अब्दुल हलीम जफर खाँ ( सितार ) Abdul Halim Jaffer Khan in Hindi

उस्ताद अब्दुल हलीम जफर खाँ

उस्ताद अब्दुल हलीम जफर खाँ का जन्म 18 फरवरी , 1927 को इंदौर ( मध्य प्रदेश ) के जावरा नामक गाँव में हुआ था ।

अब्दुल हलीम के पिता उस्ताद जफर खाँ भी सितार के अच्छे ज्ञाता थे । बचपन से ही सांगीतिक वातावरण मिलने से संगीत के प्रति लगाव हो जाना स्वाभाविक था ।

अब्दुल हलीम जफर को शुरुआती शिक्षा अपने पिता से ही मिली थी । तत्पश्चात्इ न्होंने सितार के प्रसिद्ध बीनकार उस्ताद बाबू खाँ से शिक्षा ली । बीनकार का अर्थ है – जो वीणा बजने में निपुण हो .

इन्होंने उच्च स्तर के सितार वादन के लिए उस्ताद महबूब खाँ से शिक्षा ग्रहण की ।

अब्दुल हलीम जफर खान का निधन 4 जनवरी , 2017 को मुम्बई में उनके घर पर पैनिक अटैक से हो गया ।

संगीत में योगदान

  • उस्ताद अब्दुल हलीम जफर खाँ इन्दौर के ‘ बीनकार घराने ‘ से सम्बन्ध रखते थे और 1940 के दशक में ही ऑल इण्डिया रेडियो के कलाकार थे ।
  • हलीम जफर खाँ को अपनी स्वयं की सितार शैली के लिए जाना जाता है , जो ‘ जफरखानी बाज ‘ के नाम से प्रसिद्ध है ।
  • इन्होंने कुछ विदेशी संगीतकारों के साथ भी काम किया , जिनमें जैज पियानो वादक और संगीतकार डेव ब्रुबेक थे ।
  • ब्रुबेक अमेरिकी विदेशी विभाग के एक प्रतिनिधिमण्डल के साथ बम्बई आए थे , जहाँ जैज एम्बेसडर प्रोग्राम में जफर खाँ साहब इनके साथ मिलकर संगीत का प्रदर्शन किया था ।
  • खान साहब ने वर्ष 1963 में प्रसिद्ध अंग्रेज सितार वादक जुलियन ब्रीम के साथ भी प्रदर्शन किया ।
  • हलीम जफर खाँ को कर्नाटक संगीत के राग किरवानी , कनकंगा , लतांगी , करहप्रिया , मानवती , गणमूर्ति और अन्य रागों को सितार प्रदर्शन में लाने का श्रेय दिया जाता है , जिसे इन्होंने एक हिन्दुस्तानी संवेदनशीलता और जफरखानी शैली प्रस्तुत किया ।
  • हलीम जफर खाँ प्रसिद्ध वीणा वादक इमरानी सांकरा शास्त्री के साथ कर्नाटक संगीत में सहयोग करने वाले पहले हिन्दुस्तानी संगीतकार थे ।
  • डॉ . कमला गणेश के अनुसार , हलीम जफर खाँ का संगीत निर्माण बहुत ही गहन रूप से सूचित विकल्पों से भरा है । वह एक सोच वाले संगीतकार थे और एक सरलता आर भावना के साथ अपने जटिल विचारों को सामने रखते थे ।
  • हलीम जफर खान ने भारतीय सिनेमा में भी काम किया , जिनमें कुछ प्रमुख फिल्मों ; जैसे – परवाना , मुगल – ए – आजम , झनक झनक पायल बाजे , गूंज उठी शहनाई , कोहिनूर आदि के गीतों के लिए सितार बजाया । इन्होंने वर्ष 1976 में बम्बई में हलीम अकादमी ऑफ सितार की स्थापना की । इन्होंने चकंधुन , कल्पना , मध्यमी तथा खुसरूबानी जैसे रागों का निर्माण किया ।

सम्मान

  • अब्दुल हलीम जफर खाँ एक भारतीय सितार वादक थे । इन्हें विभिन्न पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया , जिनमें कुछ प्रमुख हैं –
    • – वर्ष 1970 में पद्मश्री सम्मान
    • – वर्ष 1987 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
    • – वर्ष 1990 में महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार
    • – वर्ष 1991 में शिखर सम्मान ( मध्य प्रदेश )
    • – वर्ष 1992 में हाफिज अली खान पुरस्कार
    • – वर्ष 2005 में लाइफ टाइम अचीवमेण्ट पुरस्कार
    • – वर्ष 2006 में पद्मभूषण पुरस्कार आदि ।

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