गुदई महाराज जीवनी Biography, Gudai Maharaj उर्फ पण्डित समता प्रसाद

गुदई महाराज उर्फ पण्डित समता प्रसाद जीवनी Biography

गुदई महाराज जीवनी Biography of Gudai Maharaj – इन्होने कई फिल्मो के संगीत में अपने तबला वादन से कमाल कर दिया । इसमें शोले फिल्म भी शामिल है । आइये जानते हैं –

  • पण्डित समता प्रसाद उर्फ गुदई महाराज पण्डित समता प्रसाद का जन्म 20 जुलाई , 1921 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के कबीर चौरा में हुआ था ।
  • ये मूलतः संगीतज्ञ परिवार से थे । ये शास्त्रीय संगीतकार एवं तबला वादक थे तथा बनारस घराने से सम्बन्ध रखते थे ।
  • इनके पिता पण्डित बाचा मिश्र एक अच्छे कलाकार थे तथा इन्होंने ही समता प्रसाद को प्रारम्भिक शिक्षा दी । इनकी आगे की शिक्षा तबले के प्रकाण्ड विद्वान् पण्डित विक्रमादित्य मिश्र उर्फ विक्कू महाराज से हुई ।
  • 21 मई , 1994 को समता प्रसाद का पुणे में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया ।

संगीत में योगदान

  • समता प्रसाद ने अथक् व कड़ा अभ्यास करके अपनी प्रतिभा को निखारा और ऐसी ख्याति प्राप्त की कि जहाँ जहाँ भी उनका वादन हुआ , ये श्रोताओं के हृदय में बसते चले गए ।
  • वर्ष 1942 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन में इनको पहली बार तबला वादन करने का महत्त्वपूर्ण अवसर मिला ।
  • समता प्रसाद ने कई फिल्मों के माध्यम से अपने तबला वादन का प्रदर्शन किया , जिनमें कुछ प्रमुख फिल्म है – ‘ झनक झनक पायल बाजे ‘ , ‘ मेरी सूरत तेरी आँखें के गीत ‘ , नाचे मन मोरा मगन तिग्धा धीगी – धीगी इसमें तिग्धा घी की संगत और धी तथा गी की बाएँ की गुफ्तगूँ की नजाकत उन्होंने ही पेश की थी ।
  • ‘ किनारा ‘ के गीत ‘ मीठे बोल बोले रे कोयलिया ‘ में अद्धा ठेके में तिरकिट धिरकिट के रेले का जो अल्प समय में स्वरूप तैयार किया वो गुदई महाराज का ही चमत्कार है ।
  • शोले फिल्म में ताँगे की आवाज के लिए आरडी बर्मन के अनुरोध पर उनका तबला वादन तिरकिट , थिरकिट और टकटक घोड़े और ताँगे के साथ सही समन्वय स्थापित करता है ।
  • ‘ कुदरत ‘ फिल्म में परवीन सुल्ताना के साथ गीत ‘ हमें तुमसे प्यार कितना ‘ में दाएँ और बाएँ का जो प्यार और गुंथाव था । इन्होंने लग्गी – लड़ी के माध्यम से प्रस्तुत कर गीत में चार चांद लगा दिए ।

सम्मान • पुरस्कार

  • पण्डित समता प्रसाद को कई सम्मान तथा उपाधियों से विभूषित किया गया , जिनमें कुछ प्रमुख है
    • वर्ष 1972 में पद्म श्री पुरस्कार
    • वर्ष 1979 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
    • वर्ष 1991 पद्म भूषण पुरस्कार

• ये अनेक उपाधियों से भी सम्मानित किए गए , जिनमें ‘ तबले का जादूगर ‘ , ‘ ताल मार्तण्ड ‘ , ‘ ताल शिरोमण , ‘ ताल विलास ‘ , ‘ तबला सम्राट ‘ आदि प्रमुख है । इनके शिष्यों में प्रमुख रूप से शशांक बक्शी , पण्डित भोला प्रसाद सिंह , नाबा कुमार पाण्डा , गुरमीत सिंह बिरदी , सत्यनारायण वशिष्ठ , राहुल देव बर्मन आदि हैं ।

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