MAJOR MINOR INTERVALS / स्वरांतर MUSIC THEORY

MAJOR MINOR INTERVALS in music

MAJOR MINOR INTERVALS (स्वरांतर) – सप्तक या कहें Octave में प्रयुक्त किन्हीं भी दो स्वरों की दूरी को स्वरांतर ( इन्टरवेल ) कहते हैं । जिस प्रकार सेन्टीमीटर अथवा किलोमीटर आदि द्वारा लम्बाई नापी जा सकती है , ग्राम , किलोग्राम आदि द्वारा तौल आंकी जा सकती है , उसी प्रकार स्वर की दूरी, स्वरों के बीच का अंतर भी श्रुति अथवा स्वरांतर द्वारा नापी जा सकती है ।

भारतीय संगीत में इस हेतु श्रुति का विधान प्राचीनकाल में ही हो गया था । षडज – मध्यम भाव अथवा षडज – पंचम भाव क्रमशः 9 और 13 श्रुतियों की दूरी बतलाते हैं । जबसे हमारे शास्त्रकारों ने तार की लम्बाई और आन्दोलन – संख्या की खोज की , तब से गुणांतर द्वारा स्वरों की दूरी बतलाई जाने लगी ।

इस article में आप कई तरह के Intervals के बारे में जानेंगे जैसे – augmented diminished major minor intervals , major and minor scale intervals , major minor and perfect intervals in Hindi

इस लेख में आगे बढ़ने से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि – श्रुति स्वर व्यवस्था / स्वर विभाजन क्या है ? श्रुति किसे कहते हैं ?

पाश्चात्य देशों में भी ऐसे प्रयत्न हुए हैं और विभिन्न गुणान्तरों अर्थात् स्वरों की विभिन्न दूरियों के अलग – अलग नाम रक्खे गये हैं ।

पाश्चात्य संगीत western music` में स्वरों के निम्न स्वरांतर बताये गये हैं ।

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Types of Intervals in Music स्वरांतर के प्रकार

  1. यूनिसन इन्टरवल ( Unison Interval )
  2. आक्टेव इन्टरवल ( Octave Interval )
  3. फिफ्थ इन्टरवल ( Fifth Interval )
  4. फोर्थ इन्टरवल ( Fourth Interval )
  5. माइनर थर्ड इंटरवल ( Minor Third Interval )
  6. मेजर टोन इन्टरवल ( Major Tone Interval )
  7. माइनर टोन इन्टरवल ( Minor Tone Interval )
  8. सेमी टोन इन्टरवल ( Semi Tone Interval )
  9. मेजर सिक्सथ इन्टरवल ( Major Sixth Interval )
  10. माइनर सिक्सथ इन्टरवल ( Minor Sixth Interval )
  11. परफेक्ट इन्टरवल ( Perfect Interval )

Intervals in western Music

यूनिसन इन्टरवल ( Unison Interval )

1. यूनिसन इन्टरवल ( Unison Interval ) – जब किन्हीं दो आन्दोलन संख्याओं में 1 : 1 का अनुपात होता है तो उसे यूनिसन इन्टरवल कहते हैं । ऐसी अवस्था में दोनों ही आन्दोलन – संख्या समान होगी जैसे 240 : 240 |

आक्टेव इन्टरवल ( Octave Interval )

2. आक्टेव इन्टरवल ( Octave Interval ) – जब किन्हीं दो स्वरों में एक सप्तक का अन्तर होता है तो उसकी दूरी को आक्टेव इंटरवेल कहते हैं , जैसे- 240 : 480 । इसमें 1 : 2 का अनुपात या 2 गुणान्तर होता है । इसे परफेक्ट इन्टरवल भी कहते हैं ।

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फिफ्थ इन्टरवल ( Fifth Interval )

