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संगीत और अध्यात्म – Spirituality in music !
Spirituality in music – संगीत और अध्यात्म ? ?? ??? कई तरह की संभावनाएं , कई तरह की उलझनें , कई तरह की परिस्थितियां और इन सब के बीच जूझता मानव मन । आखिर ये जाये तो कहाँ जाये । अगर कहीं जाने का इरादा कर लिया तो क्यों ? वो भला कहीं क्यों जाये ? किस चीज की तलाश है उसे ? इसके लिए वह किसके शरण में जाये ? ऐसा कोई व्यक्ति तो हो नहीं सकता । तो क्या मानव ईश्वर की शरण में जाये ? आध्यात्मिकता की ओर जाये ?
जवाब ये है कि वो आध्यात्मिकता की ओर जाये पर असल सवाल ये है की क्या आध्यात्मिकता में सारे सवालों का जवाब है ? क्या आध्यात्मिकता से जुड़कर वह सारे सवालों का जवाब ढूंढ पाएगा ?
इन्ही सारे सवालों के बीच सप्त स्वर ज्ञान के इस लेख में शांति, अशांति, ख़ुशी, नाखुशी, सफलता,असफलता, लाभ, लालसा के बीच हम 1 सवाल का जवाब जरूर ढूंढेंगे कि………………..
क्या Spirituality in music / संगीत में अध्यात्मिकता का महत्व है ? – हां या नहीं !
इस बात को लेकर लोगों के मन में हमेशा नए नए प्रश्न उत्पन्न होते रहते हैं। कई तरह के प्रश्न। कभी वह सफलता को लेकर होती है कभी असफलता को लेकर । कुछ लोग तो हर एक चीज पाना चाहते हैं । इनमें से कुछ सब पाकर भी खुश नहीं रह पाते और इनमें कुछ ऐसे भी होते हैं ,जो कुछ खास ना पाकर भी अत्यंत खुश होते हैं। तो अगर हम यह पाने-खोने की प्रक्रिया, सफल-असफल होने की प्रक्रिया से ऊपर उठकर कुछ प्रश्न करते हैं ,जोकि लाभ -लालसा, नफा -नुकसान से परे है। जो हमारे जीवन में सुख लाए या फिर हम कुछ ऐसा करने की चाह रखें जो हमारे जीवन में एक शांति पैदा करें।
तो सवाल कई हैं और इन सवालों के जवाब ढूंढने के लिए कई तरह की विधियां हो सकती हैं । हो सकता है आपके मन में यह सवाल ना हो ! हो सकता है आपके मन में यह सवाल हो। या हो सकता है यह सवाल आपके मन में आगे आने वाला है। तो इन सवालों को और उनके जवाबों को ढूंढने के लिए हमें एक पहलू से जुड़ना पड़ेगा। और उस पहलू से हमें इसलिए जुड़ना पड़ेगा कि कि वहीं से आपको हर एक सवालों के जवाब मिल पाएंगे । वैसे सवाल जो आपके मन में हैं । वैसे सवाल जो आपको अंदर ही अंदर परेशान करते हैं। तो आइए बात करते हैं उस खास चीज की। वह खास चीज है आध्यात्मिकता।
Spirituality / आध्यात्मिकता क्या है ?
आप इस लेख में अभी तक जुड़े हुवे हैं मतलब इस भौतिक युग में आप यह तो समझ चुके होंगे कि वह चीज कोई वस्तु नहीं हो सकती तो आखिर वह चीज है क्या? आप जानते हैं इस युग में सभी स्वर्ग, मोक्ष इत्यादि की भावना से लिप्त है परंतु वह तो बाद की प्रक्रिया है । उससे पहले की प्रक्रिया क्या है ? वह शब्द क्या है ? जिसे हम ढूंढ रहे हैं ।
बेशक जवाब है- Spirituality /आध्यात्मिकता।
शायद आप इस शब्द से ज्यादा परिचित ना हो पर आपको यकीन करना होगा कि यही एक रास्ता है। और इसे समझने के लिए कृपया इस लेख को पूरा पढ़ें मैं निश्चित तौर पर कहता हूं कि आपके मन को शांति जरूर मिलेगी । आपका जो भी सवाल होगा उसका जवाब आपको अवश्य इस लेख में मिल जाएगा । आप इस लेख को (www.saptswargyan.in) सप्त स्वर ज्ञान वेबसाइट पर पढ़ रहे हैं।
तो इस बात को समझाने के लिए आपको इस चीज को समझने के लिए मैं कुछ उदाहरण का प्रयोग करूंगा । तो आइए जानते हैं कि आध्यात्म संगीत से कैसे जुड़ा हुआ है? या फिर । क्या संगीत का आध्यात्मिकता से संबंध है?
