संगीत शिक्षण पद्धति – संस्थागत शिक्षण प्रणाली और गुरु शिष्य परंपरा क्या है ?

संगीत शिक्षण पद्धति

संस्थागत संगीत शिक्षण प्रणाली, शास्त्रीय संगीत जिसको कि केवल लोकरंजन अथवा भक्ति के साधन के रूप में देखा जाता था , उसका जब महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में शिक्षण के रूप में प्रवेश हुआ , तब संगीत की स्थिति में कई परिवर्तन आए….

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संगीत की उत्पत्ति का रहस्य, विकाश, संरक्षण

संगीत की उत्पत्ति

वेद चार है- ऋग्वेद , यजुर्वेद , अथर्ववेद और सामवेद । आर्यों को संगीत से इतना प्रेम था , कि उन्होंने सामवेद को केवल गान करने के लिए ही बनाया था । संगीत का जन्म अ , उ , म इन तीन अक्षरों से निर्मित ओउम् / ॐ शब्द के गर्भ से हुआ, भगवद्गीता और संगीत….

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लोकसंगीत और शास्त्रीय संगीत का पारस्परिक सम्बन्ध – Shastriya & Loksangeet

लोकसंगीत और शास्त्रीय संगीत

लोकसंगीत आदिकाल से ही जनजीवन का अभिन्न अंग रहा है । प्राकृतिक सौन्दर्य ने आदि मानव के भीतर जिज्ञासा उत्पन्न की फलस्वरूप ज्ञानेन्द्रियां जाग्रत हुईं और आदिमानव पशु – पक्षी , कीड़े – मकोड़े आदि के स्वर से ….

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रागों का समय सिद्धांत Raag Time अध्वदर्शक स्वर, परमेलप्रवेशक राग

रागों का समय सिद्धांत

रागों का समय निर्धारण कैसे किया जाता है ? समय के अनुसार राग की दशा जानने में या रागों के समय निर्धारण में ” अध्वदर्शक स्वर ” और ” परमेलप्रवेशक राग ” को समझ कर आप आसानी से जान सकते हैं कि किसी राग का गायन समय कब होता है? या कौन सा राग कब गाया जाता है ?….

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राग बसन्त का परिचय, विशेषता, Raag Basant

राग बसन्त का परिचय

रागबसंत की उत्पत्ति पूर्वी थाट से मानी गयी है । इसमें दोनों मध्यम तथा रिषभ – धैवत कोमल प्रयोग किये जाते हैं । आरोह में रिषभ और पंचम वर्ज्य है , अतः इस राग की जाति ओडव – सम्पूर्ण है । वादी स्वर सां और सम्वादी प है । गायन – समय रात्रि का अंतिम प्रहर है ।….

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मार्गी संगीत और देशी संगीत की विशेषतायें व अन्तर, Margi and Deshi

मार्गी संगीत और देशी संगीत

मार्गी संगीत को गांधर्व संगीत भी कहते हैं । इस संगीत को मोक्ष प्राप्त करने का साधन माना जाता था । देशी संगीत को हम गान भी कहते हैं । इस संगीत का मुख्य उद्देश्य जनता का मनोरंजन करना है । मार्गी संगीत की विशेषतायें….

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संगीत की शब्दावली Vocabulary – bani, giti, alptva, nyas, gamak

संगीत की शब्दावली

संगीत में निम्नलिखित शब्द ( कलावन्त, गीति, बानी, गीत, पंडित, वाग्गेयकार, नायक, गायक, अल्पत्व – बहुत्व, निबद्ध, रागालाप, स्वस्थान नियम का आलाप, आलिप्तगान, परमेल, अध्वदर्शक स्वर, मुखचालन, आक्षिप्तिका, न्यास और ग्रह, अपन्यास स्वर, सन्यास और विन्यास, विदारी, गमक, तिरोभाव – आविर्भाव ) की परिभाषा ….

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राग विभास का परिचय Raag Vibhas ka Parichay

राग विभास

इस राग की उत्पत्ति भैरव थाट से मानी जाती है । इसमें मध्यम और निषाद स्वर वर्ज्य हैं , अतः इस राग की जाति औडव – औडव है । रिषभ (रे) और धैवत (ध ) कोमल तथा अन्य स्वर शुद्ध हैं । वादी धैवत और सम्वादी ऋषभ है । गायन – समय दिन का प्रथम प्रहर….

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राग मालगुंजी का परिचय Raag Malgunji ka Parichay

राग मालगुंजी

राग मालगुंजी का परिचय – संक्षिप्त विवरण विशेषता अपवाद राग मालगुंजी का परिचय आलाप राग मालगुंजी का परिचय तानें राग विभास का परिचय Raag Vibhas ka Parichay …

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राग चन्द्रकौंस का परिचय Raag Chandrakauns

राग चन्द्रकौंस

इसे भैरवी थाट जन्य माना गया है । इसमें गंधार और धैवत स्वर कोमल लगते हैं । रे और प स्वर पूर्णतया वर्ज्य है , अतः इसकी जाति औडव – औडव है । वादी म और सम्वादी सा है । गायन – समय मध्य रात्रि है। राग चन्द्रकौंस की विशेषता….

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राग गोरख कल्याण का परिचय Raag Gorakh Kalyan

राग गोरख कल्याण

राग गोरख कल्याण बेहद ही मधुर राग है – यह राग खमाज थाट से उत्पन्न माना गया है । इसमें निषाद (नि) कोमल तथा शेष स्वर का शुद्ध रूप उपयोग करते हैं । आरोह में गंधार और पंचम वर्ज्य तथा अवरोह में केवल गन्धार वर्ज्य होने से इसकी जाति औडव – षाडव है । वादी स्वर षडज और….

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गायन के घराने और उनकी विशेषताएं Gharanas of Singing

गायन के घराने

घराना का तात्पर्य है कुछ विशेषताओं का पीढ़ी दर पीढ़ी चला आना अर्थात् गुरू- शिष्य परम्परा को घराना कहते हैं । गायन के 7 घराने

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