शरण रानी जीवनी Biography in Hindi संगीत में योगदान, सम्मान Sharan Rani

शरण रानी की जीवनी Biography of Ali Akbar Khan

शरण रानी जीवनी Biography – शरण रानी का जन्म 9 अप्रैल , 1929 को दिल्ली के गैर – संगीतकार हिन्दू परिवार में हुआ । उस समय लड़कियों को संगीत के क्षेत्र में बढ़ – चढ़कर हिस्सा लेने की मनाही थी , लेकिन प्रतिकूल वातावरण होने के बावजूद भी शरण रानी ने सरोद वादन में निपुणता प्राप्त की ।

शरण रानी ने स्कूली शिक्षा के साथ – साथ संगीत की शिक्षा का रियाज भी करना शुरू किया तथा अलाउद्दीन खान एवं उनके पुत्र अली अकबर खान से सरोद बजाना सीखा ।

इन्होंने नाचन कुमार सिन्हा से मणिपुरी नृत्य तथा अचन महाराज से शास्त्रीय भारतीय नृत्य कत्थक सीखा । वर्ष 1953 में इन्होंने ‘ इन्द्रप्रस्थ कॉलेज फॉर वुमेन ‘ दिल्ली विश्वविद्यालय से एम . ए . किया । 

शरण रानी सरोद वादन के साथ – साथ गुरु – शिष्य परम्परा का निर्वहन करते हुए महान संगीतज्ञ बने , इसलिए इन्हें इनके प्रशंसक सरोद रानी कहकर सम्बोधित करते थे ।

• इनका निधन 8 अप्रैल , 2008 को दिल्ली में हो गया ।

संगीत में योगदान

  • शरण रानी ने ‘ सरोद वादन ‘ के साथ – साथ अध्यापन कार्य करना भी जारी रखा तथा भावी पीढ़ियों के लिए भारतीय संगीत विरासत को बढ़ावा देने के लिए और संरक्षित करने के लिए शरण रानी ने कई दशकों तक दुर्लभ संगीत वाद्ययन्त्रों का संग्रह किया ।
  • इन्होंने 1930 के दशक के उत्तरार्द्ध से संगीत कार्यक्रम में अपने सरोद गायन को प्रस्तुत किया । यह यूनेस्को के लिए रिकॉर्ड किया गया था और संयुक्त राज्य अमेरिका , ब्रिटेन और फ्रांस की प्रमुख रिकॉर्ड कम्पनियों ने भी इसे रिकॉर्ड किया ।
  • जवाहरलाल नेहरू के अनुसार , ” वह भारत की सांस्कृतिक राजदूत थीं । ” शरण रानी दूरदर्शन और ऑल इण्डिया रेडियो के शुरुआती कलाकारों में से एक थीं ।
  • शरण रानी ने सरोद का इतिहास लिखा जिसका शीर्षक था ‘ द डिवाइन सरोद इट्स ऑरिजिन , एण्टिकिटि एण्ड डेवलपमेण्ट ‘ , जिसे तत्कालीन उपराष्ट्रपति के . आर . नारायण द्वारा जारी किया गया ।
  • शरण रानी ने राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली को अपने जमा किए हुए कुछ दुर्लभ वाद्ययन्त्रों को दान किया था तथा राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली में एक अलग दीर्घा बनाकर उसे ‘ म्यूजिक इंस्ट्रूमेण्ट्स की शरण रानी बैकलीवाल गैलरी ‘ कहा गया ।
  • वर्ष 1980 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी ने इसे राष्ट्रीय महत्त्व के दुर्लभ संगीत वाद्ययन्त्रों का संग्रह किया है , जिनमें कुछ प्रमुख वाद्ययन्त्र हैं- मयूरी सितार ( 1850 ) जो राजस्थान के एक शाही परिवार से अधिग्रहण किया , कश्मीर से टाइगर हेड रबाब , दरबारी सितार ( 1850 ) , वीणा ( 1825 ) आदि ।

सम्मान • पुरस्कार

  • शरण रानी को उनके सरोद वादन के साथ – साथ उनके द्वारा संग्रहीत किए गए निम्न हैं कुछ प्रमुख वाद्ययन्त्रों के लिए विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया गया । जो निम्न है
    • – वर्ष 1953 में विष्णु दिगम्बर पारितोषिक
    • – वर्ष 1968 में पद्मश्री
    • – वर्ष 1974 में साहित्य कला परिषद् पुरस्कार
    • – वर्ष 1986 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
    • – वर्ष 2000 में पद्मभूषण सम्मान
    • – वर्ष 2000 में लाइफटाइम अचीवमेण्ट अवार्ड 

Advertisement
Advertisement

Advertisement
Advertisement

Share the Knowledge

Leave a Comment