संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, तानसेन व कालिदास सम्मान

संगीत नाटक अकादमी अवार्ड ( पुरस्कार )- संगीत का राष्ट्रीय सम्मान ‘ संगीत नाटक अकादमी द्वारा भारतीय शास्त्रीय संगीत नृत्य एवं नाट्य में प्रतिवर्ष कलाकारों को उनकी सेवा के लिए सम्मानित करती है । इसकी स्थापना 31 मई , 1952 को हुई थी । नई दिल्ली में प्रतिवर्ष कला क्षेत्र अकादमी सम्मान दिए जाते हैं ।

संगीत नाटक अकादमी अवार्ड

संगीत नाटक अकादमी अवार्ड 2018

  • मणिप्रसाद – हिन्दुस्तानी संगीत
  • मधुप मुद्गल – हिन्दुस्तानी संगीत
  • तरुण भट्टाचार्य – सन्तूर
  • तेजेन्द्र नारायण मजमूदार – सरोद
  • अलामेलू मणि– कर्नाटक संगीत
  • मल्लादी सुरीबाबू- कर्नाटक संगीत
  • एस . कासिम और एस. बाबू – ( संयुक्त पुरस्कार ) नादस्वरम
  • गणेश और कुमारेश- ( संयुक्त पुरस्कार ) वायलिन
  • सुरेश वाडेकर – सुगम संगीत
  • शान्ति हीरानन्द- सुगम संगीत
  • एस. अशंगबी देवी – नट संकीर्तन
  • निरंजन राज्यगुरु – वायलिन

संगीत नाटक अकादमी अवार्ड 2017

  • ललित जे . राव – हिन्दुस्तानी गायन
  • उमाकान्त गुन्देचा और रमाकान्त गुन्देचा – ( संयुक्त पुरस्कार ) हिन्दुस्तानी – गायन
  • योगेश समसी – तबला
  • राजेन्द्र प्रसन्ना – शहनाई / बाँसुरी
  • एम . एस . शीला – कर्नाटक – गायन
  • सुमा सुधीन्द्र – कर्नाटक वाद्य – वीणा
  • तिरुवर वैद्यनाथन – कर्नाटक वाद्य – मृदंगम
  • शशांक सुब्रमणयम – कर्नाटक वाद्य – बाँसुरी
  • मधुरानी — सुगम संगीत
  • हेमती शुक्ला – सुगम संगीत
  • गुरनाम सिंह – गुरबानी

संगीत नाटक अकादमी – शिक्षण संस्थान

  • भारत में संगीत नाटक अकादमी मंचीय कलाओं का शीर्ष निकाय एवं संगीत , नृत्य और नाटक की केन्द्रीय अकादमी है । इसे 31 मई , 1952 में भारतीय संस्कृति के संरक्षण एवं उसकी उन्नति के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया । यह संस्था भारत सरकार के संस्कृति मन्त्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्था है । अकादमी का प्रबन्धन उसकी महापरिषद् के द्वारा संचालित किया जाता है ।
  • इस संस्था के प्रथम चेयरमैन डॉ . पी . वी . राजमन्नार नियुक्त किए गए । भारत के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने 28 जनवरी , 1953 को संसद भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में इसका उद्घाटन किया था । अकादमी के उद्घाटन के अवसर पर अपने सम्बोधन में तत्कालीन केन्द्रीय शिक्षा मन्त्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने कहा कि संगीत , नाटक और नृत्य , भारत को ऐसी बहुमूल्य विरासत है , जिनका हमें सम्मान करना चाहिए और इसका विकास करना चाहिए । हमें ऐसा सिर्फ अपने लिए ही नहीं , बल्कि मानव जाति की सांस्कृतिक विरासत के प्रति योगदान के रूप में करना चाहिए ।
  • अकादमी कला प्रदर्शन के क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्त्व की संस्थाओं और परियोजनाओं की स्थापना करती है और उनकी देखभाल करती है । संगीत नाटक अकादमी की तीन घटक इकाइयाँ हैं , जिनमें से दो इकाइयाँ नृत्य प्रशिक्षण संस्थान के रूप में कार्य करती हैं ।
  • इम्फाल में जवाहरलाल नेहरू मणिपुर नृत्य अकादमी ( JNMDA ) और दिल्ली स्थित कथक केन्द्र की क्रमशः स्थापना वर्ष 1954 और 1964 में हुई । अकादमी ने वर्ष 1959 में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की भी स्थापना की । केरल में चिरकालीन संस्कृत थिएटर कुट्टियाट्टम , पूर्वी भारत में छऊ नृत्य और असम की सत्रिय परम्परा को समर्थन देकर राष्ट्रीय परियोजना को भी शुरू किया गया है । संगीत नाटक अकादमी ने वर्ष 2007 में कुट्टियाट्टम केन्द्र की स्थापना की ।

