पारिभाषिक शास्त्रीय संगीत शब्दावली Vocabulary- vadi, kan, khatka, murki, mend

पारिभाषिक शास्त्रीय संगीत शब्दावली -भारतीय शास्त्रीय संगीत राग रागनियों के लिए जाना जाता है । आप अगर राग से सम्बंधित बातों को समझना है तो आपको थाट को समझना होगा, राग की जाति को समझना होगा ।

इसे पढ़ें थाट के लक्षण / गुण या प्रकृति

इसे पढ़ें राग की जाति का नामकरण तथा वर्गीकरण Raag ki jati, Vargikaran

पारिभाषिक शास्त्रीय संगीत शब्दावली Glossary of Classical Music terminology

पारिभाषिक शास्त्रीय संगीत शब्दावली- आपको इस आर्टिकल में भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुड़ी महत्वपूर्ण शब्द तथा उनका अर्थ / मतलब जानने वाले हैं । इन शब्दावली का अर्थ जानने के बाद आपको Terminology of music और musical words and its definition in hindi को समझने में काफी सहायता मिलेगी । तो आइये जानते हैं –

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संगीत में अलंकार / पलटा किसे कहते हैं ?

Alankar- अलंकार में स्वरों का एक चलन बनाया जाता है और उसे गाया जाता है । काफी लोग यह जानना चाहते हैं कि पलटा क्या है ? जवाब है – अलंकार को ही पलटा कहते हैं या अलंकार ही पलटा कहलाते हैं।

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अलंकारों का अभ्यास / रियाज करने के क्या फायदे हैं ?

Benefits of Alankar अलंकार / पलटा –
रोज अलंकारों का अभ्यास/ रियाज करने से आपका गला हर स्वर को आगे पीछे गाने में, फास्ट गाने में, हरकतें, मुरकियां लेने में, सक्षम हो जाता है । जैसे-जैसे अलंकार गाते हैं वैसे ही हारमोनियम बजाकर स्पीड में अलंकार बजाने की प्रैक्टिस करेंगे तो उतनी ही जल्दी आपकी उंगलियां उस वाद्ययंत्र पर घूमने योग्य हो जाएंगी ।
इसके अभ्यास से सुरों को पहचानने में काफी मदद मिलती है ।
सही और सटीक तरीके से रियाज करने पर ही आपके गायन में सकारात्मक बदलाव आएगा।

खरज क्या है ? खरज का अर्थ क्या है ?

आपको लगता होगा की आवाज़ को ऊँचा ले जाना मुश्किल है नीचे ले जाना आसान होता है पर ऐसा नहीं है । आवाज़ को नीचे के स्वरों पर ले जा पाना उतना ही कठिन है । इसके लिए हमे खास किस्म का रियाज , अभ्यास करना पड़ता है । इसे ही हम खरज कहते हैं ।

खरज का रियाज़ –
स्वरों पर कई रागों का निर्माण होता है। रियाज के शुरुआती दौर में रियाज बहुत इंपॉर्टेंट होता है । काफी लोगों को लगता है कि खरज का रियाज़ सभी सप्तकों में होता है । नहीं, यह गलत है , ऐसा बिल्कुल भी नहीं है । खरज का मतलब होता है लो नोट्स का रियाज़ मतलब मंद्र सप्तक का रियाज । खरज का अर्थ है निचले स्वर का अभ्यास ।
खरज का रियाज -संगीत में नीचे के स्तर / लो नोट्स का अभ्यास Kharaj Practice

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थाट किसे कहते हैं ?

Thaat ठाट या थाट –
स्वरों की एक ऐसी रचना होती है जिससे रागों का निर्माण होता है। थाट में हमेशा सात स्वर होते हैं वह सात स्वर सा, रे, ग, म, प, ध, नि है और इन्हीं स्वरों में कोमल और तीव्र के मिलन से थाट का निर्माण होता है। इस तरह से थाट के स्वर बनाए जाते हैं और उन्हीं से राग बनाए जाते हैं ।

हिंदुस्तानी संगीत पद्धति में थाटों की संख्या कितनी मानी जाती है?

