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Pandit Ravi Shankar Biography / जीवनी
Pandit Ravi Shankar Biography – पंडित रविशंकर का जन्म 7 अप्रैल 1920 ईस्वी को वाराणसी में हुआ। इनके पिता का नाम पंडित श्यामा शंकर था जो बड़े विद्वान तथा संगीत प्रेमी थे। चार भाइयों में पंडित रविशंकर सबसे छोटे थे। प्रारंभ में रविशंकर को नृत्य की शिक्षा मिली और 18 वर्ष की आयु तक यह अपने भ्राता उदय शंकर की नृत्य मंडली में कार्यरत रहे।
सन 1938 ईस्वी में रवि शंकर जी की मेहर आ गए और अलाउद्दीन खां का शिष्यत्व प्राप्त किया और संगीत की कठोर साधना में लग गए। लगभग 6 वर्षों की घनघोर तपस्या के बाद यह सितार वादन में पूर्णता दक्ष हो गए।
इसी बीच उस्ताद अलाउद्दीन खां इनकी कार्यक्षमता कुशाग्र बुद्धि और संगीत के प्रति महान गहन रुचि देखकर तथा इनकी गुरु भक्ति, लक्ष्य के प्रति जागरूकता तथा संगीत में आश्चर्यजनक उन्नति देखकर सन् 1941 ईस्वी में खां ने अपनी सुपुत्री अन्नपूर्णा (सुरबहार की अन्यतम कलाकार) के साथ इनका विवाह कर दिया।
भारतीय संगीत में योगदान
भारतीय संगीत में पंडित रविशंकर का योगदान – मैहर के बाबा उस्ताद अलाउद्दीन खां के प्रमुख शिष्य तथा प्रख्यात नृत्यकार उदय शंकर के अनुज पंडित रविशंकर न केवल भारत के अपितु अंतरराष्ट्रीय जगत के शीर्षस्थ सितार वादक हैं। भारतीय संगीत को विदेशों में लोकप्रिय बनाने का सर्वाधिक श्रेय इन्हीं को है।
पंडित रविशंकर जी की लोकप्रियता तथा संगीतिक प्रतिभा दिनों दिन बढ़ती ही गई। श्रोता इनका सितार वादन सुनकर सम्मोहित होने लगे ।
फिल्मों में संगीत और ऑल इंडिया रेडियो
काबुलीवाला, गोदान, अनुराधा,आदि फिल्मों में तथा ‘सत्यजीत रे’ की फिल्मों में भी संगीत दिया। 1949 ईस्वी से 1956 ईस्वी तक इन्होंने ऑल इंडिया रेडियो आकाशवाणी में बतौर संगीत निर्देशन का काम किया।
1960 के बाद उन्होंने यूरोप के दौरे शुरू किए और यहूदी मेन्यूहिन व बीटल्स ग्रुप के जॉर्ज हैरिशन जैसे लोगों के साथ काम करके अपनी खास पहचान बनाई।
सन 1962 में मुंबई में ” किन्नर स्कूल ऑफ म्यूजिक “ की स्थापना की।
प्रमुख शिष्य–
सितार वादन में पंडित रविशंकर जी का नाम सबसे शीर्ष स्थान पर लिया जाता है। इन्होंने सितार वादन के साथ साथ इसका प्रचार भी किया एवं अनेक शिष्य को तैयार भी किया। इनके प्रमुख शिष्य उमाशंकर मिश्र, गोपाल कृष्ण, जयाबोस, शंभू दास, शंकर घोष, कार्तिक कुमार के नाम उल्लेखनीय हैं।
पुरस्कार – Pandit Ravi Shankar Biography
सन 1999 में इन्हे भारत रत्न से सम्मानित किया गया। रविशंकर को कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 2009 ईस्वी में ” पद्म भूषण ” से सम्मानित किया गया। रविशंकर को तीन बार ” ग्रैमी पुरस्कार “ से भी नवाजा गया था। इन्होंने भारतीय और पाश्चात्य संगीत के संलयन में भी बड़ी भूमिका निभाई।
मृत्यु – पंडित रविशंकर जी की मृत्यु 92 वर्ष की आयु में सन 2012 ईस्वी में 11 दिसंबर को हो गया ।
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