घराने की उपयोगिता – घरानों की उपयोगिता एवं महत्त्व पर यदि विचार किया जाए तो कहा जा सकता है कि परम्पराओं का पालन करने तथा नवीन सौन्दर्य दृष्टि अपनाने से हो कल की नींव सुदृढ़ होती है और विकास क्रम सहज रूप से बना रहता है ।
घराने की उपयोगिता एवं महत्त्व
यदि देख जाए तो ” घरानों का अस्तित्व केवल संगीत में ही नहीं अपितु मनुष्य के दैनिक जीवन से भी सम्बन्धित है । ” उसका प्रयोजन , आधार, महत्त्व क्या है ? यदि इन पर दृष्टिपात करें तो यही ज्ञात होता है कि घराने हमारी सांस्कृतिक सामाजिक परम्परा को दृढ़ रखने व समाज की विकासधारा, उपयोगिता को आगे बढ़ाने व मनुष्य की अनुशासन, संयम व पूर्वजों के प्रति श्रद्धा आदि की शिक्षा देने में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुए । घरानों के रूप में ही परम्परा को प्रधानता देते हुए प्राचीन संगीत का स्वरूप तथा विशिष्ट लक्षण आधुनिक समय में कुछ सीमा तक सुरक्षित रह सके और शास्त्रीय संगीत की धारा अखिल गति से प्रवाहित हो सकी ।
अतः हिन्दुस्तानी संगीत को जीवित रखने का तथा समय – समय पर समसामयिक प्रभाव कुछ सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक मिश्रण अथवा परिवर्तन होने पर भी संगीत के अविरल प्रवाह का श्रेय प्रमुखतः उन परम्पराओं को ही प्राप्त है जो वर्षों से गुरु – शिष्य परम्परा के रूप में चली आ रही हैं और जिसके कारण भारतीय संगीत के मूल आधार व मूल स्वरूप का संरक्षण किया जा सका ।
उन गुरुओं व शिष्यों की मेहनत , लगन व परिश्रम का ही फल है कि संगीतज्ञों के माध्यम से प्राचीन बन्दिशें अपनी सैद्धान्तिक गरिमा को बरकरार रखते हुए जीवित कला के रूप में आधुनिक समय तक पहुँच सकी तथा शास्त्रों वर्णित स्वरात्मक व लयात्मक प्रयोगों का विशिष्ट अंश अलंकारों के साथ अपने प्रयोगात्मक रूप में नवीन संगीतज्ञों तक पहुँच सका जिसका श्रेय संगीत के परम्परागत या घरानेदार साधकों को ही जाता है ।
प्रत्येक घराने में शिष्यों के रूप में गायन की शैली – वादन की शैली विशेष रूप से जीवित रह सकी जिसकी उपयोगिता / छाप उस घराने के प्रत्येक शिष्य पर मोहर की भाँति स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है । इन शिष्यों अथवा संगीतज्ञों के द्वारा ही प्राचीन संगीत की झलक हम तक पहुँच सकी ।
इन संगीतज्ञों के अभाव में दूसरे किसी भी रूप द्वारा संगीत जैसी कला का प्राचीन रूप इतनी स्पष्टता से जीवित नहीं रह सकता था । इसलिए जितनी आवश्यकता प्राचीन शास्त्रों को व ग्रन्थों को सुरक्षित रखने की है उतनी ही आवश्यकता संगीतज्ञों द्वारा इस संगीत को जीवित रखने की है ।
घरानों के महत्त्व और उपयोगिता को हम इस प्रकार भी देख सकते हैं कि जिस प्रकार समाज में परिवार एवं परम्परा के अभाव में व्यक्ति की प्रतिष्ठा एवं परिचय सम्भव नहीं , उसी प्रकार किसी कलाकार को अपना परिचय देने में कला क्षेत्र में स्वयं के प्रावीण्य के साथ सम्बद्ध घराने की प्रतिष्ठा की भी आवश्यकता होती है ।
अतः हिन्दुस्तानी संगीत को उच्च स्थान प्राप्त कराने , विकसित कराने व उसके संरक्षण में घरानों की निःसन्देह विशेष उपयोगिता एवं महत्त्व है ।
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