बंगाल का लोक गीत और लोक नृत्य Folk Song and Folk Dance of Bengal বাংলা

बंगाल का लोक गीत / लोक संगीत / Folk Song

बंगाल का लोक गीत – लोक गीत का मतलब क्या होता है ? उत्तर – अलग अलग अवसरों में , त्योहारों में , मौसमों इत्यादि में गया जाने वाले परंपरागत गीत तथा किसी प्रांत विशेष में गाए जाने वाले वैसे गीत जिसमें उस प्रान्त की संस्कृति, रीति-रिवाजों आदि की झलक दिखाई पड़ती हैं। लोकगीत का अर्थ – in english लोक गीत को Folk Song कहते हैं ।

बंगाल के ग्रामीणों का प्राण है संगीत , घर , बाहर , खेत – खलिहानों इत्यादि के लिए वहां अलग – अलग तरह के गीत गाए जाते हैं । लोक – गीत प्रायः सप्तक के 2-3 स्वरों में ही गाए जाते हैं । कलकत्ता जैसे बड़े शहर में भी लोग अपने ग्रामीण लोगों से किसी भी बात में अधिक भिन्न नहीं दिखायी देते । अतः बंगाल के ग्राम गीतों में रागों की छाप दिखाई देगी । विशेषकर जात्रा और कीर्तन में यह दिखाई देती है । जबकि यह लोकगीतों की श्रेणी में नहीं आते हैं । मगर यह मानना पड़ेगा कि बंगाल के लोक – गीत में भी बंगाली टप्पे का मेल है ।

बंगाल का प्रमुख लोक गीत क्या है ?

बंगाल के लोक संगीत में बहुत विविधता है । कुछ गीतों में लय और ताल की प्रधानता है, तो कुछ गीतों में नहीं । बंगाल के कुछ ऐसे ही प्रसिद्ध लोकगीतों का विवरण निम्न प्रकार से है :-

  • भावैया – Bhawaiya
  • जारी गान – Jaari gaan
  • गम्भीरा – gambhira / Gombhira

भावैया – Bhawaiya

भावैया – बिहार का लोक गीत ‘ भावैया ‘ यह बिहार और उसके निकट के क्षेत्रों के किसानों द्वारा प्रयोग में लाया जाने वाला गीत है । यह गीत ‘ ভাটিয়ালি / भटियाली / Bhatiali ‘ जोकि बंगाल के खेतिहर किसानों और मल्लाहों का गीत है। भटियाली, भावैया से मिलता है । पर इसकी लय और ताल , अधिक जोरदार है , आजकल यह सम्पूर्ण बंगाल में प्रचलित है ।

जारी गान – Jaari gaan

जारी – जारी गीतों को पूर्वी बंगाल के मुसलमान गाते हैं , ये करबला की घटनाओं के बारे में है , इन गीतों को बड़े ही जोश से गाया जाता है । यह गीत अन्य लोकगीतों से अलग है । इन गीतों को हिन्दू धर्म के लोग भी गाते हैं ।

गम्भीरा – gambhira / Gombhira

गम्भीरा – यह गीत विशेषकर मालदा जिले में गाया जाता है । यह गीत आधुनिक और लोकगीतों के बीच का गीत है । इन गीतों में शिवजी को गांव के बड़े – बूढ़े के रूप में माना जाता है । मानना है की गांव की सब अच्छी या बुरी बातें शिवजी के कारण ही होती है । गांव पर आपत्ति आने पर या गांव वालों की रक्षा न कर सकने पर उन्हें दोष भी दिया जाता है ।

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बंगाल का लोक नृत्यFolk Dance of Bengal

बंगाल का लोक नृत्य – पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध लोक नृत्यों का विवरण निम्न प्रकार से है :-

  • रायवेशी
  • काठी नृत्य / Kathi Dance
  • ढाल नृत्य / Dhal Dance
  • बाउल नृत्य / Baul Dance
  • कीर्तन नृत्य / Kirtan Dance

रायवेशी – बंगाल के लोकनृत्यों में ‘ रायवेशी ‘ का नाम सबसे पहले लिया जाता है । नृत्य का यह प्रकार वीरभूमि, जिला मुर्शिदाबाद के डोमों के बीच में ज्यादा प्रचलित है तथा पुरुष प्रधान होता है यह नृत्य । इसमें नर्तक वृत्त में नाचता है और यह अपने दाहिने पांव में धुंघरू बांधकर नाचते हैं । इस नृत्य में गीतों को नहीं गया जाता , बल्कि केवल शारीरिक हाव – भाव के बदलने पर ढोल की थाप में हो रहे बदलाव पर नाचते हैं । इसी प्रकार से काठी नृत्य भी पश्चिम बंगाल की पिछड़ी जाति का प्रमुख नृत्य है ।

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काठी नृत्य / Kathi Dance

काठी नृत्य / Kathi Dance – काठी नृत्य में कलाकार/ नर्तक ऊपर की ओर करके दोनों हाथों में एक – एक छोटी सी डंडी लेकर एक लकड़ी से दूसरी लकड़ी पर ताल के साथ मारते हुए घूम – घूम कर नाचते हैं । इस नृत्य में मादल नामक वाद्य यंत्र का उपयोग होता है । इन नृत्यों के अलावे ढाली व बाउल नृत्य भी बंगाल में लोकप्रिय है ।

ढाल नृत्य / Dhal Dance

ढाल नृत्य / Dhal Dance – यह वीरता प्रदर्शित करने वाला लोक – नृत्य है ।

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बाउल नृत्य / Baul Dance

बाउल नृत्य / Baul Dance – बाउल नृत्य में गीतों के साथ एकतारा बजाकर नृत्य का प्रदर्शन किया जाता है ।

कीर्तन नृत्य / Kirtan Dance

कीर्तन नृत्य / Kirtan Dance – बंगाल का सबसे प्राचीन लोक नृत्य कीर्तन है , कीर्तन में लीलाओं का वर्णन होता है । इसमें नर्तक वृत्त बनाकर नृत्य करते हैं और इनके साथ – साथ मृदंग वादक भी मृदंग बजाते के साथ साथ नृत्य करता है । यह नृत्य भगवान की भक्ति से पूर्ण होता है । कृष्ण की लीलाओं का वर्णन करने वाला जात्रा भी बंगाल में बहुचर्चित लोक नृत्य है । इस नृत्य में कृत के जीवन पर आधारित अनेक घटनाएं प्रदर्शित की जाती है ।     

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