3. फिफ्थ इन्टरवल ( Fifth Interval ) – इस स्वरांतर को षडज – पंचम स्वरांतर भी कहते हैं । इसमें 2 : 3 का अनुपात अथवा 3/2 ) गुणान्तर होता है । जैसे 240 : 360 अथवा 300 : 450 | इसको भी परफेक्ट इन्टरवल कहते हैं । यह इंटरवेल C और G में होता है ।

फोर्थ इन्टरवल ( Fourth Interval )

4. फोर्थ इन्टरवल ( Fourth Interval ) – जब किन्हीं दो स्वरों में 3 : 4 का अनुपात या 4/3 का गुणान्तर होता है तो उसकी दूरी को फोर्थ इन्टरवल कहते हैं । हिन्दुस्तानी संगीत में इसे षडज मध्यम भाव कहा गया है | 240 और 320 में 3 : 4 का अनुपात आता है । इसे भी परफेक्ट इन्टरवल कहते हैं । यह इन्टरवल सा और म ( C – F ) में होता है ।

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मेजर थर्ड इन्टरवल ( Major Third Interval )

5. मेजर थर्ड इन्टरवल ( Major Third Interval ) – जब दो स्वरों की आन्दोलन – संख्या में 4 : 5 का अनुपात हो अथवा 5/4 गुणान्तर हो तो इस दूरी को मेजर थर्ड इंटरवल कहते हैं , जैसे- 240 : 300 , अथवा C – E ( सा और ग ) । इस दूरी को षडज – गंधार भाव कहते हैं ।

माइनर थर्ड इंटरवल ( Minor Third Interval )

6. माइनर थर्ड इंटरवल ( Minor Third Interval ) – जब किन्हीं दो स्वरों में 5 : 6 का अनुपात हो अथवा 6/5 का गुणान्तर हो तो इस दूरी को माइनर थर्ड इन्टरवल कहते हैं जैसे -240 : 288 , इस स्वरांतर को हम C – Flat E ( षडज – कोमल गंधार ) भाव कहते हैं ।

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मेजर टोन इन्टरवल ( Mojor Tone Interval )

7. मेजर टोन इन्टरवल ( Mojor Tone Interval ) – जब किन्हीं दो स्वरों में 8 : 9 का अनुपात हो अथवा 9/8 का गुणान्तर हो तो इसमें मेजर टोन इन्टरवल होगा । C – D ( सा और रे ) में इसी प्रकार की दूरी है जैसे 240 : 270 , इसे चतुःश्रुतिक स्वरांतर कहा जाता है ।

माइनर टोन इन्टरवल ( Minor Tone Interval )

8. माइनर टोन इन्टरवल ( Minor Tone Interval ) – जब किन्हीं दो स्वरों में 9 : 10 का अनुपात अथवा 10/9 गुणान्तर हो तो इस दूरी को माइनर टोन इन्टरवल कहते हैं । 270 और 300 में यह दूरी पाई जाती है । D – E ( ऋषभ – गंधार ) में यह स्वरांतर मिलता है । इसे त्रिःश्रुतिक स्वरांतर कह सकते हैं ।

सेमी टोन इन्टरवल ( Semi Tone Interval )

9. सेमी टोन इन्टरवल ( Semi Tone Interval ) – जब किन्हीं दो स्वरों में 15 : 16 का अनुपात हो अथवा 18 गुणान्तर हो तो इसे सेमीटोन इन्टरवल कहते हैं जैसे- 300 : 320 , यह स्वरांतर E – F ( ग – म ) में पाया जाता है । इसे हम द्विश्रुतिक स्वरांतर कह सकते हैं ।

मेजर सिक्सथ इन्टरवल ( Major Sixth Interval )

10. मेजर सिक्सथ इन्टरवल ( Major Sixth Interval ) – जब किन्हीं दो स्वरों में 3 : 5 का अथवा 5/3 का गुणान्तर हो तो इसे मेजर सिक्सथ इन्टरवल कहते हैं जैसे- 240 : 400 , इसे हम C – A ( षडज धैवत ) भाव कह सकते हैं ।

