विश्व पटल पर भारत की परंपरा को विश्व विख्यात करने वाले इस महापुरुष के विचार हैं अद्भुत -

अगर आप यहां पूरी मग्नता से बैठे रहे, इतना कि अब बिल्कुल खाली/शुन्य हो जाएं।

फिर आपके द्वारा जिस प्रकार के काम किये जाएंगे वह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया होगी।

नहीं तो किसी तरह काम आध्यात्मिक प्रक्रिया नहीं है।

आध्यात्मिकता के काम ऐसे हैं जिसको पूरी लगन के सिवा नहीं करा जा सकता है।

स्वामी विवेकानंद ने कहा था प्रार्थना में लीन होने से ज्यादा हम फुटबॉल को मारते वक़्त ईश्वर के अधिक समीप होते हैं।

क्योंकि जब हम पूरी तरह से खुद को खेल में शामिल करेंगे तभी फुटबॉल को किक मार सकते हैं।

आध्यात्मिकता किसी असाधारण व्यवहार का परिणाम नहीं जिसके कारण आपके लिए यह दरवाजा खुलता है।

Spirituality/आध्यात्मिकता किसी भी कार्य में पूरी तरह से जुड़े होने का परिणाम है।