एम एस गोपालकृष्णन जीवनी Biography in Hindi, सम्मान M S Gopalkrishnan

एम एस गोपालकृष्णन की जीवनी Biography of M S Gopalakrishnan

एम एस गोपालकृष्णन – मायलापुर सुन्दरम गोपालकृष्णन का जन्म 10 जून , 1931 को मायलापुर चेन्नई में हुआ था ।

  • इनके पिता पायरूर सुन्दरम अय्यर वायलिन वादक थे , जो भारतीय शास्त्रीय संगीत के कर्नाटक तथा हिन्दुस्तानी दोनों प्रणालियों के जानकार थे ।
  • इन्होंने अपने पिता से दोनों शास्त्रीय शैलियों कर्नाटक तथा हिन्दुस्तानी संगीत सीखा । इन्होंने महान् वायलिन वादक श्रीद्वारम वेंकट स्वामी नायडू से प्रशिक्षण लिया । इन्होंने किराना घराने के कृष्णानन्द से हिन्दुस्तानी संगीत का प्रशिक्षण प्राप्त किया था ।
  • गोपालकृष्णन का निधन 3 जनवरी , 2013 को चेन्नई में हुआ ।

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संगीत में योगदान

  • श्री गोपालकृष्णन कर्नाटक और हिन्दुस्तानी संगीत दोनों में प्रतिभाशाली थे और ऑल इण्डिया रेडियो के एकमात्र शीर्ष ग्रेड वायलिन वादक हैं , जो दोनों शैलियों में संगीत कार्यक्रम देते हैं ।
  • कर्नाटक संगीत में वायलिन बजाने का एक आधुनिक तन्त्रकारी या वाद्य मोड़ के रूप में ‘ गेनाकी ‘ वायलिन वादन की एक मुखर विद्या है ।
  • कर्नाटक शैली की वायलिन वादन तिकड़ी के रूप में लालगुड़ी जयरामन , टी एन कृष्णन और एम एस गोपालकृष्णन को जाना जाता है । इस तिकड़ी ने एक नई ‘ गेकी शैली ‘ को जन्म ‘ या ।
  • इन्होंने एकल कलाकार और संगीतकार के रूप में पचास वर्षों तक वायलिन बजाया तथा ओंकारनाथ ठाकुर और डी वी पलुस्कर के साथ विभिन्न देशों ; जैसे – ऑस्ट्रेलिया , यू एस ए , यूके , नीदरलैण्ड , दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में संगीत प्रदर्शन किया ।
  • प्रसिद्ध वायलिन वादक येहूदी मेन्यूहिन के अनुसार , ” मैंने अपने सभी यात्राओं में ऐसा वायलिन नहीं सुना है , यह युवा भारतीय कितना शानदार बजाता है । “

सम्मान • पुरस्कार

  • एम एस गोपालकृष्णन को संगीत में योगदानों के लिए विभिन्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया , जिनमें कुछ प्रमुख हैं ।
    • – वर्ष 1975 में पद्मश्री पुरस्कार
    • – वर्ष 1978 में कालामणि पुरस्कार तमिलनाडु सरकार द्वारा
    • – वर्ष 1979 में केरल संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
    • – वर्ष 1982 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
    • – वर्ष 1998 में संगीत कलानिधि – मद्रास संगीत अकादमी , चेन्नई ।
    • वर्ष 2012 में पद्मभूषण सम्मान
    • वर्ष 2012 में संगीत नाटक अकादमी टैगोर रत्न ।

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