राग हिंडोल परिचय – Raag Hindol Parichay

राग हिंडोल परिचय ( श्लोक ) – राग हिंडोल मनि कोमल पंचम नहीं , ध ग सम्वाद सोहाय । चढ़ते ऋषभ न लगत रागेश्वरी कहाई ।।

राग हिंडोल का परिचय

  • इस राग की उत्पत्ति कल्याण थाट से मानी गई है ।
  • इसमें मध्यम स्वर तीव्र तथा अन्य शेष स्वर शुद्ध लगते हैं ।
  • ऋषभ और पंचम स्वर वर्ज्य होने से इस राग की जाति ओडव – ओडव है ।
  • वादी धैवत तथा संवादी गन्धार है ।
  • गायन – समय दिन का प्रथम प्रहर है ।
  • आरोह– सा ग , मं ध नि ध , सां । ( मं = म तीव्र )
  • अवरोह– सां , नि ध , मं ग , सा ।
  • पकड़– सां , निनिमं ध सां ।

विशेषता ( राग हिंडोल )

( 1 ) यह एक प्राचीन राग है जिसका उल्लेख सभी प्राचीन ग्रन्थों में मिलता है । राग – रागिनी पद्धति में भरत और हनुमान मत के अनुसार यह मुख्य 6 रागों में से एक है ।

( 2 ) इसमें निषाद वक्र तथा अल्प है । आरोह में इसे वक्र रखते हैं और अवरोह में इसे सोहनी से बचाने के लिये या तो नि का लघंन कर जाते हैं और या तार सा से ध को आते समय नि का कण लेते हैं जैसे- सा ग मं निध सां ऽ निध मं ग , मं ग सा ।

( 3 ) हिंडोल गम्भीर प्रकृति का राग है , अतः ध्रुपद के लिये अधिक उपयुक्त है ।

( 4 ) ग से सा को तथा सां से ध को आते समय अधिकतर मींड प्रयोग करते हैं ।

( 5 ) यह उत्तरांग प्रधान राग है । अतः इसकी चलन मध्य सप्तक के उत्तरांग या तार सप्तक में अधिक होती है ।

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( 6 ) निषाद अल्प होने की वजह से कुछ पुराने गायक इसे 4 स्वरों का राग कहते हैं ।

न्यास के स्वर– ग , ध और सां ।

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समप्रकृति राग– सोहनी

हिंडोल– सां निध मं ग , म ग सा ।

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सोहनी– सां ऽ नि ध नि ध , मंग , गमंधगमंग , रे सा ।

मतभेद

मतभेद कुछ गुणीजन इसे रात्रिगेय राग मानते हैं और ध ग के स्थान पर गध वादी – सम्वादी मानते हैं । उनका कहना है कि ध वादी होने से दिनगेय तो हो जाता है किन्तु तीव्र म की उपस्थिति खटकती है , क्योंकि तीव्र म रात्रिगेय का परिचायक है । अतः उनके मतानुसार इसे रात्रिगेय और ग ध वादी – सम्वादी मानने से यह कमी दूर हो सकती है ।

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दूसरी ओर हिंडोल में कोई भी स्वर वादी अथवा संवादी माना जाय तथा इसका गायन – समय कुछ भी माना जाय , किन्तु यह निर्विवाद सत्य है कि हिंडोल उत्तरांग प्रधान राग है । वादी – संवादी और गायन – समय के कारण इसका स्वरूप किसी भी प्रकार परिवर्तित नहीं किया जा सकता ।

शास्त्र सदैव क्रियात्मक संगीत का अनुगामी रहा है । इस दृष्टि से हिंडोल में ध ग वादी – संवादी , गायन – समय प्रातःकाल तथा तीव्र मध्यम युक्त उत्तरांग प्रधान राग मानना अधिक उचित है ।

अन्य रागों के समान इसे भी समय संबंधी नियम का अपवाद कहा जा सकता है ।

विशेष स्वर – संगतियाँ

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1. सांध , निमं ध सा 2. ग मं निध सां , 3. मं ग , मं ग सा ,

स्वरों का अध्ययन

  • सा – मध्य सा सामान्य , किन्तु तार सा विशेष
  • ग – दोनों प्रकार का बहुत्व
  • मं- अलंघन बहुत्व
  • ध- दोनों प्रकार का बहुत्व
  • नि – अल्प और विशिष्ट प्रयोग

तिरोभाव – आविर्भाव

  • मूल राग- सा ग , मं ग , में निध ऽ सां , ( हिंडोल )
  • तिरोभाव– सां नि ध नि ध में ग , ग म ध ग मं ग . ( सोहनी )
  • आविर्भाव– में निध सां , ध में ग , म ग सा । ( हिंडोल )

आलाप – ( राग हिंडोल )

Note:- ( मं = म तीव्र )

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1. सा , नि ध , ध सा , ग , मं ग , मं ग सा , निध ऽ ध सा ।

2. सा ग ऽ मं ग , ध मं ग मं ऽ ग , सां ध मं ग , निमं ध s ग मं ग , मं ग , ग सा , गमंध मंगमंग ऽ सा , सा ध , मं निध सा ।

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3. सां ध निमं ध मं निध सां , ( सा ) ध मं ध सां , सा सा ग ऽ ग मं मं ध नि मं ध सां , सां ध , नि मं ऽ ध ग ऽ मं ध सां ऽ मं ध नि सां ऽ ऽ सां ध , मं ग मं ग सा , ध , ध , सा । 

4. ग ऽ मं ध सां , सां गं सां , सां ध निमं ध सां , सां गं मं गं ऽ सां मं ग सा सां , सां ऽ सां ध , ध निमं ध सां ऽ सां ध मंमं ग मं ग ऽ सा ।

5. ध मं निध सां , ग मं निध सां , सासा गग मंमं धध सां , गं सां , सां ऽ सां ध नि मं ध , सा ग मं ग ऽ सां सां ध , मं ध सां , गं सां , सां ध मं ग मं ग ऽ सा , ध ऽ मं ग सा , निनिध सा ।

तानें

1. सासा गग सासा , सासा गग मंमं गग सासा , सासा गग मंमं धध मंमं गग सासा , सासा गग ममं धध सांसां धध मम गग सा ।

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2. सासा गमं गसा , गमं धध गमं गसा , मंध सांसां धमं गमं गसा . मंध सांसां धमं गमं धसां गंगं सांसां धध मंमं गग सा ।

3. मंमं गग मंग सा , धध मंध सांसां धमं गमं गसा , सांसां गंगं सांसां धमं गसा , मंमं गंममं गंसां गंगं सांगंगं सांसां निध मंध सांसां धमं गसा ।

4. ममं गमं धध मंध सांसां निसां गंगं सांगं मंमं गंमं गंगं सांगं सांसां सांध सांसां धसां धध , धमं धध मंध मंमं , मंग मंमं गमं गग , गसा गग साग सासा ।

5. सासासा गगग मंमं धध सांसां , सांसांसां धधध मंमं गग सासा , गगग मंमंमं धधध सांसां गंगंगं सांसांसां धधध मंमं गग सासा , गग मंमं धध निध मंध सांसां गंगं सांसां धध मंमं गग सासा ।

राग हिंडोल का परिचय ” के इस अध्याय में बस इतना ही । सप्त स्वर ज्ञान से जुड़ने के लिए धन्यवाद ।

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