विषय - सूची
सप्तक का मतलब क्या है ? Octave किसे कहते हैं ?
सप्तक – संगीत में प्रयुक्त सात स्वर,( सा, रे, ग, म, प, ध, नि ) को हम सप्तक कहते हैं। 7 स्वरों के नाम कुछ इस प्रकार हैं – इन सातों स्वरों के नाम क्रम से षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद हैं। सप्तक को हम अंग्रेजी में octave कहते हैं । इसे मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है। गायकी के दृष्टिकोण से चुकि हम इंसानों की आवाज इन्हीं तीन सप्तक के बीच ही जा पाती है । इस कारण इन तीन सप्तकों का उपयोग ज्यादा होता है । वैसे वाद्य यन्त्र जैसे piano में संगीत देने के लिए 5 सप्तकों का उपयोग होता है। इनके नाम इस प्रकार है।
1. मंद्र सप्तक ( Low Octave ) 2. मध्य सप्तक ( Middle Octave ) 3. तार सप्तक ( High Octave )
साधारणतः हम मध्य सप्तक में ज्यादा गाते बजाते हैं। इस दुनिया में जितने भी संगीत की रचना अब तक हुई है या आने वाले समय में होने वाली है । वो सारे संगीत इन्ही 7 स्वरों से बने हैं । हरेक स्वरों की आंदोलन संख्या भिन्न होती है।
आगे हम जानेंगे – मंद्र सप्तक किसे कहते हैं ? मध्य सप्तक किसे कहते हैं ? तार सप्तक किसे कहते हैं ? या मंद्र सप्तक क्या है ? मध्य सप्तक क्या है ? तार सप्तक क्या है ?
या यूँ कह लें कि Low Octave किसे कहते हैं ? Middle Octave किसे कहते हैं ? High Octave किसे कहते हैं ? या Low Octave क्या है ? Middle Octave क्या है ? High Octave क्या है ?
चलिए सप्तक को समझते हैं , लेकिन इस बार एक अलग तरीके से >>> ( स्वरों की आंदोलन संख्या के आधार पे ) इससे पहले जानते हैं ध्वनि और आंदोलन क्या है ?
ध्वनि किसे कहते हैं ? आंदोलन किसे कहते हैं ?
ध्वनि – ध्वनि की उत्पत्ति कंपन के माध्यम से होती है। जब हम किसी इंस्ट्रूमेंट / INSTRUMENT को बजाते हैं तो वह कंपन पैदा करती है। इसे हम ध्वनि कहते हैं । संगीत में कंपन को हम आंदोलन भी कहते हैं।
आंदोलन / VIBRATION / कंपन के प्रकार
आंदोलन 2 प्रकार के होते हैं – नियमित और अनियमित .
नियमित आंदोलन / REGULAR VIBRATION
नियमित (Regular)– जब किसी ध्वनि की कंपन /आंदोलन एक निश्चित गति में रहती है तो उसे नियमित आंदोलन कहते हैं।
अनियमित आंदोलन / IRREGULAR VIBRATION
अनियमित(Irregular) – अगर कंपन /आंदोलन एक गति रफ्तार में नहीं रहती तो उसे अनियमित आंदोलन कहा जाता है।
आंदोलन / VIBRATION / कंपन की स्थति
स्थिर आंदोलन / STABLE VIBRATION
स्थिर आंदोलन / STABLE VIBRATION – जब कोई कंपन आंदोलन कुछ देर तक चलती है तो उसे स्थिर आंदोलन कहा जाता है । उदाहरण – स्थिर- गिटार के तार को छेड़ना कंपन थोड़ी देर ठहरता है ।
अस्थिर आंदोलन / UNSTABLE VIBRATION
अस्थिर आंदोलन / UNSTABLE VIBRATION – जब आंदोलन /कंपन जल्द ही खत्म हो जाए तो उसे अस्थिर आंदोलन कहा जाता है । अस्थिर – ताली बजाना , यह शीघ्र समाप्त हो जाता है |
स्वर की आंदोलन (vibration) संख्या
क्रम से सात शुद्ध स्वरूप के समूह को सप्तक कहते हैं । क्रम से इनसबों के नाम हैं ( सा, रे, ग, म, प, ध, नि )। इनमें हर एक स्वर की आंदोलन (vibration) संख्या पिछले स्वर से अधिक होती है । हम यह भी कह सकते हैं कि स्वरों के आंदोलन संख्या में बढ़ोतरी होती जाती है, जैसे हम आगे बढ़ते चले जाते हैं।
सप्तक और स्वरों की आंदोलन संख्या
स्वरों की आंदोलन संख्या के आधार पे सप्तक को समझते हैं।
ज्योंही हम आगे के सुर की ओर बढ़ते हैं, रे की आंदोलन संख्या सा से ज्यादा, ग की आंदोलन संख्या रे से ज्यादा। इसी प्रकार म, प, ध, नि की आंदोलन संख्या अपने पिछले स्वरों से ज्यादा होती जाती है। पंचम स्वर अर्थात प की आंदोलन संख्या षड़ज अर्थात सा से डेढ़ गुनी 3/2 ज्यादा होती है। आइए इसे इस प्रकार समझते हैं। जैसे –
