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Psychology और Musicology या म्यूजिक का मनोविज्ञान / Psychology of Music
म्यूजिक का मनोविज्ञान Psychology को समझना ऐसा है जैसे हम खुदको यानि इंसानी शरीर तथा इंसानी दिमाग को समझ रहे हों । Psychology और Musicology यह दोनों विभाग म्यूजिक का मनोविज्ञान Psychology के अभिन्न अंग जैसे माने गए हैं । इन दोनों का लक्ष्य संगीत के आचरण को उजागर करना तथा समझना है । हमारे लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि ये आखिर काम कैसे करता है । आइये समझते हैं –
महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला में एक बार कहा था :-
If you want to find the secrets of the universe think in terms of Energy, Frequency and Vibration . meaning in hindi- यदि आप ब्रह्माण्ड के रहस्यों को ढूंढना चाहते हैं, ऊर्जा, आवृत्ति और कम्पन के सन्दर्भ में सोंचे ।
यह QUOTE हमें उस चीज की याद दिलाता है जो हम सब में कॉमन है – म्यूजिक/Music क्योंकि म्यूजिक एक यूनिवर्सल लैंग्वेज है ।
इसे एक उदहारण से समझते हैं – अगर हम एक छोटे बच्चे के आगे भी कोई भी ट्यून प्ले करते हैं और वह इंस्टिंक्टिवली/ सहज ही उस पर डांस करने लगते हैं और अगर कोई एडल्ट ईयर फोन लगाकर अपने फुट टैप कर रहे हो तब भी हम समझ जाते हैं कि यह किसी रिदम के साथ अपनी बॉडी को सिंक्रोनाइज कर रहे हैं।
लेकिन यह स्वभाव क्यों है हमारे अंदर ? म्यूजिक का मनोविज्ञान Psychology क्या कहता है । ये समझने के लिए हमें रिसर्च का सहारा लेना पड़ेगा । खैर रिसर्च क्या कहती है उसे जानने से पहले हम इस सवाल को स्प्रिचुअल लेंस के साथ देखते हैं ।
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संगीत में आध्यात्मिकता – Spritual Lens
जब हम इस स्थिति को स्प्रिचुअल लेंस के साथ देखते हैं तो ज्ञात होता है – म्यूजिक लाइट की तरह ही Frequency/ आवृत्ति या वाइब्रेशन से बना होता है और इसे या तो एक हथियार या ठीक होने अर्थात Healing के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है । उदाहरण के लिए हर साउंड की हर आवाज की एक वाइब्रेशनल फ्रीक्वेंसी होती है।
जैसे – ओम(OM) शब्द की अलग-अलग नोट पर frequency/ आवृत्ति होती है – 500Hz , 512Hz , 1024Hz , 2048Hz और बहुत कुछ और जब हम इन फ्रीक्वेंसी को 42 Octave / सप्तक तक लेकर जाते हैं तब हमें इन फ्रिकवेंसी का बराबर कम्पन (Vibrational Equivalent) रंग मिलता है जोकि है Green / हरा । ऐसे ही हर अलग साउंड फ्रिकवेंसी एक अलग कलर बना सकती है ।
जब इन विभिन्न प्रकार के साउंड फ्रीक्वेंसी से पूरा RainBow / इंद्रधनुष बन जाता है उसे मेटा फिजिक्स(Meta Physics) में बोला जाता है रेनबो ब्रिज(RainBow Bridge) . इसका मतलब है कि एक ऐसी दुनिया जो फिजिकल दुनिया / भौतिक दुनिया को जोड़ता है पराभौतिक दुनिया से ।
Harmonic Resonance ( हार्मोनिक रेजोनेंस )
हम हमेशा ही इन frequency/ आवृत्ति पर प्रतिक्रिया कर रहे होते हैं जिसकी वजह से साउंड हमारे अंदर इमोशन पैदा करते हैं । इसलिए एक गायक जैसे – लता मंगेशकर, अरिजीत सिंह और सोनू निगम को सुनना काफी पावरफुल होता है क्योंकि वह अपनी आवाज को काफी खूबसूरती से कम फ्रीक्वेंसी से ऊंचे फ्रीक्वेंसी पर लेकर जातें हैं जिससे वह हमारे हर साइकिक(मानसिक) सेंटर को जागृत कर सकते हैं । यह हमें कथित तौर पर अलग-अलग लेवल पर प्रभावित करती हैं । इस प्रक्रिया को हम कहते हैं – Harmonic Resonance ( हार्मोनिक रेजोनेंस )
यह विस्तार हमे यह बताता है कि क्यों एक इंसान जिसकी आवाज एक ही तरह की होती है जिसकी आवाज Monotone होती है उसकी आवाज उतनी प्रभावी नहीं लगती । यह फ्रीक्वेंसी की ताकत है और हम इसे एक विकाशवादी(Evolutionary) लेंस के साथ भी समझ सकते हैं क्योंकि यह हमारा सहज प्रतिक्रिया होता है ।
