थाट और राग में अंतर, गुण, उत्त्पत्ति तथा परिभाषा क्या है ? Thaat and Raag

राग और थाट अथवा ठाट का वर्गीकरण, समानता और विषमता को इस लेख में in Hindi आज आप पढ़ेंगे, जानेंगे कि थाटों से ही जितने भी राग हैं सारे रागों की उत्पत्ति हुई है।

ठाट अथवा थाट और राग में अंतर

ठाट/ थाट और राग के अंतर को कुछ लोग समझ नहीं पाते । यह कैसे एक दूसरे से भिन्न है । लोग इसमें उलझ के रह जाते हैं । आपको समझना होगा कि, यह कैसे एक दूसरे से भिन्न है।

पहले हम समझेंगे कि थाट किसे कहते हैं ‌फिर जानेंगे कि राग क्या होता है । फिर जाकर हम यह समझ पाएंगे कि थाट और राग एक दूसरे से कैसे भिन्न हैं । तो आइए इसे बात का पता करते हैं, समझते हैं, सीखने की कोशिश करते हैं।

थाट क्या होता है ? थाट की परिभाषा क्या है ?

थाट किसे कहते हैं ?

जैसा कि आप समझ सकते हैं कि संगीत की बात जब भी होगी तो 12 स्वरों की बातें ही होगी और इन्हीं 12 स्वरों में ही सारा संगीत समाया हुआ है। लेकिन 12 स्वरों में किसी खास सात स्वरों को जब हम चुनकर एक समूह बनाते हैं।

और जब हम ऐसा करते हैं तो क्या होता है ?

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तो जब हम ऐसा करते हैं तो इन्हीं चुने हुए खास 7 स्वरों के समूह से अगर कोई राग बनता है तो हम इसे थाट कहते हैं।

थाट और राग में गहरा सम्बन्ध है

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थाट और राग एक ही नदी के दो छोर हैं / एक पंक्ति में कहें तो ठाट/ थाट से ही राग की उत्पत्ति होती है।

अभिनव राग मंजरी ” पुस्तक के लेखक ” पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर ” में इसकी जानकारी मिलती है।

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थाट के लक्षण / गुण या प्रकृति

  1. जैसा कि थाट की परिभाषा से मालूम पड़ता है। थाट में कम से कम 7 स्वरों का प्रयोग होना चाहिए।
  2. थाट संपूर्ण होना चाहिए अर्थात थाट के स्वर क्रम में होने चाहिए
  3. थाट में आरोह, अवरोह किसी 1 का होना आवश्यक है। आरोह अवरोह में से किसी एक को देखकर पता हो जाता है कि वह थाट कौन सा है।
  4. थाट को कभी गाया या बजाया नहीं जाता है।
  5. थाट में राग उत्पत्ति की क्षमता होती है।

आपको यह समझना जरा मुश्किल हो रहा होगा ! आप दुविधा में होंगे आपको confusion हो रहा होगा पर घबराइए नहीं आगे आप सब समझ जाएंगे, तो चलिए आगे चलते हैं।

थाटों की संख्या

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थाटों की संख्या कितनी होती है?

विद्वानों के शोध के फल स्वरुप हिंदुस्तानी संगीत पद्धति के अनुसार थाटों की संख्या 10 है । इन्हीं 10 थाटों से ही जितने भी राग हैं सारे रागों की उत्पत्ति हुई है ।
ज्ञात हो कि थाट में विकृत स्वरों का प्रयोग किया जाता है ,अन्य स्वर शुद्ध होते हैं।

10 प्रमुख थाट के नाम हैं?

नीचे 10 थाटों के नाम दिए गए हैं । इसमें दिखाया गया है कि किस थाट में कौन सा स्वर तीव्र या कोमल है और बाकी कौन से स्वर शुद्ध हैं । सात शुद्ध स्वर सा, रे, ग, म, प, ध, नि हैं।
बिलावल – संपूर्ण स्वर शुद्ध ।
राग खमाजनि कोमल तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं।
आसावरीग, ध नि कोमल तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं।
काफीग, नि कोमल तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं।
भैरवीरे, ग,ध, नि कोमल तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं।
भैरवरे, ध कोमल तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं।
मारवारे कोमल तीव्र तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं।
पूर्वीरे,ध कोमल तीव्र तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं।
तोड़ी – तोड़ी रे,ग,ध कोमल तीव्र तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं।
कल्याण – केवल तीव्र तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं।

थाटों की संख्या व उसके नाम जानने के बाद । अब हम जानेंगें थाट और राग में अंतर

राग क्या होता है ? राग की परिभाषा क्या है ? किसे हम राग कह सकते हैं ?

राग की परिभाषा कम से कम 5 स्वरों से लेकर 7 स्वरों की वह सुंदर कर्णप्रिय रचना जो हमारे मन को भाए उसको हम राग कहते हैं । राग के कुछ लक्षण/ गुण भी हैं जिन्हें समझना भी आवश्यक है। तो आइए जानते हैं कि राग के गुण क्या क्या हैं।

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राग के गुण / लक्षण

  1. पांच से कम स्वर का राग नहीं होता। राग के लिए आवश्यक है कि कम से कम 5 स्वर, या 6 स्वर से लेकर 7 स्वर किसी भी राग में जरूर उपस्थित रहे।
  2. राग में रंजकता होना आवश्यक है ‌।
  3. कोई भी राग हो वह किसी न किसी ठाट से ही उत्पन्न होगा । जैसे :- राग भूपाली कल्याण थाट से।
  4. प्रत्येक राग में सा =षड़ज का होना अनिवार्य है।
  5. प्रत्येक राग में म= मध्यम और प =पंचम में से कम से कम एक स्वर अवश्य रहना चाहिए।
  6. प्रत्येक राग में समय पकड़ वादी-संवादी आरोह-अवरोह आवश्यक है।
  7. एक ही स्वर के दो रूप एक साथ उपयोग वर्जित है जैसे कोमल रे, शुद्ध रे। परंतु आरोह अवरोह में क्रमशः दोनों रूप का उपयोग होता है।

तो आशा करता हूं कि आप अब समझ पा रहे होंगे कि राग और थाट कैसे एक दूसरे से भिन्न है।

राग के बारे में इतना समझने के बाद आप पाठकों के मन में कुछ सवाल आ रहे होंगे, जोकि बहुत जायज सवाल है।

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जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा कि राग का एक गुण यह है कि किसी राग में कम से कम 5 स्वर से लेकर 7 स्वर का होना आवश्यक है। यहाँ सवाल यह उठता है कि कुछ 5 स्वर वाले राग होंगे तो, कुछ 6 स्वर वाले राग होंगे और कुछ 7 स्वर वाले राग होंगे। तो इन्हें हम कैसे समझें ।

हम 5 स्वर वाले रागों को, 6 स्वर वाले रागों को और 7 स्वर वाले रागों को कैसे विभाजित करें ? कैसे इनका नामकरण करें ? कैसे इसे समझें ?

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इन्हे हम राग की जाति के अंतर्गत जानेंगे ।

तो पाठकों मैं आशा करता हूं आप थाट और राग को समझ चुके होंगे। तो चलिए आगे चलते हैं कुछ और शास्त्र ज्ञान बढ़ाने की ओर। याद रहे, ध्यान रहे –

शास्त्र ज्ञान से आपकी पृष्ठभूमि उदार और गंभीर बनती है।

आशा करता हूँ यह लेख आपको पसंद आया होगा , तो जुड़े रहे ” सप्त स्वर ज्ञान ” के साथ। धन्यवाद

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