म्यूजिक प्रैक्टिस कैसे करें ? कितना रियाज़ करें ? Practice/अभ्यास का सही तरीका ?

म्यूजिक प्रैक्टिस -सीखने की प्रक्रिया | Process of Learning

म्यूजिक प्रैक्टिस कैसे करें ? How to Practice Music ? – एक वाद्ययंत्र बजाना हमारे भावनाओं तथा एहसासों को जोड़ सकता है और दूसरों को ख़ुशी दे सकता है । हम शांति, सुकून,अनजाने एहसासों में खुदको इस प्रक्रिया द्वारा जोड़ सकते हैं । आप जैसे ही म्यूजिक प्रैक्टिस करने का विचार बनाते हैं ।

म्यूजिक प्रैक्टिस करने के लिए आपको इस दुनिया से कुछ समय की छुट्टी जैसे ही मिलती है वैसे ही आपको एक नयी दुनिया में सहजता से गोता लगाने का अवसर मिल जाता है । आपको इसी दुनिया के अंदर एक दूसरी दुनिया का एहसास हो जाता है । यदि हम दूसरों के साथ म्यूजिक प्रैक्टिस करते हैं तो आप टीमवर्क के सही मूल्य को समझेंगे । यह हमारे मस्तिष्क के विकास के लिए भी बेहद उपयोगी है । जानिए Research क्या कहती हैं ।

Research / शोध और म्यूजिक प्रैक्टिस (Music Practice)

इसके शानदार शोध और कुछ विद्वानों के द्वारा बताया गया हैं कि कैसे एक वाद्ययंत्र बजाने में एक ही समय में मस्तिष्क के लगभग सभी क्षेत्र शामिल होते हैं। यह देखने , सुनने और काम करने के कौशल को प्रशिक्षित करता है और हमारी भावनाओं को उकेरता है जिससे इसे लाखों न्यूरोट्रांसमीटर मिल जाते हैं।

इसके बाद नए synapses/ अन्तर्ग्रथन के निर्माण के लिए आगे बढ़ती है जो न केवल आपकी आंखों, कानों और हाथों को बल्कि अन्य सभी क्षेत्रों को भी समृद्ध बनाने में मदद करती है। यह हमारे मस्तिष्क के लिए एक फायरवायर की तरह है, जहाँ सीखने और विकास के लिए सम्भावनाये काफी बढ़ जाती हैं ।

म्यूजिक प्रैक्टिस की उपयोगिता / Benefits of Music Practice

लेकिन इसके कई कारण है कि क्यों ये ज्यादा उपयोगी है। एक उपकरण का प्रैक्टिस करना हमें सिखाता है कि हम प्रशिक्षण के साथ बेहतर हो जाते हैं और जब हम कुछ गलत सुर / Note बजाते हैं तो हमें तुरंत प्रतिक्रिया मिलती है । हमे हमारी गलती का पता या तो सुनकर या मेरे बैंड में किसी व्यक्ति द्वारा टोकने पर चल जाता है ।

हम सीखते हैं कि फीडबैक का मूल्य वाद्ययंत्र बजाने को अनुकूलित करता है और हमारा वाद्ययंत्र बजाना बेहतर होता जाता है। एक सबक जो हम जीवन के अन्य पहलुओं पर भी अच्छे से लागू कर सकते हैं।

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कितना म्यूजिक प्रैक्टिस / अभ्यास करें ?

शीर्ष कलाकारों ने आमतौर पर म्यूजिक प्रैक्टिस की शुरुआत जल्दी करते हैं । एक बच्चा पियानोवादक के रूप में हर दिन लगभग 8 घंटे वाद्ययंत्र बजने का प्रैक्टिस करता हैं। संगीत की अकादमी से यह पता चला है कि 20 साल की उम्र में शीर्ष 10 वायलिन छात्रों में से प्रत्येक 10 घंटे के आसपास प्रैक्टिस करता है। लेकिन यह केवल घंटों की बात नहीं है।

किसी सर्वश्रेष्ठ वायलिन वादक ने कहा कि अपनी उंगलियों से प्रैक्टिस करें और आपको पूरे दिन की आवश्यकता पड़ती है। अपने दिमाग से प्रैक्टिस करें और आप डेढ़ घंटे में उससे ज्यादा कर लेंगे ।

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प्रैक्टिस करने के कुछ तरीकें