मैंने यहां प्रश्न करता और गुरु के संवाद को रखकर यह बातें समझाने की कोशिश की है।
प्रश्नकर्ता और गुरूजी का संवाद
प्रश्नकर्ता –
गुरुजी म्यूजिक और आध्यात्मिकता के बीच किस प्रकार का संबंध है? मैं यह जानने को इच्छुक हूं कि क्या किसी संगीत वाद्य का वादन एक ध्यान की प्रक्रिया के रूप में परिवर्तित हो सकता है?
गुरुजी कहते हैं –
Spirituality/आध्यात्म और संगीत, ये आपस में जुड़े हुए नहीं है ।
प्रश्नकर्ता –
जुड़े हुए नहीं है ! इसका क्या अर्थ हुआ ?
गुरुजी कहते हैं –
बस इतनी सी बात है कि अगर आप किसी काम में पूरी तरह से लीन हो जाते हैं, उसमें पूर्ण इच्छा से मौजूद होते हैं तो आध्यात्मिक प्रक्रिया वही से आरम्भ हो जाती है। सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि
आध्यात्मिक प्रक्रिया है क्या ?
किसी भी चीज को, किसी बात को ऊपरी तौर पर जान लेना सांसारिकता है और उसे ही भीतर तक जान लेना ही आध्यात्मिकता है। जमीन पर झाड़ू लगाकर भी कोई आध्यात्मिक हो सकता है । आपका सांस लेना भी आपको आध्यात्मिक कर सकता है । यह सब आप पर निर्भर करता है । इसलिए आज से आप संगीत वाद्य को बजाकर भी आध्यात्मिक बन सकते हैं । कई लोगों ने संगीत और आध्यात्मिक दोनों प्रक्रिया को जाना है। इसलिए नहीं कि वह आपस में जुड़े हैं।
हो सकता है आप किसी प्रकार का कोई वाद्ययंत्र बजाना आता हो । लेकिन आप उसमें पूरी तरह डूबे नहीं हैं तो आप उसे सही ढंग से नहीं बजा पाएंगे । जब आप पूरी तरह से उससे जुड़ जाते हैं उसके बाद हीं आपसे कुछ सार्थक संगीत बज पाएगा । इस तरह का जुड़ाव हो तो आध्यात्मिकता का द्वार आपके लिए बिलकुल ही खुलेगा, कोई और तरीका नहीं है । मैं तो कहता हूं कि अगर आप पूर्ण रूप से मग्न होकर जमीन पर झाड़ू भी लगाएंगे तब भी यह द्वार खुलेगा । आपको कोई भी संगीत वाद्य सीखने की आवश्यकता नहीं ।
प्रश्नकर्ता –
गुरूजी मै थोड़ा गिटार बजाना जनता हूँ और आध्यात्मिक भी होना चाहता हूँ मुझे क्या करना चाहिए कृपया ये बताएं
गुरुजी कहते हैं –
इसे समझने के लिए मै उदाहरण के तौर पे इससे जुड़ा एक वृतांत सुनाता हूँ ।
Spirituality in Music / संगीत में अध्यात्मिकता को समझने के लिए एक छोटी सी सच्ची कहानी
एक लड़के ने नया-नया गिटार बजाना सीखा था और वह चाहता था की कोई उसे बजाते हुए सुने। किसी को सुनाना चाहता था । लेकिन उसे कोई भी सुनने वाला श्रोता कहीं नहीं मिल रहा था । वह तो बस गिटार बजाकर किसीको सुनना चाहता था । उसके मन में एक उपाय आया । आखिरकार वह अपने अच्छे मंशा के साथ एक वृद्धालय में पंहुचा । वृद्धालय में एक बीमार बूढ़ा बिस्तर पर पड़ा हुआ था । वह गिटार वादक बूढ़े के पास जाकर बैठ गया । उस बूढ़े आदमी को एक उपहार देने के भाव से उसने 30 मिनट तक गिटार बजाकर सुनाया ।
फिर लड़के को लगा कि उसने यह अच्छा काम पूरा कर दिया है। तो उसने खड़े होकर उस बूढ़े आदमी की ओर देखा, जिसकी सांस जोर से चल रही थी। उसने बड़ी विनम्रता से कहा -उम्मीद करता हूं एकदिन आप बेहतर /अच्छे हो जाएंगे । बूढ़े आदमी ने मासूमियत भरी मुस्कराहट से उस लड़के की ओर गौर से देखा । फिर बूढ़े आदमी ने उसे इशारे से अपने पास बुलाया । जब वह गिटार वादक बूढ़े के पास आया तो बूढ़े आदमी ने बड़ी ही सरलता से कहा- आशा करता हूं एकदिन तुम भी बेहतर हो जाओगे।
उम्मीद करता हूँ अब तुम ये बात समझ पा रहे होंगे कि संगीत और अध्यात्म का जुड़ाव किस प्रकार से काम करता है ।
प्रश्नकर्ता –
नहीं गुरूजी , नहीं मै पूरी तरह नहीं समझा । आध्यात्मिक प्रक्रिया का जुड़ाव किससे है ?
