संगीत के बिना जीवन अधूरा है।

मैंने जो संगीत सीखा है वह भगवान् की पूजा की तरह है। यह पूरी तरह से एक प्रार्थना की तरह है - पंडित रविशंकर

संगीत मेरा पहला प्यार है और भविष्य में भी यही रहेगा।

जिसे संगीत से प्रेम है उसे ईश्वर से प्रेम है।

प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हर व्यक्ति संगीत से जुड़ा है।

सारी दुनिया में सबसे प्रसिद्ध भाषा है संगीत। 

एक चित्र की चित्रकारी कपडे पर होती है परन्तु संगीत की चित्रकारी दिलों पर होती है।

संगीत अभिव्यक्ति की वह भाषा है जिसे शब्दों के माध्यम से नहीं कहा जा सकता।

संगीत ईश्वर का दिया ऐसा वरदान है जिससे सुख, सुकून और शांति मिलती है।

संगीत एक ऐसी दवा है जो हमारे मन के विकारों को दूर करता है।

 संगीत एक छोटे बच्चे की तरह होता है।  यह आप पर निर्भर करता है आप इसकी किस तरह परवरिश करते हैं।

संगीत वह कला है जिसके द्वारा संगीतज्ञ अपने हृदय के सूक्ष्म से सूक्ष्म भावों को स्वर व लय द्वारा प्रकट करता है।

संगीत का सम्बन्ध केवल हृदय से नहीं बल्कि सम्पूर्ण शरीर से है।

संगीत दो आत्माओं के बीच के अंतर को दूर करता है।

संगीत हमे नकारात्मक विचारों से बचाता है, इसलिए हमे अपने जीवन में संगीत की शिक्षा अवश्य लेनी चाहिए। 

संगीत को परिभाषित करना मानव के बस की नहीं है शायद यह कोई दैवीय तत्व है। संगीत एक ऐसी भाषा है जो दिल से निकलती है और दिल तक पहुँचती है। 

संगीत ब्रह्माण्ड को आत्मा, मन को पंख, कल्पना और जीवन को उड़ान देता है। अच्छा संगीत हमेशा दिलों पर राज करता है।

जिनकी दोस्ती संगीत से होत्ती है उसके आस-पास उदासी नहीं भटकती है, अगर उनका दिल मोहब्बत में टूटा न हो।

एक गायक या वादक की आत्मा ही स्वरों का रूप धारण करके कल्पना और वेदना से प्रेरित होकर भांति-भांति से जो स्वर योजना करने लगती है वही संगीत है।

संगीत मनुष्य को ईश्वर का दिया उपहार है। संगीत पृथ्वी की एकमात्र कला है जिसे हम स्वर्ग में ले जा सकते हैं।