Key Signature in Music in Hindi – staff Notation लिखते समय तीव्र स्वर या विकृत स्वर (C , C#, D, D# इत्यादि ) का बार बार प्रयोग हो तो Clef Sign के पहले # (sharp/तीव्र) या b (flat/कोमल) चिन्ह लगा देते हैं । ऐसा करने से पूरे संगीत में प्रयोग किया वह खास स्वर sharp/flat हो जाता है ।
इस अध्याय में हम Key Signature से जुड़े सारे महत्वपूर्ण शब्दों और उनकी परिभाषाओं के बारे में जानेंगे । यह आगे आपको Western Notation System ( वेस्टर्न स्वरलिपि पद्धति ) को समझने में मदद करेगी । तो चलिए आगे बढ़ते हैं, जानते हैं –
Key Signature in music – संगीत में की सिग्नेचर क्या होता है?
Key Signature in Music – अगर किसी स्वर रचना में किसी स्वर का एक ही विकृत रूप अधिक प्रयोग हुआ है , जैसे- तीव्र रे (D#) तो क्लेफ में प्रत्येक बार तीव्र – चिन्ह लगाने की आवश्यकता नहीं , बल्कि रे (D) स्वर की रेखा पर क्लेफ चिन्ह के बगल में तीव्र का चिन्ह बना देते हैं । फलस्वरूप उस पंक्ति का प्रत्येक ( रे / D), तीव्र (रे / D#) हो जायेगा । इस प्रकार के चिन्हों को ‘ की सिगनेचर ‘ ( Key Signature ) कहते हैं ।
अगर उस स्वर रचना में कहीं – कहीं शुद्ध ग (E) भी प्रयुक्त हुआ तो इस ग (E) की बाई ओर तीव्र का चिन्ह लगा देंगे जिससे केवल वही तीव्र रे (D#) माना जाएगा और शेष शुद्ध होंगे । ‘ Key Signature ‘ की सहायता से भारतीय शास्त्रीय संगीत के राग सरलता से लिखे जा सकते हैं ।
लेजर लाइन – कभी – कभी किसी गीत अथवा वृन्दवादन में उपर्युक्त 6 रेखाओं से अधिक स्वरों की आवश्यकता पड़ती है , जैसे ट्रेबिल क्लेफ में नि ध अथवा तार का पंचम । ऐसे समय में आवश्यकतानुसार 6 समानांतर रेखाओं के ऊपर अथवा नीचे एक छोटी सी रेखा खींच देते हैं और उस रेखा पर स्वरचिन्ह बना देते हैं । इस नवीन छोटी रेखा को लेजर लाइन ( Leger line ) कहते हैं ।
Leger Line क्या है जानने के लिए इसे पढ़ें >> How to write Staff Notation स्टाफ स्वरलिपि ?
बार (Bar)- पाश्चात्य संगीत में विभाग को बार ( Bar ) को कहते हैं । बार का प्रयोग और अर्थ , हिन्दुस्तानी संगीत के समान , किसी रचना के विभिन्न खंडों को दिखाने के लिये होता है । विभाग दिखाने के लिये स्वरलिपि में अपने यहाँ की तरह खड़ी रेखा खींची जाती है ।
डबल बार (Double Bar) – जब दो लकीरें पास – पास खींची जाती हैं तो रचना के विशेष भाग की समाप्ति मानी जाती है । जब कुछ स्वर – समूहों को आगे – पीछे दोनों ओर से दो – दो खड़ी लाइनों में बन्द कर देते हैं तो जो भाग इनके बीच होता है उसे मेज़र ( Measure ) कहते हैं । जब कभी किसी रचना के अंत में दो लाइनों के ऊपर टाइम ( Time ) लिख देते हैं तो रचना की पूर्ण समाप्ति मानी जाती है । जब किसी विशेष भाग को दोहराना होता है तो उस विभाग के शुरू व अंत में दो लाइन बनाकर दो बिन्दु डाल देते हैं , इसतरह- I I : : I I