गुरूजी :-
आध्यात्मिक प्रक्रिया का जुड़ाव जीवन के किसी एक निश्चित पहलू से नहीं है।
प्रश्नकर्ता –
इसका मतलब ये किसी से जुड़ी हुई नहीं है ?
गुरूजी हॅसते हुए कहते हैं –
तुम इसका एक मतलब ये भी समझ सकते हो कि यह कई प्रक्रियाओं से जुड़ी हुई है । यहाँ तो हर कण आपके लिए आध्यात्मिकता का एक दरवाजा है। नहीं तो आपके लिए यह मार्ग ही नहीं खुलता । आध्यात्मिक प्रक्रिया मंत्रों के जाप, ध्यान या गिटार बजाने से या ऐसे ही किसी चीज से जुड़ी हुई नहीं है । यह काम ऐसे हैं जिसको पूरी लगन के सिवा नहीं करा जा सकता है ।
इन्ही कारणों से इन गतिविधियों को Spiritual / आध्यात्मिक प्रक्रिया से मिला दिया गया है। आध्यात्मिकता के लिए ऐसी किसी चीज की आवश्यकता नहीं है। अगर आप यहां पूरी मग्नता से बैठे रहे, इतना कि अब बिल्कुल खली / शुन्य हो जाएं । फिर आपके द्वारा जिस प्रकार के काम किये जाएंगे वह एक Spiritual/आध्यात्मिक प्रक्रिया होगी । नहीं तो किसी तरह काम आध्यात्मिक प्रक्रिया नहीं है ।
स्वामी विवेकानंद के विचार – Spirituality/आध्यात्मिकता के विषय पर
स्वामी विवेकानंद ने कहा था प्रार्थना में लीन होने से ज्यादा हम फुटबॉल को मारते वक़्त ईश्वर के अधिक समीप होते हैं। क्योंकि जब हम पूरी तरह से खुद को खेल में शामिल करेंगे तभी फुटबॉल को किक मार सकते हैं । यह पूरी तरह से जुड़े होने का नतीजा है। यह किसी असाधारण व्यवहार का परिणाम नहीं जिसके कारन आपके लिए यह दरवाजा खुलता है ।
आप संगीत में काफी अच्छे हैं तो अवश्य बजाइए । अगर आप संगीत में अच्छे नहीं हैं तो निरंतर प्रयास कीजिए बेहतर बनिए, अच्छे बनिए । अपने आप को पूरी तरह इसमें समाहित कर लीजिए खुद पर यकीन कीजिए आप अच्छे बन जाएंगे ।
Spirituality in music / संगीत में अध्यात्मिकता से लाभ
एक बात मै कहना चाहूंगा आध्यात्मिकता से जुड़ कर ही आप असल में बेहतर बन पाओगे, बेहतरीन हो जाओगे ।
तो दिल से जुड़कर गाते रहें, बजाते रहें जिस भी काम में है , पूरे लगन क साथ करते रहें । आपका धन्यवाद ।
Note:- यह लेख महान गुरुओं के विचारों से प्रेरित है ।
आशा करता हूँ आप समझ गए होंगे – Spirituality in Music / संगीत में अध्यात्मिकता का योगदान किस प्रकार से है ।
विचार योग्य बात :- मै हिन्दुस्तान के कलाकारों की बात करता हूँ । अगर आपने गौर किया होगा सारे महान, बेहतरीन कलाकार आद्यात्म से जुड़े हुए हैं । कुछ कलाकार इसे बताते हैं कुछ कलाकार नहीं । आप जब भी इन कलाकारों की विडिओ देखें ,उनकी जीवनी अब जब कभी पढ़े तो इसपे ज़रा गौर कीजियेगा । आप भी अध्यात्म की ओर रुख कर सकते है । यह आपके लिए बहुत ही कारगर और फायदेमंद होगा ।
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