हिंदुस्तानी संगीत पद्धति में रागों को उत्पन्न करने वाले थाटों की संख्या 10 हैं ।

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10 थाट कौन कौन से हैं नाम बताएं ?

थाटों की संख्या = 10, Names of 10 Thaat
1. बिलावल 2. कल्याण 3. खमाज 4. आशावरी 5. काफी 6. भैरवी 7. भैरव 8. मारवा 9. पूर्वी 10. तोड़ी

10 थाटों के बारे में बताएं ?

10 थाटों –
1. बिलावल – बिलावल में सारे स्वर शुद्ध प्रयोग किए जाते हैं फिर आता है।
2. कल्याण – जिसमें म तीव्र और बाकी सब स्वर शुद्ध प्रयोग किए जाते हैं।
3. राग खमाज – जिसमें नि कोमल और बाकी सब स्वर शुद्ध लगाए जाते हैं।
4. आशावरी – ग, ध,नि कोमल और बाकी सभी स्वर शुद्ध प्रयोग किए जाते हैं।
5. काफी – इसमें गा और नि स्वर कोमल और बाकी सभी स्वर शुद्ध लगाए जाते हैं।
6. भैरवी – रे ग ध नि स्वर कोमल और बाकी सभी स्वर शुद्ध प्रयोग किए जाते हैं।
7. भैरव – रे, ध कोमल तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं।
8. मारवा- इसमें रे कोमल और म तीव्र प्रयोग किया जाता है।
9. पूर्वी- पूर्वी इसमें रे और ध कोमल और म तीव्र प्रयोग किया जाता है।
10. तोड़ी – इसमें रे गा घा कोमल और म तीव्र लगाया जाता है।

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आरोह और अवरोह किसे कहते हैं?

आरोह और अवरोह हिंदुस्तानी संगीत पद्धति में बहुत ही महत्व रखते हैं।

आरोह- स्वरों का चढ़ता हुआ क्रम (ascendind order) ” सा रे ग म प ध नि सा ” । यह आरोह कहलाता है और
अवरोह- उतरता हुआ क्रम (descending order ) ” सा नि ध प म ग रे सा ” यह अवरोह कहलाता है ।

लेकिन कभी-कभी क्या होता है कि जाते हुए स्वरों के साथ-साथ उतरते हुए सुर भी गाए जाते हैं- जैसे राग केदार आरोह में सा म, म प, ध प, नि ध सा । इसमें ध प और नि ध अवरोह जैसे स्वर है फिर भी यह आरोह में रखे गए हैं ऐसे बहुत से राग हैं जिन्हें ऐसा चलन दिखाई देता है। तो उसके लिए हम ऐसा कह सकते हैं कि …
राग के चलन के अनुसार चढ़ते हुए क्रम को आरोह और राग के चलन के अनुसार उतरते हुए क्रम को अवरोह कहते हैं।

राग में पकड़ क्या है ?

राग में आरोह अवरोह उस राग के सुरों के बारे में बताता है और उससे हमें पता चलता है कि ये किस राग के आरोह अवरोह हैं। बिल्कुल ऐसे ही रागों को पहचानने का सबसे बड़ा काम करता है पकड़

राग में पकड़ किसे कहते हैं ?

पकड़ –
वह छोटे से छोटा स्वर समूह जिससे किसी एक राग के बारे में पता चलता है उसे हम पकड़ कहते हैं। जैसे-जैसे आप राग सीखेंगे, वैसे वैसे आप किसी भी गाने के स्वरों को बताने और उनको समझने में सक्षम हो जाएंगे। पकड़ अगर आपको पता है किसी राग की तो आप आसानी से उस राग के बारे में बता सकते हैं कि यह कौन सा है।

अलाप किसे कहते हैं ?

राग के स्वरूप के अनुसार विलंबित स्वर विस्तार मतलब, आराम से स्वरूप और ठहर कर गाने की विधा को अलाप कहते हैं ।
आलाप आकार में ,नोम तोम में भी गाया जाता है । नोम तोम अधिकतर ध्रुपद, धमार में गाए जाते हैं । आकार का आलाप ख्याल में किया जाता है । और गीत के बीच बीच में भी किया जाता है । जैसे हम कोई गाना गाते हैं उसके बीच में हम आकार में स्वरों को बांध के उसको और खूबसूरत बना देते हैं ।

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तान किसे कहते हैं ?

