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आधुनिक काल में संगीत – Music in Modern Period (9\9)

आधुनिक काल में संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत के ऐतिहासिक विकास का अध्ययन ( 9\9 )

  1. वैदिक काल में संगीत- Music in Vaidik Kaal
  2. पौराणिक युग में संगीत – Pauranik yug me Sangeet
  3. उपनिषदों में संगीत – Upnishadon me Sangeet
  4. शिक्षा प्रतिसांख्यों में संगीत – Shiksha Sangeet
  5. महाकाव्य काल में संगीत- mahakavya sangeet
  6. मध्यकालीन संगीत का इतिहास – Madhyakalin Sangeet
  7. मुगलकाल में संगीत कला- Mugal kaal Sangeet Kala
  8. दक्षिण भारतीय संगीत कला का इतिहास – Sangeet kala
  9. आधुनिक काल में संगीत – Music in Modern Period

9. आधुनिक काल में संगीत – Music in Modern Period

• आधुनिक काल में संगीत 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में संगीत के कई ग्रन्थ लिखे गए । बंगाल के सर एस एम टैगोर ने ‘ The Universal History of Music ‘ नामक ग्रन्थ लिखा । इसी काल में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बंगाल संगीत को एक नया रूप दिया , जिसे रवीन्द्र संगीत कहा गया । यह आज उत्तरी व दक्षिणी संगीत की तरह ही संगीत का एक भाग है ।

• इसी काल में एन ए विलर्ड ने ‘ A Treatise on the Music of Hindustan ‘ नामक पुस्तक लिखी । इन्हीं के अथक् प्रयासों से कई यूरोपियनों ने भारतीय संगीत का अध्ययन किया । इस समय घराना परम्परा का भी पूर्ण विकास हो चुका था । इसी समय में पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे हुए , जिन्होंने भारतीय संगीत को नई दिशा दी , आपने थाट राग वर्गीकरण पद्धति बनाई तथा एक नई स्वर लिपि पद्धति बनाई ।

• संगीत के दो ग्रन्थ श्री मल्लक्षय संगीत तथा अभिनव राग मंजरी लिखे । इसके अतिरिक्त क्रमिक पुस्तक मल्लिका भाग छः आदि पुस्तकें लिखीं । लखनऊ के मैरिस म्यूजिक कॉलेज , ग्वालियर में माधव संगीत विद्यालय , बड़ौदा में म्यूजिक कॉलेज खोले तथा संगीत को जनसाधारण में प्रचारित किया । आपका उपनाम चतुरंग , हररंग चतर आदि थे ।

• इसी काल में बालकृष्ण बुआ इंचलकरणी हुए । इन्होंने गायन के क्षेत्र में अपने अनेक शिष्य बनाए , जिन्होंने संगीत को बढ़ाया । इसी समय में इनके शिष्य पण्डित विष्णुदिगम्बर पलुस्कर हुए , इन्होंने संगीत के उत्थान में अनेक कार्य किए । सबसे पहले इन्होंने गीतों से अश्लील शब्दों को हटाकर भक्ति रस के शब्दों में डाला तथा लाहौर में 5 मई , 1901 को गन्धर्व महाविद्यालय की स्थापना की । इन्होंने अपने गीतों में देशभक्ति तथा राष्ट्रीय चेतना को प्रमुखता दी तथा स्वरलिपि पद्धति का निर्माण किया ।

आधुनिक काल में संगीत तीव्र गति से प्रगति कर रहा है । आज हजारों विद्यार्थी संगीत शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं । संगीत शिक्षकों को भी समाज में पूरा सम्मान मिलता है । संगीत के क्रियात्मक पक्ष व सैद्धान्तिक पक्ष पर अनेक ग्रन्थ लिखे गए हैं । इसके फलस्वरूप आज भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कोने – कोने में संगीत का प्रचार – प्रसार है ।

इसी के साथ हिन्दुस्तानी संगीत के ऐतिहासिक विकास का अध्ययन का अंतिम अध्याय समाप्त होता है , अगर आपने बाकी अध्यायों को नहीं पढ़ा है तो कृपया जा कर पढ़ें और अपनी जानकारी बढ़ाएं । आपके कुछ सुझाव है तो कृपया कमेंट करके हमे बताएं ।

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