धीमा म्यूजिक प्रैक्टिस – Slow Music Practice

प्रैक्टिस करने के कुछ तरीकें हैं – अभ्यास धीमा और मजे के साथ करें । आपको धीमा के साथ और पूरा ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यदि आप बहुत तेजी से प्रैक्टिस करते हैं, तो जान लें आप गलत कर रहें हैं । तेज प्रैक्टिस करने से गलती करने की संभावना बढ़ जाती है । शुरुवात में आप बिलकुल ही धीरे बजाएं बिना गलती किए हुए । धीरे ही सही एक बार जब आप अच्छी तरह से बजाना सीख जाएँ तो धीरे-धीरे अपनी गति को बढ़ा सकते हैं। इससे आपके गलत होने के मौके कम होंगे तथा समय दर समय आपकी गति बढ़ती ही चली जाएगी ।

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दिलचस्प म्यूजिक प्रैक्टिस – Interesting Music Practice

म्यूजिक प्रैक्टिस को दिलचस्प बनायें यदि आप थके हुए हैं और आपका ध्यान केंद्रित नहीं है तो ब्रेक लें और आराम करें अन्यथा आप नई गलतियों को करने लग सकते हैं । जो हिस्सा आपके द्वारा पहले अच्छी तरह से बजाये गए हैं उसे बजने में भी गलतिया होने लगेंगी । इसे दिलचस्प बनायें रखें । यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने स्वयं के प्रैक्टिस से ऊब नहीं जाएँ । इसलिए इसे जितना संभव हो उतना दिलचस्प बनाने की कोशिश करें।

म्यूजिक प्रैक्टिस को बदलें

हरेक प्रैक्टिस को एक साहसिक काम के जैसा मान के चलें । ये मान के चलें की आपको यहाँ नयी चीज सीखने को मिलेगी , म्यूजिक के बारे में,आपके अपने शरीर के बारे में और म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट के बारे में जो आप बजा रहें हैं ।

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यदि आप एक दिन बोहोत ही सुन्दर मधुर धुन बजाते हैं तो अगले दिन अधिक उत्साहित और शक्तिशाली कुछ बजाएं ।

कठिन भाग का प्रैक्टिस

पहले कठिन भाग का प्रैक्टिस करें। आपका ध्यान प्रत्येक सत्र की शुरुआत में सबसे मजबूत होना चाहिए , तभी आपके द्वारा सफल होने की सबसे अधिक संभावना बनेगी । एक बार जब आप कठिन भाग के साथ सहज हो जाते हैं तो इसे बार बार दोहराएं ।

इसके बाद आप आसान भाग का प्रैक्टिस करें । इसके साथ ही आप प्रैक्टिस वाले भाग को पीछे की तरफ से यानि उल्टा बजने की कोशिश कर सकते हैं और लय और टेंपो को चेंज कर सकते हैं तबतक जब तक नोट्स आपके सबसे अच्छे दोस्त नहीं बन जाते। ज़रा संगीत के मनोविज्ञान को भी समझें ।

संगीत का मनोविज्ञान Psychology of Music और Musicology का अर्थ क्या है ?

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कल्पना / Imagination और म्यूजिक प्रैक्टिस

जब भी आप प्रैक्टिस कर रहें हों म्यूजिक के साथ संपर्क बनाने की कोशिश करें । एक तरीका ये है की आप अपनी कल्पना का प्रयोग करें इसे जीवंत बनाने के लिए । आप संगीत को इस प्रकार से सोंच सकते हैं जैसे कुछ लड़के लड़कियां बैठ के बातें कर रहें हों । वहां कोई लड़का या लड़की ब्रेक लेता है तो दूसरा अपने भावना दिखाने के लिए तेज आवाज में उससे बोलने लगता है ।

इसके अलावे आप नाचने के बारे में सोंचें । नदी के बहने के बारे में सोंचे । एक अकेली गाती हुई चिड़िया के बारे में सोंचे । सोंचे आपके द्वारा बजाये गए म्यूजिक पार्ट में किस पार्ट में वायलिन का संगत रहा और किस पार्ट में बांसुरी का साथ रहा ।

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Conclusion – निष्कर्ष

शायद सबसे महत्वपूर्ण यह हो सकता है जिसे हम कहते हैं – सीखने की प्रक्रिया । हमें केवल परिणामों पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए बल्कि हमें उस रास्ते का भी आनंद लेना चाहिए जो इसे प्राप्त करने के हमने चुना है। आइए मौके पर प्रत्येक कदम को सार्थक बनाने का प्रयास करें। चाहे आप एक मजेदार Jam सत्र में शामिल हों या किसी Rap Battle में किसी को चुनौती दें। यदि आप इस प्रक्रिया का आनंद लेते हैं तो आप एक दिन मंच पर जा सकते हैं। यही है न वो जो आप चाहते हो ? बात बस यह है कि आप हम में से कुछ बस सीखना, सुनना और नृत्य करना चाहते हैं। आप क्या चाहते हो ?

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