आगरा घराना ( गायकी के घराने ) Agra Gharana

आगरा घराना • आगरा घराने के कलाकार अपना सम्बन्ध 15 वीं शताब्दी के गोपाल नायक से जोड़ते हुए अपनी परम्परा को प्राचीनतम मानते हैं । गोपाल नायक के शिष्य अलखदास ने इस परम्परा को आगे बढ़ाया था ।

आगरा घरानाAgra Gharana

हिन्दू धर्म के अनुयायी अलखदास और मलूकदास थे , जिन्होंने किसी कारणवश इस्लाम धर्म को अपना लिया था , इन्हें ही आगरा घराने के प्रारम्भिक कलाकार पुकारा जाता है । अन्य अनेक घरानों की तरह ही यह घराना भी ध्रुपद धमार की परम्परा से ही विकसित हुआ है । संगीत जगत में पहचाने जाने वाला प्रसिद्ध नाम हाजी सुजान खाँ जी अलखदास के पुत्र थे । अत : यह घराना विद्वानानुसार अकबर काल के हाजी सुजान खाँ से प्रारम्भ हुआ माना जाता है ।

इस घराने में ख्याल गायिकी का आरम्भ सुजान खाँ साहब के पड़ – पोते घग्गे खुदाबख्श द्वारा हुआ । विशेषतः ऐसा कहा जाता है कि खुदाबख्श साहब की आवाज बैठी होने के कारण इन्हें घग्गे खुदाबख्श कहा जाने लगा , जो आगरा घराने के अन्वेषक के रूप में जाने जाते हैं ।

प्रो . रमण लाल मेहता के अनुसार , “ आगरा घराना मुख्यतः सात उस्तादों द्वारा गतिशील रहा है ; जैसे — घग्घे खुदाबख्श , शेर खाँ , फैयाज खाँ और विलायत हुसैन खाँ । ” श्री वी आर देवधर भी इस मत से पूर्णत : सहमत हैं ।

विशेषताएँ

आगरा घराने की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  • इसमें नोम – तोम में आलाप किया जाता है ।
  • बन्दिशदार चीजों का गायन किया जाता है ।
  • इसमें ख्याल शैली के अन्तर्गत ध्रुपद अंग का प्राबल्य होने के कारण यह ध्रुपदांग ख्याल के नाम से भी जाना जाता है ।
  • लयकारी का प्रवाह नियमित रूप से होता है ।
  • खुली और बुलन्द आवाज की गायिकी इसकी विशिष्ट पहचान है ।
  • अर्थ के अनुरूप भाव की अभिव्यक्ति करना इसकी मुख्य विशेषता है ।
  • इस घराने की बोल – तान इतनी आकर्षक व प्रभावी होती है कि दूसरे घराने के गायक शीघ्र ही प्रभावित हो जाते हैं । 
  • इस गायिकी में सरलता के साथ – साथ संयमता की भावना का भी पूर्ण सन्तुलन बना रहता है ।
  • • विलायत हुसैन खाँ ने कहा कि नत्थन खाँ ने एक निराला ढंग आरम्भ किया , वह था अति विलम्बित लय रखकर उसमें चौगुन , अठगुन व आड़ी लय में फिरत करके बँधी हुई तानों व बोल – तानों को लेना ।
  • लयकारी के साथ ही बोल अंग का विस्तार और बोलों के साथ पलटों की बढ़त तथा ताल के विभिन्न खण्डों से तान की उपज शुरू करना आगरा घराने की प्रमुख विशेषता है ।

प्रमुख कलाकार – आगरा घराना

आगरा घराने की गायिकी को प्रचारित व प्रसारित करने का श्रेय ‘ घग्घे खुदाबख्श को जाता है । आगरा घराना के सर्वश्रेष्ठ गायकों की श्रृंखला में ये नाम उल्लेखनीय हैं ; जैसे — नत्थन खाँ , अली बख्श , फतेह अली खाँ , अल्लादिया खाँ , इनायत हुसैन खाँ , उमराव खाँ , नजीर खाँ , जहूर खाँ , रहमत खाँ , मल्लिकार्जुन मन्सूर , गंगूबाई कुर्डीकर , जयपुर की बीब्बो बाई , फिरदौसी बाई , गफूर खाँ , विलायत हुसैन खाँ आदि ।

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उपसंहार / सार / Conclusion / निष्कर्ष

आगरा घराना मूलतः ध्रुपद तथा धमार गायकों का रहा , इसलिए इसके ख्याल – गायन पर भी ध्रुपद , धमार की नोम् तोम् और लयकारी का स्पष्ट प्रभाक देखा जा सकता है । इस घराने की विशेषता लयकारी के साथ ही बोल अंग के विस्तार में है । इस घराने के गायकों ने खुली आवाज में दमदार व गमक से युक्त तानों का प्रयोग किया । ऐसा माना जाता है कि आगरा गायकी में ताने सदा बंदिश व राग स्वरूप के अनुसार बनती हैं । इस घराने में गायकों के स्वरों का लगाव गहरा और बुलन्द होता है ।

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