थाटों से ही राग की उत्पत्ति हुई है। 12 स्वर समूह में से किन्ही ख़ास 7 स्वर के चुनाव के फलस्वरूप राग का जन्म होता है।
थाट और राग सम्बन्ध
थाट और राग सम्बन्ध
7 ख़ास स्वरों के समूह से जो राग बना उस थाट / ठाट का नाम भी उस राग के अनुसार रख दिया गया।
थाट / ठाट की पहचान
थाट / ठाट की पहचान
विद्वानों के शोध के फलस्वरुप हिंदुस्तानी संगीत पद्धति के अनुसार थाटों की संख्या 10 है।
10 थाट / ठाट
10 थाट / ठाट
बिलावल में संपूर्ण स्वर शुद्ध होते हैं ।
1.
बिलावल
राग खमाज में नि कोमल तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं ।
2 .
खमाज
आसावरी में ग, ध, नि कोमल तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं ।
3 .
आसावरी
काफी में ग, नि कोमल तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं ।
4.
काफी
भैरवी में रे, ग, ध, नि कोमल तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं ।
5.
भैरवी
भैरव में रे, ध कोमल तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं ।
6.
भैरव
मारवा में रे कोमल, म तीव्र तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं ।
7.
मारवा
पूर्वी में रे,ध कोमल, म तीव्र तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं ।
8.
पूर्वी
तोड़ी में रे,ग,ध कोमल, म तीव्र तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं।
9.
भैरवी
कल्याण में केवल म तीव्र तथा बाकी स्वर शुद्ध होते हैं ।
10.
कल्याण
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