अलंकार किसे कहते हैं ? What is Alankar in Music ?

What is Alankar in Music ? संगीत में अलंकार किसे कहते हैं ?

अलंकार किसे कहते हैं in Hindi ? अलंकार की परिभाषा – अलंकार वे आभूषण होते हैं , जो सजावट के कार्य हेतु प्रयोग किए जाते हैं । अतः गुम्फित स्वरों द्वारा स्वरों को सजाने की क्रिया अलंकार कहलाती है । उदाहरण , जैसे कि बिना चाँद की चाँदनी के रात्रि अच्छी नहीं लगती , बिना पानी के नदी शोभा नहीं देती , बिना फूलों के बेल नहीं भाती और बिना आभूषण के स्त्री शोभा नहीं पाती । ठीक वैसे ही अलंकारों के अभाव में गीत या बन्दिश की शोभा नहीं होती ।

क्रमेण स्वरसन्दर्भमलंकारं प्रचक्षते । तस्य भेदास्तु भूयांसतत्र स्थायिगतान्ब्रुवे ।।

अर्थात् स्वरों के क्रमानुसार प्रयोग को अलंकार कहते हैं अथवा क्रमानुसार स्वरों के सन्दर्भ – संगठन तथा गुम्फन , जो अच्छी तरह गूंथे हुए हों , वे अलंकार कहलाते हैं ।

सह – अलंकार किसे कहते हैं ?

सह – अलंकार स्वरों का रियाज ( Practice ) ही संगीत की शिक्षा का मूल आधार होता है । संगीत का विद्यार्थी जितना अधिक रियाज करेगा । उसका कण्ठ उतना ही परिपक्व व मधुर होता जाएगा । ‘ अलंकार ‘ रियाज का वह सुदृढ़ माध्यम है , जो सांगीतिक शिक्षा को पूर्ण बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं , इसलिए संगीत के क्षेत्र में सांगीतिक शिक्षा का प्रारम्भ अलंकारों के रियाज द्वारा ही शुरू किया जाता है । यहाँ पर गायन – वादन से सम्बन्धित शिक्षा की चर्चा की गई है ।

विशिष्टसन्दर्भम् अलंकारम् प्रचक्षते । एकैकस्मूर्च्छनायाँ त्रिष्ठिरूदिता बुधै ।।

अर्थात् वर्णों का सटीक क्रम अलंकारों के नाम से जाना जाता है । 

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अलंकार व उनकी संख्या क्या है ?

  • भरत मुनि के अनुसार , अलंकार स्थायी , आरोही , अवरोही , संचारी वर्गों पर आधारित होते हैं । पण्डितों ने 63 अलंकार माने हैं ।
  • दतिलमुनि ने 18 अलंकार माने है , न्यायदेव ने 56 अलंकार माने है , मतंग के अनुसार , अलंकारों की संख्या 33 है । पण्डित अहोबल ने 68 तथा सुधाकलश ने 18 अलंकारों को माना है ।
  • भरत ने अलंकारों के छ : भेद बताए हैं । जैसे – उच्च , दीप्त , मन्द्र , नीच , द्रुत एवं विलम्बित ।
  • जोर से आवाज निकालना ‘ उच्च ‘ कहलाता है , इससे भी दोगुनी ऊंची ध्वनि को ‘ दीप्त ‘ कहते हैं । आक्षेप , कलह , विवादों आदि में ऐसी ध्वनियाँ निकाली जाती है ।
  • उर : स्थान अर्थात् छाती से निकाली गई आवाज ‘ मन्द्र ‘ कहलाती है । मन्द्र से भी हल्की आवाज से किया गया उच्चारण ‘ नीच ‘ कहलाता है । कण्ठ से जल्दी – जल्दी किया गया उच्चारण ‘ दूत ‘ कहलाता है । कण्ठ से ही अधिक ठहर / अवकाश से ओ उच्चारण किया जाए , वह ‘ विलम्बित ‘ कहलाता है ।
  • इसके अतिरिक्त विद्वानों ने छ ; प्रकार के पाठ्यांगों को भी बताया है विच्छेद , अर्पण , विसर्ग , अनुबन्ध , दीपन एवं प्रशमन । स्थूल रूप से अलंकार चार प्रकार के हो सकते हैं :-

1. सरल अलंकार के उदाहरण

आरोह – सारेग , रेगम , गमप , मपघ , पधनि , धनिसां ।

अवरोह – सांनिध , निधप , धपम , पमग , मगरे , गरेसा ।

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2. अर्द्ध – जटिल अलंकार के उदाहरण

आरोहसाग सारेग , रेम रेगम , गपगमप , मध मपध , पनि पधनि , धसां धनिसां ।
अवरोह – सांध सांनिध , निप निधप , धम धपम , पग पमग , मरे मगरे , गसा गरेसा ।

3. जटिल अलंकार के उदाहरण

आरोह – सारे साग रेग सारे , रेग रेम गम रेम , गम गप मप गम , मप मध पध मप , पध पनि धनि पघ , धनि धसां निसां धनि ।

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अवरोह – सांनिसांध निध सानि , निध निप धप निध , धप धम पम धप , पम पग मग पम मग मरे गरे मग , गरे गसा रेसा गरे ।

4. मेरुखण्ड के अलंकार के उदाहरण

आरोह – सा प म , प ग म , रे ग सा , म ग म रे ग सा , रे ध प ध , म प ग , मरे प म , प ग म रे , ग नि ध , नि पध , म प ग , ध प ध , म प ग , म सां नि सा ध नि , प ध म , नि ध नि , प ध म ।

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अवरोह – सो म प , म य प , नि ध सां , पघ पनि धनि , निगम , ग प म , ध पनि , म प ध प ध ध रे ग रे म ग प म घ ग म ग प म प , प सा रे सा गा रे म ग प रे ग रे म ग मा । वर्णों

  • वर्णों का वर्णन करते हुए बताया गया है कि जिन अलंकारों के आदि और अन्त में एक ही स्वर हो , वे स्थायी वर्ण के अलंकार होते हैं , ये संख्या में 7 होते हैं ; जैसे – प्रसन्नादि , प्रसन्नात , प्रसन्नाद्यन्ते , क्रमरेचित , प्रसन्नमध्ये , प्रस्तार , प्रसाद । 
  • संगीत रत्नाकर के अनुसार , स्थायी वर्ण के अलंकार संख्या में 7 हैं । अवरोही वर्ण के अलंकार 12 हैं । संचारी वर्गों के अलंकार 25 हैं । अत : वर्णों के आधार पर अलंकारों की संख्या संगीत रत्नाकर में कुल मिलाकर 56 हैं ।
  • शारंगदेव ने कुल 63 अलंकार माने हैं । अहोबल द्वारा सात तालों पर आधारित कुल 7 अलंकार माने हैं । इन सातों के नाम इस प्रकार हैं इन्द्रनील , महावज्र , निर्दोष , सीर , कोकिल , आवर्तक , सदानन्द ।

इस प्रकार अलंकारों का मुख्य प्रयोग तान और सरगम में होता है । आलंकारिक ताने सुनने में अच्छी लगती हैं और गायन में वैचित्र्य उत्पन्न करती हैं । अत : अलंकारों को पल्टा कहकर भी पुकारा जाता है ।

Read- संगीत की शब्दावली Vocabulary – bani, giti, alptva, nyas, gamak

आशा करता हूँ आप समझ गए होंगे कि अलंकार किसे कहते हैं ? सप्त स्वर ज्ञान से जुड़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद ।

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