विश्वमोहन भट्ट की जीवनी Biography of Vishwa mohan Bhatt
पण्डित विश्वमोहन भट्ट जीवनी Biography- पण्डित विश्वमोहन भट्ट का जन्म 27 जुलाई , 1950 को राजस्थान के जयपुर जिले में हुआ ।
- इनके पिता पण्डित मनमोहन भट्ट और माता श्रीमती चन्द्रकला दोनों ही संगीत के शिक्षक थे । इनके बड़े भाई पण्डित शशि – मोहन भट्ट राजस्थान के वरिष्ठ सितार वादक है ।
- बालक विश्वमोहन ने संगीत की शिक्षा अपने पिता व अग्रज से प्राप्त की । प्रारम्भ में वे सितार बजाना सीखते थे ।
- उन्होंने गिटार बजाने की कला भी सीखी तथा इसे वीणा की तरह नीचे घुटनों पर रखकर बजाना शुरू किया । गिटार बजाते – बजाते इनको प्रेरणा प्राप्त हुई कि इस विदेशी वाद्य को भारतीय संगीत के अनुकूल बनाने का प्रयास करना चाहिए ।
- इन्होंने अपनी सूझ – बूझ से गिटार में तरब के तार , अतिरिक्त ब्रिज , चिकारी के तार आदि लगाकर उसका पूरा भारतीयकरण कर दिया ।
संगीत में योगदान
- आकर्षक व्यक्तित्व के धनी सुप्रसिद्ध ‘ गिटार वादक ‘ व ‘ मोहन वीणा ‘ के प्रणेता पण्डित विश्वमोहन आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं ।
- इन्होंने पश्चिमी गिटार को भारतीय संगीत के अनुसार परिवर्तित करके इसमें गायिकी अंग के साथ – साथ तन्त्रकारी छन्द एवं झाला का भी समावेश किया । आँखे बन्द करके सुनने पर भट्ट के गिटार पर सितार , वीणा और सरोद जैसी ध्वनि सुनाई पड़ती है , जिससे भारतीय संगीत साकार हो उठता है ।
- इन्हें गिटार वादन के क्षेत्र में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा तथा अनवरत साधना से विदेशी वाद्य गिटार पर भारतीय संगीत बजाकर सिद्धि प्राप्त की और श्रोताओं पर चामत्कारिक प्रभाव डाला तब इन्हें कलाकार का दर्जा देने को लोग तैयार हुए ।
- इन्होंने कम समय में ही देश के सभी प्रतिष्ठित संगीत सम्मेलनो में तो गिटार बजाया ही है साथ – ही – साथ अमेरिका , कनाडा , फ्रांस , स्विट्जरलैण्ड , हॉलैण्ड , पश्चिमी जर्मनी व बेल्जियम आदि देशों में भी कार्यक्रम देकर प्रसिद्धि पाई ।
- विख्यात गिटार वादक राड कूडर के साथ इनकी जुगलबन्दी का रिकॉर्ड ‘ एमिटिंग बाई द रिवर ‘ आजकल बहुत लोकप्रिय है तथा इसके ये लिए प्रतिष्ठित ग्रैमी अवॉर्ड भी जीत चुके हैं ।
सम्मान • पुरस्कार
- पण्डित विश्वमोहन भट्ट को अपने गिटार वादन तथा मोहन वीणा जैसे वादनो में योगदान के लिए देश – विदेश से विभिन्न पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया ,जिनमें कुछ प्रमुख हैं-
- -वर्ष 1993 में ग्रैमी अवार्ड ( इनके म्यूजिकल एलबम ‘ एमिटिंग बाई द रिवर ‘ के लिए )
- वर्ष 1998 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
- वर्ष 2002 में पद्मश्री सम्मान वर्ष 2017 में पद्मभूषण सम्मान
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