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घराना का अर्थ, परिभाषा, अवधारणा – Gharana

घराना का अर्थ

Meaning of Gharana घराना का अर्थ – विभिन्न संगीतज्ञों के मतानुसार , ‘ घराने ‘ शब्द का तात्पर्य घर से लगाया जाता है अर्थात् घराने का अर्थ गायकों के ऐसे वर्ग से है , जिन्होंने पिता – पुत्र परम्परा से या गुरु परम्परा से गुरु की गायन शैली को अपनाया ।

घराना का अर्थ / परिभाषा

● ” डॉ . कृष्णराव पण्डित के अनुसार , “ शताब्दियों या बहुत वर्षों की परम्पराओं , उच्च कोटि के गुरु और कई पीढ़ियों की गुरु – शिष्य परम्पराओं आदि के मिश्रण से एक घराने का निर्माण हुआ करता है । ” से

डॉ . देशपाण्डे महोदय के अनुसार , “ घराना अर्थात् निशानी या पहचान , जिसके अनुसार गायकी की विशिष्ट रीति बनाए रखने वाली , लेकिन उसमें प्रत्येक गायक के साथ नई – नई बातों को समाहित करने वाली तथा इस प्रकार के सिलसिले को बनाए रखने वाली परम्परा ही घराने के नाम से पुकारी जाती है । ”

डॉ . अबान एमिस्गी ने घराने की बड़ी सुन्दर परिभाषा दी है । इनके अनुसार ” कोई एक असाधारण , प्रतिभाशाली , प्रबल और कुछ विशेषकर दिखाने की क्षमता रखने वाला व्यक्ति जब अपनी परम्परागत विधा में एक अभिनव कल्पना का निर्माण करता है तब उसकी कला निर्मिति में एक पृथक दृष्टिकोण के पूर्ण वैशिष्ट्य का उद्भव होता है , जो बाद में कुछ नियमों और सिद्धान्तों से अनुबन्धित हो जाती है ।

घराने से सम्बन्धित अवधारणा / मान्यता

घराने से सम्बन्धित अवधारणा ‘ घराना ‘ शब्द संस्कृत के ‘ गृह ‘ शब्द से उद्धृत है । यह घर का भाववाचक शब्द है । शब्दकोश में घराना शब्द का अर्थ वंश या कुल से है । सांगीतिक परिभाषा में भी इसी अर्थ का प्रयोग हुआ है । घराना शब्द का अर्थ हम जो आज लेते हैं , उनका इतिहास एक सौ साल से अधिक नहीं है । ब्रिटिश काल के पश्चात् पेशेवर मुस्लिम कलाकारों की व्यावसायिक मनोवृत्ति के फलस्वरूप ‘ घराना ‘ शब्द का अर्थ व्यापक होता चला गया है ।

घराना हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की विशिष्ट शैली है , क्योंकि हिन्दुस्तानी संगीत बहुत विशाल भौगोलिक क्षेत्र में विस्तृत है , कालान्तर में इसमें अनेक भाषाई एवं शैलीगत बदलाव आए हैं ।

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घराना का अर्थ / Meaning

घराना का क्या अर्थ होता है ?

• घराना का अर्थ होता है , एक विशेष स्थान पर प्रचलित अथवा व्यक्ति द्वारा प्रवर्तित संगीत की रीति या स्टाइल , जिसे आजकल गायकी कहा जाता है । इसलिए घरानों का नामकरण भी किसी व्यक्ति या स्थान के नामानुसार पड़ गया है ; जैसे – सेनी घराना ( तानसेन से सम्बन्धित ) , अल्लादिया खाँ घराना अथवा ग्वालियर घराना , आगरा एवं पटियाला घराना आदि ।
चूँकि मानव प्रारम्भिक जीवन से आज तक वर्गों में बँधा हुआ चला आ रहा है , जिसकी पृष्ठभूमि में कुछ सामाजिक , राजनैतिक व प्राकृतिक कारण रहे हैं , इसी कारण से प्रत्येक स्थान पर वहाँ से सामान्य जीवन के अनुकूल ही संगीत विकसित हआ । घरानों का जन्म ऐसी ही कुछ विशेष ऐतिहासिक परिस्थितियों में हुआ और आगे चलकर घराना समाज का अंग बन गया ।

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अर्थनीति के इतिहास में एक अंग्रेजी शब्द आता है श्रेणी व्यवस्था ( Guild System ) घराने की तुलना इन्हीं श्रेणी व्यवस्था से की जा सकती । है । प्राचीनकाल में श्रेणी व्यवस्था एक प्रकार का व्यवसाय करने का दृष्टिकोण था । इस व्यवस्था में अपने किसी विशेष व्यवसाय के प्रति कुछ गोपनीयता को बनाए रखा जाता था । संगीत घरानों में भी ‘ गण्डाबन्धन ‘ ( एक प्रकार की हाथों में बाँधने वाला तावीज या धागा ) को आनुवंशिक नियम का एक प्रतीक माना जाता है । उस्ताद अपने शिष्यों को तालीम ( शिक्षा ) देते थे और शिष्य उनकी सेवा करते थे । घरानों की बेशकीमती बन्दिशें उस्तादों का खजाना हुआ करती थीं और उन्हें ही वंश परम्परा के माध्यम से आगे बढ़ाया जाता था ।

रागों के प्रतिरूपों में थोड़े बहुत परिवर्तन होते रहते थे । उदाहरण के तौर पर बसन्त में पंचम वर्जित था और यदि पंचम लगा दिया जाए , तो वह ‘ परज – बसन्त ‘ कहलाया । विभिन्न घरानों में नायकी – कान्हड़ा में धैवत का प्रयोग नहीं है , परन्तु रामपुर घराने की कुछ बन्दिशों में धैवत का प्रयोग है , अन्य घरानों को मान्य नहीं ।

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राग तिलक – कामोद में कुछ घरानों में कोमल निषाद का स्पष्ट प्रयोग करते हैं , परन्तु उस्ताद फैयाज खाँ कोमल निषाद के साथ – साथ कोमल गन्धार का भी स्पर्श करते थे । राजनैतिक , आर्थिक और सामाजिक कारणों से समय के साथ – साथ घरानों के इतिहास में रागों का यह व्यतिक्रम देखने को मिलता है ।

भातखण्डेजी के शब्दों में “ हम सभी जानते हैं कि अभ्यास का मुख्य आधार शास्त्र है और जब शास्त्र का अन्त होता है , तब यद्यपि अभ्यास किसी प्रकार जीवित और प्रचलित रहता है , फिर भी अन्तिम अवस्था में उसमें अव्यवस्था और समस्या अवश्य उत्पन्न हो जाती है । ”

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घराने की उत्पत्ति कैसे हुई ? Gharana

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