जैसे ही हम किसी हाई फ्रिकवेंसी साउंड को सुनते हैं तब हमारे दिमाग के बहुत सारे क्षेत्र एक्टिव होते हैं और हम एकाग्र होने लगते हैं ।
संगीत और दिमाग – म्यूजिक का मनोविज्ञान Psychology
जैसे कि हमने चर्चा की हमारे दिमाग में संगीत का कोई निश्चित केंद्र नहीं है संगीत हमारे दिमाग के बहुत सारे गतिविधि जैसे भाषा मेमरी और अटेंशन के साथ तालमेल करता है और इसके साथ ही एक रिदम ताल सुनते वक्त हमारे कई भावनाएं, इमोशन सक्रिय/ एक्टिव होते हैं ।
जैसे ब्रेन स्टेम रिफ्लेक्सेस, एपीसोडिक मेमोरी एक्सपेक्टेशन, एंटीसिपेशन विजुअल मेमोरी इत्यादि ।
म्यूजिक थेरेपी / Music Therapy – तत्काल दशकों के डाटा से हम यह भी बता सकते हैं कि दिमाग के ठीक कौन-कौन से अंग / पार्ट्स संगीत के प्रोसेसिंग में इस्तेमाल होते हैं । सबसे पहला पार्ट है-
हमारे दिमाग / Brain के कुछ Processing Parts / हिस्से
ऑडिटरी कोरटेक्स – क्योंकि इसी भाग में आवाज का सबसे पहले प्रोसेस और एनालाइज किया जाता है ।
सेरेब्रल कोरटेक्स – इस भाग में संगीत को मेमोरी से एसोसिएट किया जाता है ।
Brodmann area 44 (BA44), Brodmann area 47 (BA47)
जिस समय हम म्यूजिक सुनते वक्त सोच रहे होते हैं कि अब कौन सी धुन या लिरिक्स आगे आने वाली है । कई रिसर्च बताती है उस वक्त हमारा दिमाग डोपामाइन नामक हार्मोन रिलीज करना शुरू कर देता है। जिससे जब हमारा अंदाजा सही होता है तब हमें एक जीत जाने वाली फीलिंग होती है और जब हमारा अंदाजा गलत हो जाता है तब वह हमें हास्यपद या गुस्से भरा लग सकता है और हम कोशिश करते हैं कि अगली बार हमारा अंदाजा सही हो ।
MOTOR CORTEX और CEREBELLUM
MOTOR CORTEX और CEREBELLUM -ये तब सक्रिय होते हैं जब हम फुट टैप कर रहे होते हैं, किसी चीज पे ध्यान दे रहे होते हैं या साधारणतः किसी भी तरीके से हिल रहे होते हैं ।
SENSORY CORTEX
Sensory cortex – जो हमारे foot tapping या किसी musical instrument प्ले करने से सम्बंधित sensory signal का फीडबैक लेता है। .
VISUAL CORTEX
VISUAL CORTEX – विजुअल कॉर्टेक्स – यह हमें बताता है कि हम म्यूजिक पेश करनेवाले के चेहरे के भाव या स्टाइल को देखें या फिर किसी गाने को तस्वीरों में कल्पना करें ।
AMYGDALA और CAUDATE NUCLEUS
जिससे AMYGDALA और CAUDATE NUCLEUS सक्रिय होते हैं और वह छण काफी इमोशनल या यादगार बन जाता है ।
Impact of Different Genre – म्यूजिक का मनोविज्ञान Psychology
जहां तक हमारे ब्रेन एक्टिवेशन की बात है एक अनियमित ताल / रिदम से लेकर हमारे फेवरेट गाने तक हर प्रकार का संगीत एक जैसी तंत्रिका मार्ग / Neural Pathway को उत्तेजित करता है । लेकिन हमें पता है कि हर Genre हमारे अंदर एक अलग प्रकार का एहसास पैदा करता है जो एहसास पॉप म्यूजिक सुनकर आती है वह ओपेरा सुनके नहीं आती और जो फीलिंग रैप म्यूजिक के साथ आती है वह Jazz के साथ नहीं आती ।
MooD and Music
अब आपको जरा समझ आ रहा होगा ऐसा मैं मानता हूं । ध्यान रहे यह प्रोसेस उल्टा भी काम कर सकता है क्योंकि जब हमारा एक पर्टिकुलर टाइप का मूड होता है तब हम उसी टाइप का म्यूजिक सुनना पसंद करते हैं जैसे जब हम दुखी होते हैं तब हमें खुशी वाले गाने पसंद नहीं आते हम सिर्फ सैड सॉन्ग( Sad Song) से रिलेट कर पाते हैं ।
Sad Song – Song सुनते समय हमारी बॉडी में एक हार्मोन रिलीज होता है जिसे बोलते हैं कहते हैं प्रोलेक्टिन । यह वह केमिकल होता है जो हमें शांत और कंफर्ट महसूस कराता है मतलब हम एक क्रियाकलाप या एहसास को बढ़ा सकते हैं ।
म्यूजिक का मनोविज्ञान / Psychology और प्रदर्शन / Performance