यदि “सा” की आंदोलन संख्या 240 है तो “प” की 360 होगी। सप्तक के साथ स्वर सा, रे, ग, म, प, ध, नि के बाद फिर से “सा” आता है । यह दूसरा “सा” अगले सप्तक का पहला स्वर होता है। मतलब यहीं से दूसरे सप्तक की शुरुआत होती है। यह दूसरे सप्तक का “सा” पिछले सप्तक के “सा” से दुगनी आंदोलन का होता है।
आंदोलन संख्या का अनुपात / Ratio
यदि हम आंदोलन संख्या 240, 360 तथा 480 को एक साथ बजाएं अर्थात सा, प, सा, (240, 360, 480) इसका अनुपात होगा 2:3:4 । तो जब हम सब को एक साथ बजाते हैं तो यह हमारे कानों को भाता है और बहुत ही मधुर सुनाई देता है।
तो आइए इसको समझने के लिए शुरूआत करते हैं मंद्र सप्तक से।
तो मंद्र सप्तक के “नि” के बाद आने वाला “सा” मध्य सप्तक का प्रथम स्वर होगा। और अगर हम मध्य सप्तक के “नि” के बाद आने वाला “सा” के बारे में कहे तो यह तार सप्तक का प्रथम “सा” होगा। नीचे तस्वीर में देखें।
इसी प्रकार बहुत सारे सप्तक हो सकते हैं । परंतु आम तौर पर तीन ही सप्तक उपयोग में ज्यादा लाए जाते हैं। 3 सप्तक तक की ध्वनि कर्णप्रिय होती है। देखा गया है, आपने भी इस बात को समझा होगा महसूस किया होगा कि हमारे गले से निकलने वाली ध्वनि इन्हीं तीन सप्तकों के बीच होती है।
3 प्रकार के सप्तक और उनकी परिभाषा
सप्तक के 3 प्रकार हैं । शास्त्रकारों ने इन तीन सप्तकों के नाम रखे हैं।
1 . मंद्र सप्तक
2 . मध्य सप्तक
3 . तार सप्तक
1 . मंद्र सप्तक (Low Octave) – यह मध्य सप्तक से पहले का सप्तक है । इस सप्तक की आंदोलन संख्या, मध्य सप्तक की आधी होती है । उदाहरण यदि मध्य सप्तक के “प” की आंदोलन संख्या 360 है तो मंद्र सप्तक के “प” की आंदोलन संख्या 180 होगी । यदि मध्य सप्तक के “म” की आंदोलन संख्या 320 है तो मंद्र सप्तक के “म” की आंदोलन संख्या 160 होगी । इसमें सात शुद्ध और पांच विकृत कुल 12 स्वर होते हैं।
2. मध्य सप्तक ( Middle Octave ) – इस सप्तक में प्रयुक्त स्वरों का उपयोग ज्यादा होता है । हम इस मध्य सप्तक में ज्यादा गाते बजाते हैं । मध्य सप्तक की आंदोलन संख्या मंद्र सप्तक से दोगुनी होती है । इस सप्तक में भी कुल 12 स्वर होते हैं।
3. तार सप्तक ( High Octave ) – मध्य सप्तक के बाद आने वाला सप्तक तार सप्तक कहलाता है । यह सप्तक मध्य सप्तक से दोगुनी तथा मंद्र सप्तक से चार गुनी होती है । उदाहरण – यदि मध्य रे की आंदोलन संख्या 270 है, तो तार ” रे ” की आंदोलन संख्या 540 होगी । इस सप्तक में भी कुल 12 स्वर जिसमें 7 शुद्ध स्वर तथा 5 विकृत स्वर होते हैं।
सप्तक के 3 प्रकार के अलावे अति मंद्र सप्तक और अति तार सप्तक भी होते हैं । अति मंद्र सप्तक, मंद्र सप्तक से भी पीछे/नीचे के सप्तक को कहते हैं।
अति तार सप्तक, तार सप्तक से भी आगे/ऊँचे के सप्तक को कहते हैं।
नीचे लिंक पे जाकर अलग दृष्टिकोण से जानिए सप्तक के प्रकार की विस्तृत जानकारी ।
विष्णु दिगंबर पलुस्कर स्वरलिपि पद्धति क्या है ? Octave / सप्तक के प्रकार कितने हैं ?
विष्णु नारायण भातखंडे स्वरलिपि पद्धति क्या है ? Octave / सप्तक के प्रकार कितने हैं ?
नोट- इसी को आधार मानते हुए मैंने अपने इस वेबसाइट / ब्लॉग का नाम रखा है “ सप्त स्वर ज्ञान ” क्योंकि सारा संगीत इन्हें सात सुरों के बीच/ इर्द-गिर्द घूमता रहता है। चाहे वह भारतीय संगीत हो, पाश्चात्य संगीत हो या । चाहे किसी भी देश का हो, या किसी भी भाषा में हो।
मेरे इस वेबसाइट “ सप्त स्वर ज्ञान ”। यहां आपको सरल किंतु विस्तृत जानकारी मिलेगी, संगीत के बारे में। तो आगे बने रहिए।
bahut aacha laga padh ker.
jaankar khushi hui . bane rahe sapt swar gyan ke sath .