नाट्य सिद्धांत के एक प्राचीन ग्रंथ ( कार्य ) नाट्यशास्त्र में भरतमुनि द्वारा रस के साथ – साथ भाव को भी खूबसूरती से चित्रित किया गया है । रस का आस्वाद भाव के माध्यम से प्रेषक के हृदय….
संगीत एवं रस स्वरों को उच्च और दीप्त करने से व लय के द्रुत स्वरों के अपकर्ष आदि से हास्य , शृंगार , करुण , वीर , रौद्र , अद्भुत , भयानक तथा वीभत्स आदि रसों की सृष्टि में सहायता….
रसों के सन्दर्भ में एक निश्चित मत का अभाव है , जिसके कारण कहीं 10 रस की चर्चा है , तो कहीं 11 रस की चर्चा की जाती है । मुख्य रूप से रस के 10 प्रकार हैं , जो निम्न प्रकार से हैं –
भारतीय संस्कृति में सौन्दर्य का लक्ष्य बिन्दु सुन्दरता ना होकर ‘ रस ‘ है । यह काव्य का मूल आधार ‘ प्राणत्व ‘ अथवा ‘ आत्मा ‘ है । रस आनन्द का स्रोत है , जिसकी संगीत में उत्पत्ति….