एक पर्टिकुलर जेनर की मदद से उदाहरण के तौर पर हमारे दिमाग के न्यूरॉन्स उसी टेंपो ताल पर प्रकृत प्रतिक्रिया करने लगते हैं जिस टेंपो का हम गाना सुन रहे होते हैं ।
तो एक तेज धावक कोई ऐसा म्यूजिक ढूंढ ले जिसकी टेंपो उसके नॉर्मल स्पीड से थोड़ी तेज हो उसके न्यूरॉन उसी टेंपो पर प्रतिक्रिया करने लगेंगे और ऐसे में वह तेज भाग पाएगा । ऐसी चीज हम वेटलिफ्टर में भी देखते हैं कि जब एक एथलीट एक खास तरह का संगीत चुनता है तो वह संगीत उसे वही टेम्पो बनाये रखने में मदद करता है जिससे एथलीट चाहे तो वह अपने लैप बढ़ा सकता है या वह एक हैवीवेट चुन करके उसे लो टेंपो के साथ उठा सकता है ।
ऐसे कोई भी एथलीट एक्टिविटी जिसमें टाइमिंग समाहित होती है उसमें ध्यान से चुना गया संगीत एथलीट की परफॉर्मेंस को काफी सही तरीके से बढ़ा सकता है ।
संगीत सुनने से रचनात्मक कार्यों में वृद्धि होती है और थकान वाली भावनाओं में कमी आती है । संगीत सुनने के दौरान की गयी क्रियाकलाप में अधिक बेहतर परिणाम आता है ।
Music Style – POP, RAP, REGGAE, COUNTRY
म्यूजिक टेंपो की तरह म्यूजिक स्टाइल भी बहुत महत्वपूर्ण होता है . जैसे – POP, RAP, REGGAE, COUNTRY म्यूजिक का हमारे दिमाग में काफी सामान असर होता है क्योंकि ये Genre रिपिटेटिव और कैची होते हैं जिससे उन्हें बार-बार सुनना और गाना काफी आसान हो जाता है ।
HIP-HOP THERAPY
इसके साथ ही हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज की एक शोध के बाद हिप हॉप और रैप म्यूजिक को लेकर एक नया ट्रेंड शुरू हो गया है जिसे नाम दिया गया है हिप हॉप थेरेपी । यह इसलिए कि शोध में पाया गया कि कैसे RAP व HIP-HOP म्यूजिक में ऐसी लिरिक्स होती है जिसमें Possitive Visual Imagery , खुदको एक्सप्रेश करने की कहानियाँ होती हैं जो श्रोता के Self Esteem/आत्मसम्मान को काफी बढ़ा देते हैं । अगर कोई इंसान डिप्रेस्ड/ उदास है तो हम उन्हें RAP सॉन्ग सुना सकते हैं । वह लिरिक्स की वजह से अपने आप को उस जगह पर खुदको महसूस कर पाएंगे और म्यूजिक की थेरेपी की पावर को इस्तेमाल कर पाएंगे ।
म्यूजिक का मनोविज्ञान / Psychology & Metal Music
उसी प्रकार से मेटल म्यूजिक वी हमारे तनाव और डिप्रेस्ड फीलिंग को कम करने में काफी मददगार होता है और क्लासिकल म्यूजिक / शास्त्रीय संगीत जैसे – ओपेरा / OPERA, RENNAISANCE और मोजार्ट / MOZART हमारा फोकस और प्रोडक्टिविटी बढ़ाते हैं जिसकी वजह से इसे मोजार्ट इफेक्ट / MOZART EFFECT भी कहा जाता है ।
शास्त्रीय संगीत हर एक के लिए काम नहीं करता तभी रिसर्च यह सलाह देते हैं कि हमें हर Genre को खंगालना चाहिए और देखना चाहिए कि क्या एक Genre हमें दूसरे से बेहतर महसूस करता है ।
Conclusion :- संगीत के फायदे – म्यूजिक का मनोविज्ञान / Psychology of Music
Binaural Beats सुनने के भी अनेकों फायदे हैं ।
संगीत के फायदे की जितनी बात कर ले उतनी कम है
- हमारी नींद बेहतर होती है ।
- इससे हमारा स्ट्रेस तनाव कम होता है ।
- हमारी ज्ञानसम्बन्धी प्रदर्शन एंड मेमोरी/ स्मरण शक्ति बढ़ती है ।
- एक खास तरह की का सॉन्ग हमें मोटिवेटेड/ प्रेरित महसूस करा सकता है ।
- म्यूजिक सुनते वक्त हमारा दर्द सहन करने की क्षमता और धीरज बढ़ जाती है ।
- अगर हम खाना खाने के समय रिलैक्सिंग म्यूजिक को सुने तो हम कम कैलोरी कंज्यूम करते हैं ।
- और सबसे जरूरी म्यूजिक तुरंत हमारे मूड को बेहतर बना देता है ।
- म्यूजिक यह हमारे दिमाग शरीर और आत्मा के लिए एक वरदान है ।
जैसा कि महान दार्शनिक प्लेटो ने कहा था –
Music is a moral law. it gives Soul to the universe, Wings to the mind, Flight to the imagination and Charm and Gaiety to life and to everything .
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