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माइनर सिक्सथ इन्टरवल ( Minor Sixth Interval )

11. माइनर सिक्सथ इन्टरवल ( Minor Sixth Interval ) – जब दो स्वरों में 5 : 8 अथवा 8/5 गुणान्तर हो तो इस दूरी को माइनर सिक्सथ इन्टरवल कहते हैं , जैसे – 240 : 384 , इसे हम षडज – कोमल धैवत ( C – Flat A ) सम्वाद कह सकते हैं ।

major minor and Other Intervals )

इन स्वरांतरों के अतिरिक्त स्वरों की विभिन्न दूरियों ( इन्टरवल ) – को निम्न नामों से भी पुकारते हैं ।

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परफेक्ट इन्टरवल ( Perfect Interval )

1. परफेक्ट इन्टरवल ( Perfect Interval ) – सा – म , सा – प और सा – सां के स्वरांतरों को परफेक्ट इन्टरवल कहते हैं ।

मेजर इन्टरवल ( Major Interval )

2. मेजर इन्टरवल ( Major Interval ) – सा – रे , सा – म , सा – ध और सा – नि का स्वरांतर मेजर इन्टरवल कहलाता है ।

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माइनर इन्टरवल ( Minor Interval )

3. माइनर इन्टरवल ( Minor Interval ) – मेजर इन्टरवल में एक सेमीटोन कम कर देने से माइनर इन्टरवल होता है । ये दो प्रकार से सम्भव है – ऊपर के स्वर को अर्ध स्वर नीचा करने से अथवा नीचे के स्वर को अर्ध स्वर ऊपर करने से , जैसे सा – ध मेजर स्वरांतर है तो सा – ध अथवा रे – ध में माइनर स्वरांतर होगा ।

आगूमेन्टेड इन्टरवल ( Augumented Interval )

4. आगूमेन्टेड इन्टरवल ( Augumented Interval ) – यह स्वरांतर मेजर अथवा परफेक्ट स्वरांतर से एक सेमीटोन बड़ा होता है इसलिये ऊपर के स्वर को अर्घ स्वर ऊंचा ( Sharp ) करने से या नीचे के स्वर को अर्ध स्वर नीचा ( Flat ) करने से इस स्वरांतर की रचना होती है । सा – ध में मेजर स्वरांतर है तो सा – नि या नि – ध आगूमेन्टेड स्वरांतर होगा ।

डिमिनिश्ड इन्टरवल ( Diminished Interval )

5. डिमिनिश्ड इन्टरवल ( Diminished Interval ) – यह स्वरांतर परफेक्ट अथवा माइनर स्वरांतर से एक सेमीटोन छोटा होता है । सा – प में ऊपर के स्वर को फ्लैट ( Flat ) करने से अथवा नीचे के स्वर को ( Sharp ) करने से इस स्वरांतर की प्राप्ति होती है , जैसे सा – म या रे – प ।

इनवर्टेड इंटरवल ( Inverted Interval )

6. इनवर्टेड इंटरवल ( Inverted Interval ) – जब किसी स्वरांतर में ऊपर के स्वर को एक सप्तक नीचा कर दिया जाय अथवा नीचे के स्वर को एक सप्तक ऊंचा कर दिया जाय तो इनवर्टेड इन्टरवल की रचना होगी , जैसे – सा – प अथवा सां – प । इन्हें परफेक्ट स्वरांतर , सा – प से बनाया गया है ।

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कम्पाउन्ड इन्टरवल ( Compound Interval )

7. कम्पाउन्ड इन्टरवल ( Compound Interval ) – जब किन्हीं दो स्वरों में एक सप्तक से अधिक की दूरी होती है तो उसे कम्पाउन्ड इन्टरवल कहते हैं , जैसे- सा – मं अथवा सा – रें । 

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