तान – राग के स्वरों को द्रुत या तेज गति में विस्तार करने को तान कहते हैं ।

अलाप और तान में क्या अंतर है ?

अलाप और तान में सिर्फ और सिर्फ गति का अंतर होता है । आलाप में हम धीरे-धीरे गाते हैं तान में हम तेज गति से स्वरों को एक साथ लेकर तान में तब्दील कर देते हैं ।

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वर्जित स्वर किसे कहते हैं ?

वर्जित स्वर – जिन स्वरों का प्रयोग राग में नहीं होता वह वर्जित स्वर कहलाते हैं।

लय / BPM (Beats per Minute) क्या है ?

लय – संगीत में समान गति को लय कहते हैं जिसे हम बीपीएम beats per minute भी कहते हैं ।

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ताल किसे कहते हैं ?

ताल– बहुत सारी मात्राओं के विभिद्ध समूह को ताल कहते हैं यानी बीट्स जो एक साइकिल या लूप में होती रहती है। एक बीट चलती रहती है उस पर हम गाना गाते हैं।

ख्याल का अर्थ क्या है ?

ख्याल- हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रकार जिसमें आलाप तान आदि विभिन्न लयकारी का पालन करते हुए अपने भाव व्यक्त किए जाते हैं । उसको ख्याल कहते हैं।

छोटा ख्याल का अर्थ क्या होता है?

छोटा ख्याल -यह मध्य और द्रुत (तेज़) गति में गाया जाने वाला ख्याल है ।

तिहाई किसे कहते हैं ?

तिहाई – जब कोई बोल 3 बार दोहराया जाए और ताल का आखिरी धा सम पर आए तो इसे तिहाई कहते हैं।

आपने हमेशा देखा होगा कि जब भी कोई गाना खत्म करना होता है तो हम उसे तिहाई लेकर उस गीत को,ख्याल को, उस छोटा ख्याल को खत्म करते हैं तो वहां पर वह खत्म होता है ।

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वादी स्वर क्या है ?

वादी – किसी भी राग में वादी सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाला स्वर होता है । किसी राग में जो स्वर पूरे राग में सबसे ज्यादा बार बोला गया हो उपयोग में लाया गया हो ऐसे स्वर वादी स्वर कहलाते हैं ।

संवादी स्वर किसे कहते हैं?

संवादी– संवादी किसी राग में वादी के बाद सबसे ज्यादा उपयोग में लाया जाने वाला स्वर या हम कह सकते हैं किसी राग में दूसरा सबसे ज्यादा बार उपयोग में लाया जाने वाला स्वर ऐसे स्वरों को संवादी स्वर कहते हैं।

वर्ज्य या वर्जित स्वर क्या है ?

वर्ज्य / वर्जित स्वर – वैसे स्वर जिन्हें राग में उपयोग नहीं किए गए हों उन्हें वर्ज्य स्वर कहा जाता है । उदाहरण जैसे राग भूपाली में म और नि का प्रयोग नहीं किया गया है अर्थात इस राग के लिए ( म और नि ) वर्ज्य है ।

विवादी स्वर किसे कहते हैं?

विवादी – वर्ज्य और विवादी में जरा अंतर है । वर्ज्य में जहां कुछ स्वरों का उपयोग बिल्कुल नहीं होता है। वहीं वही स्वर विवादी में उपयोग में लाया जाता है। परंतु बहुत ही कम समय के लिए और कभी-कभी । राग की रंजकता बढ़ाने के लिए ऐसा किया जाता है । बड़ी सावधानी से ऐसा करना पड़ता है, वरना राग ही बदल सकता है तो गायकों को बड़ी चतुराई से इसका क्षणिक इस्तेमाल करना पड़ता है।

अनुवादी स्वर किसे कहते हैं?

अनुवादी – किसी राग में वादी संवादी को छोड़कर अन्य स्वर जिनका उपयोग कम किया गया हो । जो भी फणीश्वर होंगे उसे हम उस राग का अनुवादी स्वर कहेंगे ।

मींड किसे कहते हैं?