संगीत नाटक अकादमी संस्था के लक्ष्य एवं उद्देश्य

संगीत नाटक अकादमी के लक्ष्य एवं उद्देश्य को निम्नवत् रूप से देखा जा सकता है –

  • संस्था का कार्य संगीत , नृत्य एवं नाटक सम्बन्धी राज्य अकादमियों एवं विभिन्न क्षेत्रीय अकादमियों के क्रियाकलापों के साथ सामंजस्य करना ।
  • भारतीय संगीत , नृत्य एवं नाट्य सम्बन्धी क्षेत्रों में अनुसन्धान को बढ़ावा देना एवं इसके लिए विभिन्न स्थानों पर पुस्तकालय एवं संग्रहालय की स्थापना करना ।
  • भारतीय संस्कृति के उत्थान एवं सम्पूर्ण विकास के लिए इस तरह की सभी अकादमियों एवं संस्थाओं से सामंजस्य स्थापित करना , जोकि इस उद्देश्य के लिए कार्य कर रही है ।
  • विभिन्न क्षेत्रों में संगीत , नृत्य एवं नाट्य सम्बन्धी कलाओं से सम्बन्धित नए विचार एवं नई तकनीक के आदान – प्रदान को बढ़ावा देना , ताकि इससे संस्कृति के विकास का स्तर और उत्तम हो सके । 
  • विभिन्न क्षेत्रों में वहीं की क्षेत्रीय भाषाओं के अनुसार नाट्यकला केन्द्रों को खोलना एवं विभिन्न क्षेत्रों के नाट्य केन्द्रों में सामंजस्य स्थापित करना ।
  • विभिन्न पुरस्कारों एवं छात्रवृत्तियों के द्वारा नाट्यकला को सम्मान प्रदान करना एवं बढ़ावा देना ।
  • विभिन्न क्षेत्रों में लोकसंगीत , लोकनृत्य एवं लोकनाट्य कलाओं को बढ़ावा देना एवं सामाजिक तौर पर संगीत की विभिन्न विधाओं का विकास करना ।
  • संगीत , नृत्य एवं नाट्य के विभिन्न फेस्टिवल , सेमिनार एवं कॉन्फ्रेंस को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित करना एवं क्षेत्र में होने वाले समारोहों को बढ़ावा देना ।
  • संगीत नृत्य एवं नाट्य कलाओं के शिक्षण के स्तर का विकास करना । विभिन्न कलाओं अन्तर्क्षेत्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय आदान – प्रदान के लिए कार्य करना ।

कालिदास सम्मान

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शास्त्रीय संगीत , नृत्य , रंगमंच , चित्रकला , मूर्तिकला , ललित कला एवं लोक कला के क्षेत्र में प्रतिवर्ष यह सम्मान दिया जाता है , जिसमें कलाकार को एक लाख रुपये तथा प्रशस्ति पत्र दिया जाता है । इसकी स्थापना वर्ष 1980 में की गई ।

  • कालिदास सम्मान 2019 • अंजलि ईला मेनन – विजुअल आर्ट / दृश्य कला
  • कालिदास सम्मान 2017-18 • लक्ष्मी विश्वनाथन – भरतनाट्यम नृत्य
  • कालिदास सम्मान 2016-17 • रामगोपाल बजाज — थियेटर
  • कालिदास सम्मान 2015-16 • बंसी कौल – थियेटर
  • कालिदास सम्मान 2014-15 • राज बिसारिया— थियेटर

तानसेन सम्मान

ग्वालियर में मध्य प्रदेश शासन द्वारा आयोजित तानसेन समारोह में संगीत की विशिष्ट सेवाओं के लिए संगीतज्ञों को तानसेन सम्मान से सम्मानित किया जाता है । इस सम्मान के साथ कलाकार को ₹ 51000 की धनराशि भी दी जाती है ।

  • तानसेन सम्मान 2019 • पण्डित विद्याधर व्यास – हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक
  • तानसेन सम्मान 2018 • मंजू मेहता- सितार वादक
  • तानसेन सम्मान 2017 • पं . उल्हास कशलकर- शास्त्रीय गायक ( जयपुर घराना )
  • तानसेन सम्मान 2016 • पं . दालचन शर्मा- पखावज वादक
  • तानसेन सम्मान 2015 • पं . लक्ष्मण कृष्णराव पण्डित – गायक

पद्म पुरस्कार ( पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री ) Padma Puraskar

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