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पूर्वी बाज क्या है ? रजाखानी or Purvi Baaj in Music

पूर्वी बाज क्या है

रजाखानी बाज या पूर्वी बाज क्या है ? ( Purvi Baaj in Music ) • विद्वानों के अनुसार , झज्जर , जयपुर , अलवर में मसीतखानी बाज तथा काशी , जौनपुर , लखनऊ पूर्वी बाज विकसित हुआ ।

पूर्वी बाज के प्रवर्तक मसीत खाँ के शिष्य गुलाम रजा खा माने जाते हैं । यह बाज मुख्यतः ख्याल , तराने व ठुमरी पर आधारित हैं । पूर्वी बाज के प्रवर्तक सिद्धार खाँ माने जाते हैं तथा इनके वंशज बुगरा खाँ , घसीट खाँ , कल्लू खाँ आदि पूर्वी बाज के समर्थक थे ।

पूर्वी बाज क्या है ? What is Purvi Baaj in Music ?

पूर्वी बाज किसे कहते हैं?

पूर्वी बाज इसे रजाखानी बाज भी कहते हैं । इस रजाखानी गत वादन को इसलिए पूर्वी बाज कहा जाता है, क्योंकि इसका विकास अधिकतर पूरब में, काशी, जौनपुर, फैजाबाद, लखनऊ, फर्रुखाबाद तथा इटावा आदि स्थानों पर ही हुआ है।
गुलाम रजा खाँ ने अपने रजाखानी अथवा पूर्वी बाज में लयकारी तथा तैयारी का मिश्रण करके इस बाज की एक विशिष्ट पहचान बनाई ।

पूर्वी बाज की शैलीगत विशेषताएँ

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