मींड – एक स्वर से दूसरे स्वर का जुड़ा होना बिना किसी खाली स्थान के । पाठकों मींड हम उसे कहते हैं जब कोई एक स्वर दूसरे स्वर से जुड़ा होता है । उदाहरण अगर हम स-मा को इस प्रकार गाते हैं कि बिना किसी खाली स्थान के वह एक curve बनाता हुए ऐसा प्रतीत हो कि वह साथ में जुड़े हुए हैं । जैसा कि गीत जब दीप जले आना में “जले” शब्द का स्वर है ( रे-प ) इसे गाकर देखें तो आप महसूस करेंगे कि प, रे से जुड़ा हुआ है इसे ही हम मींड कहेंगे। ऐसे और भी कई उदाहरण है ।

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कण / स्पर्श स्वर किसे कहते हैं?

कण – गायन के वक्त सुर लगाते हुए यदि आप किसी निर्धारित स्वर के अगले या पिछले स्वर को क्षणिक जरा छू कर वापस अपने निर्धारित स्वर पर आ जाते हैं । इसे हम कण कहते हैं । इन्हें लगाने से संगीत में सजावट आ जाती है । यह संगीत रूपी शरीर के लिए आभूषण जैसा ही हैं । कण को स्पर्श स्वर भी कहते हैं ।

संगीत में खटका क्या है?

खटका – 4 या उससे अधिक स्वरों को जब हम लपेट कर जल्दी से प्रयोग में लाते हैं अथवा गाते वक्त प्रयोग करते हैं उसे हम खटका कहते हैं । जैसे निसारेसा यह स्वरों का एक circle बनाता दिखाई पड़ता है ।

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मुर्की की परिभाषा क्या है?

मुर्की – पारिभाषिक शास्त्रीय संगीत शब्दावली में खटका के जैसे ही मुर्की में 3 स्वरों का उपयोग होता है जो तुरंत गाया जाता है । जैसे – रे-नि-सा ध-म-प यह तीनों स्वर हाफ सर्कल बनाता हुआ दिखाई पड़ता है।

कौन सा राग कब गाया जाता है?

वादी स्वर ( किसी राग में सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला स्वर ) का 1 गुण यह भी है कि इससे हम किसी राग के गाने का समय पता कर सकते हैं, कि वह राग किस समय में गाया जाए अर्थात सबसे ज्यादा प्रयुक्त स्वर हमें बताता है कि हमें उस राग को किस समय गाना चाहिए ।

इसके लिए हम सप्तक को दो भागों में बांटते हैं । पहला – सा रे ग म प तथा दूसरा म प ध नि सा । पहले भाग में जो स्वर हैं उनमें से प्रयुक्त स्वर अगर किसी राग का वादी स्वर है तो उसे 12:00 बजे दिन से 12:00 बजे रात के बीच गाया जाएगा तथा दूसरा भाग 12:00 बजे रात से 12:00 बजे दिन के बीच गाया जाना निर्धारित किया गया है ।

अब आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि म, प तो दोनों भागों में हैं फिर यदि म, प वादी स्वर हो तो, यह कैसे तय होगा कि इसे किस समय गाया जाए । नोट – वादी तथा संवादी स्वर में तीन-चार स्वर का अंतर होता है । तो अब हमें यह देखना होगा कि किसी राग में प्रयुक्त वादी संवादी स्वर किस भाग में आएगा ।

जैसे- राग भैरवी में म, सा वादी-संवादी हैं। अर्थात म और सा पहले भाग में आएगा ।

राग मालकौंस में म, सा वादी-संवादी है ।

उसी तरह राग बसंत में तार सा- प, वादी-संवादी है और यह दूसरे भाग में आएगा । .

थ्योरी जब तक आप नहीं जानेंगे तब तक प्रैक्टिकल कैसे कर पाएंगे । तो पारिभाषिक शास्त्रीय संगीत शब्दावली (Classical  Music Related Words and Definition) में आगे हम और भी शब्दों और उनकी परिभाषा को जोड़ते रहेंगे ।

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पारिभाषिक शास्त्रीय संगीत शब्दावली – इस लेख के माध्यम से ‘सप्त स्वर ज्ञान’ से जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद ।

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