अली अकबर खाँ जीवनी Biography संगीत में योगदान, पुरस्कार Ali Akbar Khan

उस्ताद अली अकबर खाँ की जीवनी Biography of Ali Akbar Khan

 अली अकबर खाँ जीवनी ● भारत के अद्वितीय सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खाँ का जन्म 14 अप्रैल , 1922 पश्चिम बंगाल के शिवपुर गाँव में हुआ था ।

  • अली अकबर खाँ ‘ मैहर घराने ‘ के भारतीय शास्त्रीय संगीतज्ञ और सरोद वादक थे । इनके पिता उस्ताद अलाउद्दीन खाँ भी एक प्रसिद्ध सरोद वादक थे ।
  • बालक अली अकबर जब केवल 3 वर्ष के थे तभी से इनके पिताजी ने इनको संगीत की शिक्षा देनी प्रारम्भ कर दी थी । इन्होंने अपने पिता से ध्रुपद , धमार , ख्याल व तराना आदि की शिक्षा प्राप्त की ।
  • इन्होंने अपने काका फकीर अफताउद्दीन से पखावज एवं तबला की शिक्षा ग्रहण की । 9 वर्ष की आयु से अली अकबर खाँ ने सरोद सीखना शुरू किया ।
  • उस्ताद अली अकबर खाँ की 18 जून , 2009 को कैलिफोर्निया में मृत्यु हो गई ।

संगीत में योगदान

  • अली अकबर खाँ ने 14 वर्ष की आयु में सर्वप्रथम वर्ष 1936 इलाहाबाद में एक संगीत समारोह में भाग लिया था ।
  • इनकी एक विशेष रचना ‘ गौरी मंजरी ‘ गुणीजनों द्वारा प्रशंसित हुई , जिसे इन्होंने नट , मंजरी और गौरी तीन रागों के सम्मिश्रण से तैयार किया था ।
  • अली अकबर ने उदयशंकर की नृत्य मण्डली के साथ देश – विदेश का भी दौरा किया । लखनऊ आकाशवाणी में भी कुछ समय कार्य किया , फिर वर्ष 1944-51 तक जोधपुर स्टेट ( राजस्थान ) दरबार के उस्ताद के रूप में 1 कार्य किया । . ·
  • पण्डित रविशंकर और अली अकबर खाँ को जुगलबन्दी विश्व में प्रसिद्ध थी . अमेरिका में टेलीविजन पर प्रोग्राम देने वाले ये प्रथम भारतीय कलाकार थे ।
  • वर्ष 1955 में विश्वविख्यात वायलिन वादक येहूदी मेन्यूहिन के आमन्त्रण पर अमेरिका गए , जहाँ ‘ फोर्ड फाउण्डेशन स्कीम ‘ के अन्तर्गत विश्व के विभिन्न भागों में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किया ।
  • इनके नाम पर 14 अप्रैल , 1956 को कोलकाता में ‘ अली अकबर कॉलेज ( 1976 ) में खोली गई ।
  • ऑफ म्यूजिक ‘ की स्थापना की गई । इसकी एक शाखा कैलिफोर्निया इनके वादन में मींड के काम , स्वरों की नई – नई रचनाओं की उपज , लयकारी व तान मिलाने की रीति मौलिक है ।
  • अली अकबर खाँ ने अपनी शैली में वीणा और सितार की वादन तकनीकों के साथ – साथ गायिकी और तन्त्रकारी दोनों अंगों का अद्भुत मिश्रण किया है ।
  • इन्होंने कई नवीन रागों की रचनाएँ की हैं , जिनमें ‘ राग चन्द्रनन्दन ‘ , ‘ गौरी मंजरी ‘ , ‘ लाजवन्ती ‘ , ‘ मिश्र शिवरंजनी ‘ , भूप माँड तथा ‘ माधवी ‘ आदि इनके द्वारा निर्मित राग हैं ।
  • अली अकबर खाँ साहब ने भी भारतीय संगीत परम्परा की गुरु – शिष्य परम्परा को आगे बढ़ाया । इनके प्रमुख शिष्यों में निखिल बनर्जी ( सितार ) , श्रीमती शरण रानी ( सरोद ) , आशीष खाँ ( सरोद ) , ध्यानेश खाँ ( सरोद ) , शिशिर कणाघर चौधरी ( वायलिन ) , श्री दामोदर लाल काबरा ( सरोद ) आदि हैं ।

सम्मान • पुरस्कार

  • उस्ताद अली अकबर खाँ को अपने गायन तथा वादन के लिए देश – विदेश से विभिन्न सम्मानों द्वारा सम्मानित किया गया है , जिनमें कुछ प्रमुख हैं ।
    • वर्ष 1967 में पद्मभूषण सम्मान
    • वर्ष 1989 में पद्मविभूषण सम्मान
    • वर्ष 1991 में मैक – अर्थ फाउण्डेशन की फैलोशिप जो अमेरिका की सर्वाधिक सम्मानजनक फैलोशिप है ।
    • वर्ष 1974 में रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय कोलकाता और ढाका विश्वविद्यालय बांग्लादेश द्वारा संगीत में योगदान के लिए ‘ डॉक्टर ऑफ लिट्रेचर ‘ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया ।
    • वर्ष 1963 व 1966 में इनको दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया । 

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