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गत किसे कहते हैं ?
गत किसे कहते हैं ? गत का मतलब – विभिन्न प्रकार के वाद्यों पर बजायी जाने वाली ताल में बंधी हुई रचनाएँ गत कहकर पुकारी जाती हैं । गत के प्रत्येक स्वर पर मिजराब के बोल होते हैं ।
जैसे – गग रे सासा नि रे ग ग ग दिर दा दिर दा रा दा दा रा
गत के प्रकार
Types of Gat in Music ? गत के कितने प्रकार हैं ? – मुख्य रूप से गत दो प्रकार की होती हैं :-
1. मसीतखानी गत किसे कहते हैं ?
1. मसीतखानी गत मसीतखानी गत की वंश परम्परा के द्वारा इस नवीन गत का आविष्कार हुआ । इस गत का नामकरण इसके आविष्कारक के आधार पर हुआ , जिनका नाम मसीत खाँ था । मसीत खाँ के पिता का नाम फिरोज खाँ था । कुछ विद्वानों द्वारा इसे ‘ फिरोजखानी गत ‘ के नाम से भी जाना जाता है ।
• ये गते विलम्बित लय प्रधान होती हैं तथा खाली की तीन मात्राओं के पश्चात् बारहवीं मात्रा से शुरू हो जाती हैं । इसके बोल दिर दा दिर दा रा दा दा रा , दिर दा दिर दारा दा दा रा होते हैं । मसीतखानी गत हेतु मुखड़ा 5 मात्राओं में होना अति आवश्यक होता है । 12 वीं मात्रा से बन्दिश प्रारम्भ की जाती हैं ।
2. रजाखानी गत किसे कहते हैं ?
मसीतखानी गत विलम्बित लय प्रधान होती है और रजाखानी गत द्रुत लय में बजाई जाती है । .
• लय के अनुसार , ‘ रजाखानी गत ‘ मसीतखानी के बिल्कुल विपरीत होती है । इसकी प्रकृति गम्भीर न होकर चंचल होती है । वादक को इस गत में पूर्णरूपेण स्वतन्त्रता प्राप्त होती है , वह अपनी इच्छा के अनुसार तान व तोड़े बजाने की पूर्ण स्वतन्त्रता रखता है । रजाखानी गत के बोल इस प्रकार होते हैं –
– दिर दिर दाऽर दाउर दा , आदि ।
– पूर्णरूपेण स्वतन्त्रता प्राप्त होने के कारण वादक द्वारा इसमें अपनी पूरी तैयारी दिखाने का अवसर प्राप्त होता है ।
– जिस प्रकार मसीतखानी गत को ‘ पश्चिमी बाज ‘ कहा जाता है , उसी प्रकार , रजाखानी गत को ‘ पूर्वी बाज ‘ के नाम से जाना जाता है ।
– इसके आविष्कारक के रूप में रजा खाँ साहब का नाम लिया जाता है , इसमें निश्चित बोलों का नहीं , अपितु आवश्यकतानुसार विभिन्न बोलों का प्रयोग किया जाता है । इसमें तैयारी के साथ तोड़े बजाए जाते हैं और अन्त में झाला के विभिन्न प्रकार बजाकर गत को समाप्त किया जाता है । अत : इसे ‘ लखनऊ बाज ‘ के नाम से भी जाना जाता है।