टाई (Tie) – जब कभी विभाग ( बार ) की रेखा दो – तीन या अधिक मात्रा के स्वर के बीच में आ जाती है तो टाई ( Tie ) का चिन्ह उन स्वरों पर लगाया जाता है । इसका चिन्ह मींड के समान अर्ध चंद्राकार होता है । इसके लगाने से स्वर लगातार गाया – बजाया जाता है जैसे ( ऊपर अर्ध चंद्राकार लगा हुआ ) ग।ग इसका यह अर्थ हुआ कि ग दो मात्रा का हुआ । इसका ग – गाया जाएगा ग ग नहीं ।
स्लर(Slur) – इसका चिन्ह हिन्दुस्तानी मींड के समान अथवा स्टाफ नोटेशन के टाई के समान होता है । स्लर और टाई में अंतर यह है कि Slur में विभिन्न स्वर होते हैं और Tie में विभिन्न स्वर नहीं होते , बल्कि एक ही स्वर होते हैं । जब दो या अधिक स्वरों को मींड की भाँति बजाया जाता है तो उसे स्लर कहते हैं ।
8ve – जिन स्वरों के ऊपर इस प्रकार का चिन्ह 8ve लगा दिया जाता है तो वे स्वर एक सप्तक ऊंचे सप्तक में गाये – बजाये जायेंगे । इसी प्रकार जिन स्वरों के नीचे इस ‘ [ ‘चिन्ह को उलट कर लगाया जाता है , तो वे स्वर एक सप्तक नीचे के स्वरों में गाये – बजाये जाते हैं जैसे -8 ve
Sf या fz – जिस स्वर पर ये शब्द लिख देते हैं उस पर Strong Accent अर्थात् हिन्दुस्तानी सम के समान बल देते हैं ।
Tr – इससे स्वर को ऊपर – नीचे कँपा कर बजाते हैं जैसे गमगम । इसे Shake करना कहते हैं ।
Fine – इस शब्द से रचना की समाप्ति मानी जाती है ।
Pause – जब इसका चिन्ह लगा देते हैं तो जितना चाहे रुक सकते हैं । इसे विस्तार में आगे समझाया गया है ।
मेज़र (Measure) – दो बार अर्थात दो विभाग के बीच की मात्राओं को मेज़र कहते हैं और एक मेज़र में जितनी मात्रायें रहती हैं , उन्हें बीट्स ( Beats ) कहते हैं ।
Appogiatura – यह एक प्रकार का कण स्वर है । मूल स्वर के पहले लिखा गया छोटा स्वर मूल स्वर का आधा समय ले लेता है । अगर इस स्वर के आगे एक बिन्दु लगा दिया जाता है तो मुख्य स्वर का दो तिहाई काल यह स्वर ले लेता है ।
Acciaccature – यह भी एक प्रकार का कण है । इसमें जितनी भी शीघ्रता सम्भव हो , कण स्वर को बजाना चाहिए ।
Turn – जिस स्वर पर टर्न का चिन्ह लगाते हैं , तो पहले उससे आगे का स्वर , फिर मूल स्वर , उसके बाद उससे नीचे का स्वर और अंत में मूल स्वर बजाते हैं । इस प्रकार उनके आगे के स्वर से 4 स्वरों का खटका बजाते हैं , जैसे – सा पर लगाने से रेसानिसा होगा ।
Inverted Turn – जिस स्वर पर यह चिन्ह लगाते हैं उससे नीचे के स्वर से प्रारम्भ होकर 4 स्वरों का खटका बनाते हैं जैसे प पर लगाने से मपधप होगा ।
मारडेन्ट (Mordent) – तीन स्वरों के मुर्की को मारडेन्ट कहते हैं । इसमें जब ऊपर का स्वर प्रयोग करेंगे , जैसे – ग पर गमग तो उसे अपर मारडेन्ट (Upper Modrent) और जब नीचे का स्वर प्रयोग करेंगे , जैसे – ग रे ग तो उसे लोवर मारडेन्ट (Lower Modrent) कहते हैं ।
Key Signature in Music के इस अध्याय के बाद इसे भी पढ़ें।
Time Signature ( ताल ) के प्रकार, लयकारी, विशेषतायें in Western music
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