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श्रुति और स्वर में अंतर
श्रुति स्वर व्यवस्था / Shruti swar vibhajan / svar vyavastha . श्रुति की परिभाषा – श्रुति का अर्थ है सुनना । कानों द्वारा जो भी सुना जाता है वो सारी ध्वनि श्रुति है । जैसे गधा का रेंकना, पटाखों की आवाज, बादल का गरजना इत्यादि । इसका मतलब यह है कि सप्तक के सात सुरों के बीच असंख्य ध्वनि / नाद हैं । हां बिल्कुल सप्तक के एक स्वर से दूसरे स्वर के बीच असंख्य नाद हो सकते हैं परंतु इन्हें सुनकर पहचान पाना कि यह स्पष्ट रूप से कौन सी नाद है यह काफी मुश्किल है । उसके बाद इन्हें गाना या बजाना लगभग असंभव है ।
स्वर की परिभाषा – संगीत में प्रयुक्त इस शब्द का मतलब सीधा सरगम यानि सा से नि तक के स्वरों से है । वैसी ध्वनि जिसकी कोमलता या तीव्रता अथवा उतार-चढ़ाव को सुनते ही अनुमान हो जाये वह स्वर कहलाता है। जब कोई ध्वनि नियमित आवर्त और कम्पनों से उत्पन्न होती है तो उसे ‘स्वर‘ कहते हैं।
श्रुति और सप्तक के स्वर
आपको ज्ञात है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत में 7 स्वर होते हैं एक सप्तक में । क्या आपको मालूम है कि श्रुतियों की संख्या कितनी है ? श्रुति और स्वर में अंतर क्या हैं ?
इसे जानने का प्रयास इतिहास में दिग्गज संगीतकारों, गुरुओं ने किया । उन्होंने यह जानने का प्रयास किया कि एक सप्तक में कितने नाद को अलग-अलग पहचाना जा सकता है और अलग-अलग गाया या बजाया जा सकता है ।
फलस्वरुप यह निष्कर्ष निकला कि एक सप्तक में नादों की संख्या 22 है । इन्हीं 22 नादों को श्रुति कहा गया । ध्यान रहे असंख्य नादों में सिर्फ 22 को ही चुना गया और इन्हें ही श्रुति कहा गया ।
श्रुति और स्वर में अंतर – श्रुति की संख्या 22 है जबकि स्वर की संख्या 12 ( शुद्ध और विकृत मिलाकर ) हैं ।
श्रुति और शुद्ध स्वर
आप जानते हैं सप्तक के 7 स्वरों को ही हम शुद्ध स्वर कहते है । 22 श्रुतियों में से ख़ास 7 श्रुतियों को चुना गया और उन्हें हमने शुद्ध स्वर कहा जो कि सा, रे, ग, म, प, ध, नि हैं ।
श्रुति और विकृत स्वर
सात स्वरों के प्रयोग के कुछ दिन बाद शास्त्रकारो ने यह पाया कि केवल इन्हीं सात स्वरों का प्रयोग या उपयोग करके संगीत में कुछ खास कार्य या संगीत का विकास कठिन है ।
उन्हें कुछ और स्वरों की जरूरत पड़ी तब विद्वानों ने इन्हीं 22 श्रुतियों में से 5 श्रुतियों को फिर से चुना तथा इन्हें ही विकृत स्वर का नाम दे दिया गया जोकि क्रमश: कोमल रे, कोमल ग, तीव्र म, कोमल ध, कोमल नि है ।
अर्थात 7 स्वर + 5 विकृत स्वर = 12 स्वर ज्ञात हैं, जिनका प्रयोग हम करते हैं ।
सप्तक का स्थान निर्धारण
प्राचीन समय में इन स्वरों का स्थान तथा आधुनिक समय में इन स्वरों के स्थान में परिवर्तन हुआ है । अगर आप जिज्ञासु हैं इन्हें जानने के लिए तो आइए इसे सरल रूप में समझने की कोशिश करते हैं ।
