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राग झिंझौटी का परिचय in Hindi Raag Jhinjhoti ka Parichay

राग झिंझौटी का परिचय

राग झिंझौटी का परिचय Raag Jhinjhoti ka Parichay

राग झिंझौटी का परिचय Raag Jhinjhoti श्लोक –

कोमल मनि झिंझूटी है , चढ़त न लगे निषाद ।

कहूँ कोमल गन्धार है , ध – ग संवादि – वादि ।।

– राग चन्द्रिकासार

Raag Jhinjhoti in Hindi राग झिंझौटी का परिचय – खमाज थाट जन्य झिंझौटी राग में निषाद कोमल प्रयोग किया जाता है और शेष स्वर शुद्ध हैं । कभी – कभी कोमल गंधार भी प्रयोग करते हैं जैसे- सारे ग रे सा नि ध प । आरोह – अवरोह दोनों में सातों स्वर प्रयोग किये जाते हैं । अतः इसकी जाति संपूर्ण – संपूर्ण है । वादी स्वर ग और सम्वादी नि माना गया है । वादी – संवादी में षडज – पंचम भाव नहीं स्थापित होता , क्योंकि निषाद स्वर कोमल है । यह एक चन्चल राग है । इसे मुख्य तौर से मंद्र और मध्य सप्तकों में गाते हैं । इसके गाने का समय रात्रि का दूसरा प्रहर है । आरोह – सा रे ग म प ध नि सां । अवरोह – सां नि ध प म ग रे सा , सा रे ग रे सा , नि ध प ।

राग झिंझोटी एक चंचल प्रकृति का राग है इस कारण यह राग वाद्य यन्त्रों के साथ ठीक मेल खाता है ।

Raag Jhinjhoti के प्रमुख बिंदु

राग झिंझौटी पर आधारित हिंदी फ़िल्मी गीत

राग झिंझौटी में मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाया गया गाना है फिल्म ‘ पगला कहीं का – “ तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे ” .

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राग जनसम्मोहिनी का परिचय raag Janasammohini ka Parichay

सप्त स्वर ज्ञान से जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद ।

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