत और इसका विकास कैसे हुआ ?
2 महानुभावों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को लिखकर संरक्षित करने की जरूरत को समझा ….