आसान शब्दों में एक रेखा की कल्पना करें जिनमें एक से 22 तक संख्या लिखी है । अब इन 22 श्रुतियों में सात स्वर ढूंढेंगे जानेंगे कि किस नंबर को क्रमश: सा, रे, ग, म, प, ध, नि नाम दे दिया गया ।
श्रुतियों के नाम ( 22 shruti names hindi में )
श्रुति स्वर व्यवस्था के प्रकार
श्रुति स्वर व्यवस्था के 2 प्रकार हैं ।
1 . प्राचीन श्रुति स्वर व्यवस्था – यह पहले के समय में उपयोग में लायी जाती थी ।
2 . आधुनिक श्रुति स्वर व्यवस्था – यह अभी के समय हमारे द्वारा उपयोग में लायी जाती है ।
प्राचीन श्रुति स्वर व्यवस्था Chart
जैसा कि ज्ञात है , आप नीचे चार्ट में देख सकते हो – सा की 4 श्रुतियां हैं, रे की 3 श्रुतियां हैं, ग की 2 श्रुतियां हैं, म की 4 श्रुतियां हैं, प की 4 श्रुतियां हैं, ध की 2 श्रुतियां हैं, नि की 2 श्रुतियां हैं ।
यहां सा – 4थे, रे – 7वें, ग – 9वें, म -13वें, प – 17वें, ध – 20वें, तथा नि – 22वें स्थान पर माना गया ।
सरल रूप में कहें तो क्रमशः स, म, प, की 4-4 श्रुतियां है । रे और ध की 3-3 श्रुतियां है तथा ग, नि की 2-2 श्रुतियां हैं ।
आधुनिक श्रुति स्वर व्यवस्था Chart
आधुनिक श्रुति स्वर व्यवस्था में भी क्रमशः स, म, प, की 4-4 श्रुतियां है । रे और ध की 3-3 श्रुतियां है तथा ग, नि की 2-2 श्रुतियां हैं । जैसा की आप नीचे चार्ट में देख सकते हो ।
ऊपर दी गई चार्ट में हम देखेंगे आधुनिक स्वर स्थान इन में भी ऊपर की भांति स्वरों का विभाजन हुआ है । सा,प की चार श्रुतियां रे, ध की दो तथा ग, नि की दो श्रुतियां हैं । बस इनका स्थान बदल गया है ।
यहां सा – 1ले, रे – 5वें, ग – 8वें, म -10वें, प – 14वें, ध – 18वें, तथा नि 21वें स्थान पर माना गया ।
प्राचीन और आधुनिक स्वर स्थानों में अंतर ( Difference )
श्रुति स्वर व्यवस्था में प्रत्येक स्वरों के श्रुति की संख्या । स्वरों की संख्या को देखें । उनकी तुलना करें ।
नीचे तालिका में आप देख रहे हैं कि प्राचीन तथा आधुनिक दोनों व्यवस्था में स्वरों के श्रुतियों की संख्या सामान है । आप ऊपर तालिका में इनकी संख्या गिन सकते हैं ।
प्राचीन श्रुति स्वर व्यवस्था | आधुनिक श्रुति स्वर व्यवस्था |
सा – 1, 2, 3, 4 रे – 5, 6, 7 ग – 8, 9 म – 10, 11, 12, 13 प – 14, 15, 16, 17 ध – 18, 19, 20 नि – 21, 22 | सा – 1, 2, 3, 4 रे – 5, 6, 7 ग – 8, 9 म – 10, 11, 12, 13 प – 14, 15, 16, 17 ध – 18, 19, 20 नि – 21, 22 |
दोनों स्वर व्यवस्था में समानता है । प्राचीन तथा आधुनिक स्वर विभाजन में है कोई भी भिन्नता नहीं है । प्राचीन व्यवस्था में सा का स्थान 4th जबकि आधुनिक व्यवस्था में सा का स्थान 1st है ।
श्रुति स्वर व्यवस्था का आधार ?
यह कैसे तय किया गया कि सप्तक के किस स्वर की श्रुति संख्या कितनी होगी ? किस आधार पर सप्तक के स्वरों का स्थान निर्धारण किया गया ? जवाब है – दशकों के शोध के बाद विद्वानों ने हम इंसानो के समझ और गायन छमता के आधार पर इन्हे निर्धारित किया ।