पटियाला घराना Patiala Gharana in Hindi – पटियाला घराना वास्तव में दिल्ली का ही घराना रहा है । दिल्ली घराने में सारंगी वादकों की बहुतायत रही है , इसलिए इस विधा तथा पंजाब की स्थानीय शैलियों से प्रभावित होने के कारण पंजाब घराना बन गया और पटियाला रियासत में पनपने के कारण पटियाला घराना कहलाया ।
विषय - सूची
पटियाला घराना
यह घराना नवीन घरानों की श्रेणी में रखा जाता है । भारतीय सांगीतिक इतिहास के अन्तर्गत पंजाब को 19 वीं शताब्दी के मध्य में श्रेष्ठता मिली , जब मुगल राज्य के पतन के पश्चात् काफी संख्या में निपुण संगीतज्ञों ने दिल्ली दरबार छोड़कर पंजाब को अपना आश्रय स्थान चुना । तत्पश्चात् दिल्ली घराने के तानरस खाँ से भी शिक्षा पाई ।
• दिल्ली दरबार छोड़कर पटियाला घराने में प्रवेश करने वाले संग आदि में इन शास्त्रीय संगीतज्ञों का हार्दिक स्वागत किया गया । पटियाला दरबार का पंजाब की विभिन्न रियासतों ; जैसे- पटियाला , नाभा , लाहार , कपूरथल के प्रसिद्ध सारंगी वादक कालू खाँ को इस घराने का अन्वेषक माना जाता है । ( आलिया और फत्तु इन्हीं के पुत्र हैं )
विशेषताएँ – पटियाला घराना
इस घराने की कई विशेषताएँ हैं , जिनके कारण यह घराना ख्याल गायिकी के क्षेत्र में विशिष्टता रखता है । इसमें तानों की अद्भुत तैयारी इसकी मुख्य विशेषता है
- यह घराना अपनी तैयारी व रंगीनियत के कारण अत्यन्त प्रसिद्ध है ।
- इस गायिकी के अन्तर्गत अति द्रुत गति वाली लय का संचार किया जाता है ।
- इस घराने की गायिकी में वक्र आलंकारिक फिरत युक्त तानों , स्वरों का भावुक प्रयोग , गमक अंग , तराने की गायिकी के अन्दाज से यह घराना दूसरे घरानों भिन्न है ।
- . टप्पा अंग की ठुमरी गायन में पटुता की झलक मिलती है ।
- प्रचलित और सरल राग इस घराने की विशेषता है ।
- इस घराने की विशेषता तैयारी के साथ ही कोमलता में भी है ।
- संक्षिप्त तथा कलापूर्ण ख्याल की बन्दिशें अधिक प्रभावी होती हैं ।
प्रमुख कलाकार
पटियाला घराना के अत्यन्त सफल तथा प्रसिद्ध कलाकार बड़े गुलाम अली खां तथा इनके भाई बरकत अली खाँ बख्श के पुत्र तथा मीर बख्श के भतीजे तथा शिष्य थे । इनका प्रमुख स्थान पटियाला घराना है ।
घरानों से सम्बन्ध रखने वाले व्यक्ति इस घराने के चमकते सितारे उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ , गुलाम साहब के चाचा मियाँ जान , काले खाँ व इनके पित अली बख्श थे । इसके प्रसिद्ध विद्वानों की सूची के अन्तर्गत अन्य नाम भी शामिल हैं ; जैसे — प्रसिद्ध कवि मिर्जा गालिब , तानरस खाँ , कालू मियाँ , अली बख्श , फतह अली , मियाँ अहमद जान खाँ तथा इनके चारों पुत्र मुबारक अली , फाकुर अली , बाकर अली , इलयाज हुसैन , राजमनी बाई , गुल मुहम्मद , निर्मला अरुण , लक्ष्मीशंकर आदि ।
Conclusion / निष्कर्ष
इस प्रकार पंजाब का टप्पा , सिख शब्द , सूफी बानी से विद्यमान इस घराने की गायिकी का विकास हुआ और यह नवीन घराने के रूप में जनमानस के सामने आया । इस घराने के मुख्य प्रतिनिधि बड़े गुलाम अली साहब ने इसे विशिष्ट घराने की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया ।
पटियाला घराने की गायकी का प्रमुख रूप से पटियाला नरेश राजा भूपेन्द्र सिंह के आधिपत्य काल में भरपूर प्रेरणा, समर्थन एवं प्रोत्साहन मिला । इस घराने की विशिष्ट विशेषता अत्यन्त लयबद्ध वक्र तथा फिरत तानों की प्रस्तुति है ।
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