कुदऊ सिंह की जीवनी Biography of Kudau Singh
कुदऊ सिंह जीवनी Biography • कुदऊ सिंह का जन्म 1815 ई . के लगभग उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में था । इनके पिता का नाम गप्पे सिंह था । कुदऊ सिंह ने ‘ पखावज वादन ‘ की शिक्षा भवानी सिंह उर्फ दासजी से प्राप्त की थी । कुदऊ सिंह की मृत्यु लगभग वर्ष 1910 में हुई ।
संगीत में योगदान
- कुदऊ सिंह के समय भारत में कई रियासतें विद्यमान थी तथा इन्होंने कई रियासतों में अपने कार्यक्रम प्रस्तुत किए । दतिया महाराज भवानी सिंह ने ही इनका नामकरण कुदऊ सिंह रखा , जिस नाम से इन्होंने प्रसिद्धि पाई । इन्होंने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के यहाँ दरबारी संगीतज्ञ के रूप में काम किया ।
- 1847 ई . में उन्होंने अवध के नवाब वाजिद अली शाह के दरबार में अनेक प्रसिद्ध कलाकारों के समक्ष अपनी कला का प्रदर्शन किया । नवाब ने प्रसन्न होकर उन्हें सम्मानित किया ।
- अयोध्या नरेश कुँवर दास एवं नवाब वाजिद अली शाह ने इन्हें ‘ सदा कुँवर ‘ की उपाधि से सम्मानित किया ।
- कुदऊ सिंह ने एक ग्रन्थ लिखा था , जिसमें एक हजार से अधिक परने थीं । कालान्तर में इनमें से कुछ अपने विशिष्ट नामों से प्रचलित एवं प्रसिद्ध हुई ; जैसे – गज परन , शिव परन , दुर्गा परन , गणेश परन , अश्व परन आदि ।
- इनके प्रमुख शिष्यों में मदनमोहन उपाध्याय , हरचरण लाल झल्ली , पर्वत सिंह रामदास , देवकी नन्दन पाठक , विष्णुदेव पाठक , पण्डित अयोध्या प्रसाद प्रमुख थे ।
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